श्रीलंका में आपातकाल लगाने वाले राष्ट्रपति Gotabaya Rajapaksha का भारत कनेक्शन जानते हैं?  

श्रीलंका में आपातकाल लगाकर गोटाबाया राजपक्षे चर्चा में है. सैनिक बैकग्राउंड से आने वाले राजपक्षे का परिवार देश के ताकतवर राजनीतिक परिवारों में से है.

| Updated: Apr 04, 2022, 05:18 PM IST

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दिलचस्प बात यह है कि गोटाबाया का पूरा परिवार ही सरकार में है. गोटबाया के बड़े भाई महिंदा राजपक्षे तो प्रधानमंत्री हैं. बाकी दो भाई, चमल और बेसिल राजपक्षे समेत परिवार के कई लोग सरकार में शीर्ष पदों पर थे. गोटाबाया 2019 का चुनाव जीतकर राष्ट्रपति बने थे.  श्रीलंका का पहले ऐसे राष्ट्रपति हैं जिनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं रही है. 

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गोटाबाया मूल रूप से सैनिक रहे हैं जिन्हें लिट्टे उग्रवादियों के सफाये का श्रेय दिया जाता है. उन्होंने कोलंबो के आनंद कॉलेज से सेकंड्री एजुकेशन पूरा करने के बाद 1971 में श्रीलंकाई आर्मी जॉइन कर ली थी. आर्मी में सर्विस के दौरान गोटबाया ने यूनिवर्सिटी ऑफ मद्रास से डिफेंस स्टडीज में मास्टर्स डिग्री ली और भारत, अमेरिका और पाकिस्तान में एडवांस्ड मिलिट्री ट्रेनिंग ली थी.

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गोटबाया राजपक्षे के करियर में भारत से खास रिश्ता रहा है. उन्होंने चेन्नई से पढ़ाई की है. उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ मद्रास से डिफेंस स्टडीज में मास्टर्स डिग्री ली है. उनकी मिलिट्री ट्रेनिंग भी भारत में हुई है. असम के जंगलों में रही उन्होंने मिलिट्री की ट्रेनिंग भी ली है. उन्होंने अपने करियर में कई बार भारत का दौरा भी किया है.

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तमिल विद्रोह को कुचलने के क्रम में गोटाबाया पर 'वॉर क्राइम' का आरोप लग चुका है. कहा जाता है कि लिट्टे को खत्म करने के लिए चली आखिरी दौर की लड़ाई में 40 हजार अल्पसंख्यक तमिल मारे गए थे. लड़ाई खत्म होने के बाद तमिल अल्पसंख्यकों पर हुए अत्याचार की रिपोर्ट भी अंतरराष्ट्रीय मीडिया में छपी थी. उनमें कई तरह के अत्याचारों के लिए गोटाबाया को जिम्मेदार माना जाता है.

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गोटाबाया राजपक्षे का जन्म 20 जून, 1949 को एक बौद्ध सिंहली परिवार में हुआ था. मतारा जिले के पलतुवा में पैदा हुए गोटाबाया कुल नौ भाई-बहनों में पांचवें नंबर पर हैं. पिता डीए राजपक्षे 18 वर्ष तक श्रीलंकाई संसद के सदस्य रहे थे. श्रीलंका की राजनीति में हमेशा से राजपक्षे परिवार का दबदबा रहा है. फिलहाल गोटबाया अपने देश में आपातकाल लगाने की वजह से चर्चा में हैं.