Galwan में भारत ने जिस कमांडर को चटाई थी धूल, China उसे क्यों कर रहा है सम्मानित?

ज्यादातर देशों में ओलंपिक की मशाल उनके हाथों में होती है जिनका खेल की दुनिया में कोई योगदान हो. पीएलए कमांडर ची फबाओ के पास ऐसी कोई उपलब्धि नहीं है.

 चीन (China) भारत के खिलाफ कूटनीतिक साजिश रचने के लिए कुख्यात है. चीन भारत पर प्रोपेगेंडा वार करता है. ड्रैगन ने भारत को अपमानित करने के लिए नई चाल चली है. विंटर ओलंपिक्स (Winter Olympic) में भारत को कमजोर साबित करने के लिए चीन अपने कायर सैनिक को सम्मानित कर रहा है. गलवान (Galwan) की लड़ाई में इसी सैनिक के इशारे पर भारतीय सैनिक शहीद हुए थे. 

क्यों चीन कर रहा है सम्मानित?

आखिर चीन यह कदम क्यों उठा रहा है, किस वजह से पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) यह कदम उठा रही है, यह जानना भारत के लिए बेहद जरूरी है. पीएलए कमांडर ची फबाओ (Chi Fabao) को सम्मानित करने की एक रणनीतिक वजह भी है. गलवान में असली पराक्रम तो भारतीय शूरवीरों ने दिखाया था.

गलवान विवाद में चीन ने गंवाई थी 40 सैनिकों की जान

ची फबाओ न तो कोई हस्ती है और न ही शांति का दूत. खेलों से उसके जुड़ाव न हो के बाद भी चीन में शीतकालीन ओलंपिक (Winter Olympics) के लिए मशाल ले जाने की जिम्मेदारी उसे सौंपी गई है. गलवान के युद्ध में चीन ने अपने 40 सैनिक खो दिए थे. रणनीतिक तौर पर खुद को मजबूत साबित करने के लिए गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के हाथों पिटने वाले कमांडर को सम्मानित कर रहा है.

गलवान का हीरो किसे बता रहा है चीन?

चीन के सरकारी स्वामित्व वाली पत्रिका ग्लोबल टाइम्स (Global Times) में प्रकाशित एक लेख में ची फबाओ को गलवान का हीरो कहा गया है. चीन के इस कायर कमांडर के बारे में लिखा गया है, 'गलवान सीमा के नायक ने उठाई बीजिंग 2022 ओलंपिक की मशाल.' 

खिलाड़ी भी नहीं है चीन का यह सिपाही

ज्यादातर देशों में ओलंपिक की मशाल उनके हाथों में होती है जिनका खेल की दुनिया में कोई योगदान हो. पदकवीर खिलाड़ियों को जिम्मेदारी दी जाती है कि वे मशाल की जिम्मेदारी संभालें. चीन ने ऐसे किसी भी खिलाड़ी को नहीं चुना है. चीन ने जिम्मेदारी पीएलए के कमांडर को दी है जिसका दामन दागदार रहा है. इस मंच का इस्तेमाल भारत को अपमानित करने के लिए किया जा रहा है.

चीन पहले भी कर चुका है इस सिपाही को सम्मानित

यह पहली बार नहीं है जब चीन ने भारत पर निशाना साधने के लिए इस सैनिक के नाम का इस्तेमाल किया है. फरवरी 2021 में चीन ने पहली बार स्वीकार किया था कि उसने गलवान में चार सैनिकों को खोया है. उस समय चीन ने इस सैनिक को सीमा की रक्षा के लिए 'हीरो रेजिमेंटल कमांडर' की उपाधि से सम्मानित किया था.

साहस की कमी से जूझ रही है चीन की सेना

 ऐसा लगता है कि ची फबाओ को सम्मानित करने के पीछे चीन का असली मकसद अपने नागरिकों को छद्म राष्ट्रवाद का सपना दिखाना है. हकीकत यह है कि चीन के पास दुनिया की सबसे बड़ी सेना है लेकिन उसके सैनिकों में साहस की कमी है. वहीं भारतीय सेना के जवान ऐसे हैं जिन्हें देश की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं. भारतीय सेना का सबसे बड़ा हथियार सैनिकों का पराक्रम है.