मंहगाई , करेंसी, विदेशी मुद्रा भंडार और कर्ज पर पाक प्रधानमंत्री Imran Khan की कैसी रही परफार्मेंस

इमरान खान सत्ता से बेदखल हो सकते हैं. महंगाई, विदेशी मुद्रा भंडार और कर्ज जैसे मुद्दों पर उनका फरफ़ॉर्मेंस औसत ही रहा है. अभिषेक सांख्यायन की रिपोर्ट.

इमरान खान नया पाकिस्तान बनाने का वादा कर सत्ता में आए थे. पाकिस्तान की जनता को अपने कप्तान से बहुत उम्मीदें भी थी. आज से 30 साल पहले पाकिस्तान को विश्वकप जिताने वाले इमरान खान अपनी नए किरदार की पहली पारी में वैसा जादू नहीं दिखा पाए हैं. दूसरी पारी उनके हिस्से में है या नहीं,  ये तो वक्त ही बताएगा. आइए जानते हैं कि प्रधानमंत्री के तौर पर  उनके कार्यकाल में पाकिस्तान का आर्थिक पैमानों पर प्रदर्शन कितना बेहतर या बदतर हुआ है.  
 

170% बढ़ा पाकिस्तान का कर्ज

कर्ज पाकिस्तान ((Debt on Pakistan) का पुराना मर्ज रहा है. इमरान खान के नए पाकिस्तान में कुछ नया नहीं हुआ. इमरान खान ने जब सत्ता संभाली थी तो पाकिस्तान पर 24,121 मिलियन पाकिस्तानी रु कर्ज था, जो फरवरी, 2022 में बढ़कर 42,761 मिलियन पाकिस्तानी रु तक पहुंच चुका है. 4 साल से कम समय में कर्ज करीब 170 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो चुकी है.  

साल-दर-साल, ऐसा रहा है पाकिस्तान का कर्ज

जून 2018 

24,121 (मिलियन)

जून 2019 

31,786 (मिलियन)

जून 2020 

35,107 (मिलियन)

जून 2021 

38,699 (मिलियन)

फरवरी 2022 

42,761 (मिलियन)

स्रोत: एसबीपी 
 

पाकिस्तान में बढ़ती मंहगाई   

पाकिस्तान में आम जनता के बीच सबसे बड़ा मुद्दा मंहगाई  (Rising Inflation ) है. इमरान खान की कप्तानी में महंगाई लगातार बढ़ती चली गई है. थोक मुद्रास्फीति दर (WPI) पर नजर डालते हैं. पिछले 6 महीनों से थोक महंगाई दर  24.3 फीसदी की दर से बढ़ी है. उदाहरण के लिए टमाटर की कीमत एक साल पहले 47.67 पाकिस्तानी रुपए थी जो 8 अप्रैल को 154 रुपये के स्तर पर पहुंच गया है. प्याज एक साल के अंदर 34 रुपयों से 62 रुपयों पर पहुंच गया. बीते एक साल के अंदर वनस्पति घी में 57% , गैस सिलेंडर में 79% और मटन की कीमतों में 24 % का इजाफा हो गया है.  

थोक मुद्रास्फीति की दर  
2018-19: 16 

2019-20 : 10.2 

2020-21 : 9.4 

पिछले 6 महीनों में  

अक्टूबर 2021 : 21.2 

नवंबर 2021 : 27.0 

दिसंबर 2021 : 26.2 

जनवरी 2021 : 24.0 

फरवरी 2021 : 23.6 

मार्च 2021 : 23.8 

स्रोत: SBP

डेढ़ गुना गिरी करेंसी  

किसी भी देश के लिए बहुत जरुरी है कि उसकी मुद्रा दूसरे देशों के मुकाबले प्रतिस्पर्धी रहे. करेंसी में किसी भी तरह की मजबूती और कमजोरी अचानक आए तो वो उस देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाता है. जून 2018 में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपए की कीमत 121.54 पैसे थी जो फरवरी 2022 में  177.47 रुपए तक पहुंच गई थी. इन 44 महीनों में करेंसी में करीब डेढ गुना टूटी है. इस वजह से पाकिस्तान के लिए आयात और महंगा हो गया है. कच्चे तेल और खाद्य तेल की कीमतें तो पूरी दुनिया में उच्चतम स्तर पर चल रही हैं. ऐसे में पाकिस्तान की पहले से चरमराई हुई अर्थव्यवस्था के लिए और मुसीबत पैदा हो गई.  

पाकिस्तानी रुपये का मूल्य ऐसे गिरा अमेरिकी डॉलर की तुलना में 

जून 2018 : 121.54 

जून 2019 : 163.05 

जून 2020 : 168.16 

जून 2021 : 157.31 

फरवरी 2022 : 177.47 

स्रोत: SBP 
 

विदेशी मुद्रा भंडार पहुंचा न्यूनतम स्तर पर 

पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves of Pakistan) इमरान के कार्यकाल में थोड़ा बेहतर हुआ था. पिछले एक महीने में राजनीतिक अस्थिरता और वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों की वजह से पाकिस्तान लगभग उसी स्थिति में पहुंच गया है जहां से इमरान खान ने शुरु किया था. आने वाले समय में कच्चे तेल और वनस्पति तेल की कीमतों में बढ़ोतरी और पाकिस्तानी करेंसी के गिरते मूल्य की वजह से हालात और खराब होने की आशंका जताई जा रही है.   

साल-दर साल (मिलियन अमेरिकी डॉलर में)

2017-18 : 16, 383 

2018-19 : 14, 481 

2019-20 : 18, 886 

2020-21 : 24,398 

4 मार्च, 22 : 22, 668 

1 अप्रैल, 2022 : 17, 476 

स्रोत: एसबीपी