चरमपंथी संगठन Hamas का दावा, Israel Navy की 'जासूस डॉल्फिन' को हमने मारा

फिलिस्तीन के लिए संघर्ष करने वाले संगठन हमास ने इजरायल पर डॉल्फिन के जरिए जासूसी का आरोप लगाया है. इससे जुड़ा एक वीडियो भी पोस्ट किया है. 

इजरायल की सेना पर जासूसी के लिए मछलियों के इस्तेमाल करने की बात नई नहीं है. अब इस थ्योरी को फिर से हवा मिल गई है. हमास ने दावा किया है कि इजरायल जासूसी के लिए डॉल्फिन का इस्तेमाल कर रहा है. इससे जुड़ा एक वीडियो भी शेयर किया है.

टार्गेट मार्क करने के काम आ सकती हैं डॉल्फिन

रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि डॉल्फिन दोस्त या दुश्मन में फर्क नहीं कर सकती. इसलिए, डॉल्फिन घातक हमला करने में सक्षम नहीं होती हैं. हालांकि, सही ट्रेनिंग के बाद डॉल्फिन टार्गेट मार्क कर सकती हैं. इजरायल पर पहले भी डॉल्फिन से जासूसी कराने के आरोप लगते रहे हैं.

किलर डॉल्फिन्स की थ्योरी की ओर इशारा 

हमास ने जो वीडियो शेयर किया है उसमें एक हार्नेस डॉल्फिन की नाक में है. रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसा हो सकता है कि समुद्री मछलियों का किसी मकसद से इस्तेमाल किया जा रहा हो. रूसी नौसेना भी डॉल्फिन को सीरिया के टार्टस में तैनात कर चुका है. इसे किलर डॉल्फिन थ्योरी से जोड़कर देखा जा रहा है. 

हमास पहले भी डॉल्फिन से जासूसी के आरोप लगा चुका है

साल 2015 में भी हमास ने इस तरह का आरोप लगाया था. उस वक्त एक फिलिस्तीनी अखबार ने दावा किया था कि इजरायल की नौसेना ने उसके सशस्त्र विंग के सदस्यों पर हमला करने के लिए डॉल्फिन का इस्तेमाल किया था. 

डॉल्फिन में कैमरे फिट करने का किया था दावा 

साल 2015 में 'जासूस डॉल्फिन पकड़ने' के दावे में हमास ने कहा था कि पानी के अंदर की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए कैमरे का इस्तेमाल किया गया था. साथ ही, डॉल्फिन में एक रिमोट कंट्रोल मॉनिटरिंग उपकरण भी था.

समुद्री स्तनपायी का इस्तेमाल जासूसी के लिए मुमकिन?

समुद्री स्तनपायी का इस्तेमाल जासूसी के लिए सुनकर अजीब लग सकता है लेकिन यह असंभव नहीं है. स्तनपायी जीवों की भी ट्रेनिंग की जा सकती है. इनका इस्तेमाल सिर्फ जासूसी के तक ही सीमित नहीं है. बहुत से देश डॉल्फिन और दूसरे जीवों में कैमरा या हार्नेस का इस्तेमाल वैज्ञानिक जानकारी और शोध सामग्री जुटाने के लिए भी करते हैं.