लिबरल समर्थकों के पोस्टर बॉय Emmanuel Macron का दक्षिणपंथी रुझान क्यों है चर्चा में, समझें

फ्रांस में अप्रैल में चुनाव होने वाले हैं. मौजूदा राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने इस्लामिक चरमपंथ और आतंकवाद खत्म करने के लिए बेहद सख्त रूख अपनाए हैं.

इमैनुएल मैक्रों ने जब राष्ट्रपति चुनाव जीता था तब उन्हें धुर दक्षिणपंथी उम्मीदवार मरी ल पेन की तुलना में उदार और समावेशी पहचान का फायदा मिला था. फ्रांस्वा ओलांद के शिष्य माने जाने वाले मैक्रों लिबरल खेमे के बीच देश ही नहीं दुनिया में खासे लोकप्रिय हुए थे. बतौर राष्ट्रपति उन्होंने जो फैसले लिए हैं उसे दक्षिणपंथ की ओर झुका माना जा रहा है. फ्रांस और यूरोप की राजनीतिक भाषा में इसे कंजर्वेटिव पॉलिटिक्स कहते हैं. कैसे लिबरल पोस्टर बॉय आतंकवाद मुक्त फ्रांस बनाने के लिए लिए गए फैसलों की वजह से अपने ही खेमे के सवालों से जूझ रहे हैं और इसका फ्रांस की राजनीति पर क्या असर होगा समझें यहां.

मैक्रों की छवि उदारवादी धड़े की रही है

इनवेस्टमेंट बैंकर से राजनीति में आए इमैनुअल मैक्रों को फ्रांस की राजनीति में फ्रांस्वा ओलांद का शिष्य माना जाता है. मैक्रों ने महज 39 साल की उम्र में उदारवादी और दक्षिणपंथी प्रतिद्वंदियों को पछाड़कर कुर्सी हासिल की थी. इस युवा नेता की जीत में करिश्माई व्यक्तित्व के साथ उदारवादी सोच और समावेशी राजनीति के वादे भी शामिल थे. कुर्सी संभालने के बाद उनके कुछ शुरुआती फैसले उसी छवि के अनुसार ही थे.

आतंकी हमलों और जनता के दक्षिणपंथी रुझान भी वजह

मैक्रों के राष्ट्रपति बनने के बाद चरमपंथी हमलों ने फ्रांस की आम जनता के बीच एक गुस्से का भाव बनाया है. फ्रांस और यूरोप के अंदर समय-समय पर होने वाले सर्वे में दक्षिणपंथी पार्टियों की बढ़त एक वजह है जिसने मैक्रों को सचेत कर दिया था. उनके प्रतिद्वंद्वी भी मान रहे हैं कि चुनाव पहले लिए उनके फैसले जैसे कि इस्लामिक फोरम का गठन जिसमें सभी सदस्य सरकार के चुने होंगे, इसकी वजह है. 

चुनाव प्रचार में फ्रांस की सुरक्षा पर दे रहे जोर

पिछले चुनावों में मैक्रों ने छोटी सभाओं से लेकर बड़ी रैलियों तक में फ्रांस की अर्थव्यवस्था, महंगाई पर नियंत्रण, समावेशी लोकतांत्रिक फ्रांस का नारा दिया था. इस चुनाव में मैक्रों अपनी सरकार की उपलब्धियों, कोरोना महामारी राहत पैकेज का जिक्र कर रहे हैं. चुनाव प्रचार में जोर देकर फ्रांस की सुरक्षा और मजबूत लोकतंत्र के वादे कर रहे हैं. आतंकवाद से निपटने के लिए अपने सख्त फैसलों को गिना रहे हैं. 

इस्लामिक आतंकवाद और चरमपंथ पर सख्त रवैया

इस्लामिक आतंकवाद और चरमपंथ ही नहीं धार्मिक पहचान को लेकर भी मैक्रों ने खासी सख्ती दिखलाई है. उन्होंने सार्वजनिक तौर पर कहा कि फ्रांस के धर्मनिरपेक्ष आदर्शों में बुर्के और हिजाब के लिए जगह नहीं है. उन्होंने हिजाब पहनकर बाहर निकलने पर रोक का कानून लागू किया है. उनके शासन में ही सेपरेटिज्म बिल लाया गया है जिसमें स्विमिंग पुल पर बुर्किनी पर रोक, स्कूल ट्रिप पर हिजाब, चेहरा छुपाने पर रोक के कानून लागू किए गए हैं.