एक बड़ा जियोमैग्नेटिक सौर तूफान धरती से टकराने वाला है. इसका क्या होगा धरती पर असर, पढ़ें के टी अल्फ़ी की रिपोर्ट.
सूरज पर एक ही सनस्पॉट (Sunspots) से अलग हुए 17 सौर विस्फोट अंतरिक्ष में फैल गए हैं. एक भू-चुंबकीय तूफान (Moderate Geomagnetic Storms) अब पृथ्वी (Earth) से टकराने वाला है. यह खतरनाक जियो मैग्नेटिक सोलर स्टॉर्म 20,69,834 प्रति घंटे की रफ्तार से हमारी ओर बढ़ रहा है. पिछले कई हफ्तों से इस तूफान के बारे में विशेषज्ञ मंथन कर रहे हैं.
1.क्यों धरती की ओर बढ़ रहा है तूफान?
इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च के सेंटर सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस इन स्पेस साइंसेज (CESS) ने इस आने वाले मैग्नेटिक स्टॉर्म के बारे में जानकारी शेयर की है. CESS की जानकारी के अनुसार बीते 6 फरवरी को सूरज के दक्षिण छोर में एक फिलामेंट विस्फोट हुआ था जिसे SOHO यानि सोलर एंड हेली स्फेरिक ऑब्जरवेटरी मिशन के लार्ज एंगल एंड स्पेक्ट्रोमेट्रिक कॉर्नोग्राफ ने रिकॉर्ड किया है.
2.कैसे हुआ खुलासा?
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन स्पेस साइंसेस (CESS) ने सोलर इरप्शंस और भू-चुंबकीय तूफान के बारे में ट्वीट कर जानकारी दी है.
3.सूर्य के दक्षिणी हिस्से में हुआ था विस्फोट
सीईएसएस के मुताबिक 6 फरवरी को सूर्य के दक्षिणी हिस्से में एक फिलामेंट विस्फोट देखा गया था. इस सौर विस्फोट को सोलर हेलिओस्फेरिक आब्जर्वेटरी (SOHO) मिशन के लार्ज एंगल एंड स्पेक्ट्रोमेट्रिक कोरोनाग्राफ (LASCO) ने रेकॉर्ड किया था. SOHO नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी का साझा मिशन है. सूरज का अध्ययन करने के लिए इस मिशन की स्थापना 1995 में की गई थी.
4.क्या होता है जियो मैग्नेटिक स्टॉर्म?
जियो स्टॉर्म के चलते पृथ्वी के चुंबकीय गुरुत्वाकर्षण में बड़ा बदलाव आता है जब सूरज से इलेक्ट्रोमैग्नेटिक eruptions होते है तो कई तरह के कण इसमें से निकलते हैं. यह समय-समय पर उठते रहते हैं जिसे आम भाषा में सौर तूफ़ान या सोलर स्टॉर्म भी कहते हैं. जब सूरज से निकलने वाले डिस्चार्ज पार्टिकल धरती के चुंबकीय क्षेत्र से टकराता है तो सौर तूफान आता है.
5.मैग्नेटिक स्टॉर्म का क्या होगा असर?
इस तूफान की तीव्रता का आंकलन G1 से G5 के तौर पर किया जाता है, जिसमें G1 सबसे कमज़ोर माना जाता है. G5 सबसे ताकतवर माना जाता है. इस तूफ़ान के चलते धरती के पावर ग्रिड में बदलाव देखा जा सकता है. इसके अलावा प्रसारण , रेडियो नेटवर्क, नेविगेशन, इंटरनेट इत्यादि में दिक्कत आ सकती है.