डीएनए हिंदी: अफगानिस्तान में तालिबान का शासन है और तालिबान शासन स्थापित होने के बाद हीमहिलाओं को बच्चियों पर हजारों तरह के प्रतिबंध लगाए गए थे. इस बीच अफगानिस्तान के दो स्कूलों में 80 छात्राओं को जहर दिया गया है. सभी लड़कियों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है. तालिबान शासन के प्रतिबंधों के बीच लड़कियों को जहर देकर मारने की यह पहली घटना है. इस घटना की खबर सुनकर ही लोग सहम गए हैं. बता दें कि तालिबान ने 6वीं कक्षा से ज्यादा लड़कियों की पढ़ाई पर रोक लगा रखी है.
इस मामले में शासन के शिक्षा अधिकारी ने बताया है कि स्कूली लड़कियों पर किया गया यह हमला उत्तरी अफगानिस्तान के सर-ए-पुल प्रांत में हुआ था. अधिकारी का कहना है कि जहर देने वाले व्यक्ति की व्यक्तिगत दुश्मनी थी. हालांकि इस मामले में ज्यादा जानकारी नहीं दी गई है.
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दो स्कूलों की छात्राओं पर हुआ जहरीला हमला
बता दें कि स्कूली छात्राओं पर ये हमले उत्तरी अफगानिस्तान के सर-ए-पुल प्रांत में शनिवार और रविवार को हुए थे. शिक्षा अधिकारी ने कहा कि जहर देने वाले व्यक्ति की व्यक्तिगत दुश्मनी थी, लेकिन विस्तार से बारे में नहीं बताया गया है.
इस पॉइजन अटैक को लेकर प्रांतीय शिक्षा विभाग के प्रमुख मोहम्मद रहमानी ने कहा कि संगचरक जिले में करीब 80 छात्राओं को जहर दिया गया है. उन्होंने कहा कि नसवान-ए-कबोद आब स्कूल में 60 छात्रों को जहर दिया गया था और नसवान-ए-फैजाबाद स्कूल में 17 अन्य को जहर दिया गया था.
मोहम्मद रहमानी ने न्यूज एजेंसी एपी को जानकारी दी कि दोनों प्राथमिक स्तर के स्कूल है और एक-दूसरे के करीब हैं और एक के बाद एक उन्हें निशाना बनाया गया. उन्होंने बताया कि हमने छात्राओं को अस्पताल में भर्ती करा दिया है और वह सभी ठीक हैं. रहमानी ने कहा कि इस मामले में विभाग की जांच जारी है. शुरुआती पूछताछ में पता चला है कि किसी ने आपसी रंजिश की वजह से हमलों को अंजाम देने के लिए किसी तीसरे पक्ष को रुपये दिए.
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क्या बोले जिम्मेदार शिक्षा अधिकारी
हालांकि उन्होंने इस बारें में कोई जानकारी नहीं दी है कि लड़कियों को कैसे जहर दिया गया लड़कियों की उम्र क्या थी. शिक्षा अधिकारी मोहम्मद रहमानी ने यह बताया है कि लड़कियां कक्षा एक से कक्षा तक की ही हैं. गौरतलब है कि तालिबान ने अफगानिस्तान में लड़कियों को 6वीं कक्षा से आगे की पढ़ाई पर रोक लगा दी है. इसके अलावा महिलाओं को अधिकांश नौकरियों और सार्वजनिक स्थानों से भी प्रतिबंधित कर दिया गया है. ऐसे में तालिबानी शासन में महिलाएं घरों में कैद रहने को मजबूर हैं.
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