Ukraine Crisis: रूस की सेना का दावा- 5 सैनिक मार गिराए, 2 गाड़ियां भी की तबाह
रूस-यूक्रेन विवाद में आज नई हलचल जुड़ गई है. रूसी सेना ने दावा किया है कि घुसपैठ करने वाले 5 सैनिकों को मार गिराया गया है.
सोमवार को रूस की सेना ने यूक्रेन के पांच 5 सैनिकों को मार गिराने और 2 बख्तरबंद वाहनों को तबाह करने का दावा किया है. रूस का आरोप है कि ये सैनिक और वाहन अवैध रूप से रूस की सीमा में घुसने की कोशिश कर रहे थे. रूस के दावों पर अगर यकीन किया जाए तो जिस युद्ध को टालने की कोशिश में फ्रांस, जर्मनी और अमेरिका जैसी शक्तियां जुटी हैं, वो कामयाब होती नजर नहीं आ रही है.
रूस के आरोपों के कुछ ही देर बाद ही यूक्रेन के विदेश मंत्री ने इनका खंडन कर दिया है. दिमित्रो कुलेबा ने ट्विटर पर कहा कि यूक्रेन ने कुछ नहीं किया है. उन्होंने डोनेट्स्क और लुहान्स्की पर हमले से लेकर रूस पर गोलाबारी, विद्रोहियों को सीमापार भेजने समेत सभी आरोपों को खारिज कर दिया है. रूस और यूक्रेन दोनों एक-दूसरे से उलट दावे कर रहे हैं लेकिन इतना तो तय है कि तनाव की स्थिति अभी टली नहीं है.
यूक्रेन ने रूस के आरोपों का खंडन किया है और यह भी कहा है कि मॉस्को की ओर से अशांति फैलाने का काम हो रहा है. यूक्रेन का दावा है कि उसके क्षेत्र से रूस पर किसी तरह की गोलाबारी नहीं की गई है. उल्टा रूसी लड़ाके पूर्वी यूक्रेन में घुस चुके हैं और रूसी सेना की मदद से विद्रोह को भड़काने का प्रयास कर रहे हैं. पूर्वी यूक्रेन ही वह हिस्सा है जहां के नागरिकों में पिछले कुछ वर्षों से भारी असंतोष रहा है. यूक्रेन और पश्चिमी देश रूस पर इन असंतुष्ट गुटों को भड़काने का आरोप लगाते रहे हैं.
रूस और यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष में अमेरिका की ओर से बार-बार रूस को चेताया जा रहा है. अमेरिकी अधिकारियों का आरोप है कि रूस बेबुनियाद दावे कर आक्रमण के लिए माहौल तैयार करने में जुटा है. अमेरिका का दावा है कि रूस 'फॉल्स फ्लैग' अभियान के जरिए हमले का बहाना खोज रहा है. ऐसी सैन्य कार्रवाई जिसमें एक देश छिपकर, अपनी ही संपत्ति और जान-माल को नुकसान पहुंचाता है. ऐसा करने वाला देश दुनिया के सामने वह यह बताता है कि उसके दुश्मन देश ने ऐसा किया है. इसे 'फॉल्स फ्लैग' रणनीति कहते हैं. इसकी आड़ में ऐसा करने वाला देश अपने शत्रु देश पर हमला कर देता है.
यूक्रेन यूरोप का दूसरा सबसे बड़ा देश है और यहां अमेरिका और यूरोपीय देशों के हित जुड़े हुए हैं. सोवियत रूस से अलग होने के बाद यूक्रेन की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए अमेरिका ने इस देश में भारी निवेश किया है. दूसरी ओर रूस के लिए भी रणनीतिक तौर पर यूक्रेन अहम है क्योंकि यहीं से यूरोप का मार्ग बनता है. अगर दोनों देशों के बीच युद्ध होता है तो जान-माल के नुकसान के साथ पूरी दुनिया के लिए खतरे की घंटी होगी. इस युद्ध से कोविड महामारी से जूझ रहे विश्व के लिए एक और बड़ी मुश्किल खड़ी हो जाएगी. रूस की विस्तारवादी नीति का असर चीन और एशिया पर भी पड़ेगा. चीन को भी अपनी विस्तारवादी चालें चलने का एक बहाना और मौका सुलभ हो जाएगा.