डीएनए हिंदी: पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति और सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ (Pervez Musharraf) का रविवार को निधन हो गया. 79 वर्ष के मुशर्रफ लंबे से अमालाइडोसिस नाम की बीमारी से पीड़ित थे. संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के अमेरिकन अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था. परवेज मुशर्रफ 2001 से 2008 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहे. इससे पहले वे पाकिस्तान के आर्मी चीफ थे. तत्कालीन नवाज शरीफ की सरकार का तख्ता पलटकर उन्होंने पाकिस्तान की गद्दी पर कब्जा जमाया था. भारत में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान मुशर्रफ का वार्ता काफी चर्चा में रही थी. हालांकि यह वार्ता विफल रही थी.
लेकिन परवेज मुशर्रफ की इस वार्ता को आज भी इसी रूम में याद किया जाता है. दरअसल, भारत और पाकिस्तान के बीच एक शिखर वार्ता हुई थी. इस वार्ता में पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति परेवज मुशर्रफ अपनी पत्नी के साथ भारत दौरे पर आए थे. तब वो आगरा ताजमहल देखने भी गए थे. इसके बाद भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने पाकिस्तानी राष्ट्पति के सम्मान में रात्रि भोज दिया था. इसके लिए मुंबई के तास होटल के शेफ हेमंत ओबेरॉय को विशेष रूप से बुलाया गया था. उनके निर्देशन में सारे व्यंजन तैयार किए गए थे.
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मुशर्रफ ने मीट के लिए इस वजह से किया था मना
वाजपेयी शेफ हेमंत ओबेरॉय के पकवानों के मुरीद थे. हेमंत नॉनवेज बहुत अच्छा बनाते थे. इस मौके पर मुशर्रफ के लिए सिंकदरी रान, बिरयानी और मलाई कोफ्ता जैसे व्यंजन तैयार किए गए थे. रात्रि भोज जब मुशर्रफ टेबल पर आए तो उन्होंने शाकाहारी खाना चुना. अटल जी ने जब देखा तो दोनों मियां-बीवी शाकाहारी खाना ले रहे हैं. उन्होंने मुशर्रफ से पूछा कि आप नॉनवेज क्यों नहीं ले रहे हैं? इस पर पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने जवाब दियाय कि शायद यह हलाल मांस नहीं है.
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इसके बाद वाजपेयी ने तुरंत शेफ हेमंत ओबेरॉय को बुलाया और इसकी जानकारी ली. हेमंत ने बताया कि गोश्त हलाल था. इसके बाद मुशर्रफ ने लजीज मांसाहारी खाने का खूब स्वाद लिया. हेमंत ओबरॉय ने इस वाक्य को कही जगहों पर सुनाया.
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मौत की सजा से पहले छोड़ा देश
बता दें कि दोबारा पाकिस्तान में नवाज शरीफ की सरकार आने के बाद पाकिस्तान में मुशर्रफ का जीना मुहाल हो गया था. 30 मार्च 2014 को मुशर्रफ पर 3 नवंबर 2007 को संविधान को निलंबित करने का आरोप लगाया गया थाा. 17 दिसंबर, 2019 को एक विशेष अदालत ने मुशर्रफ को उनके खिलाफ उच्च राजद्रोह के मामले में मौत की सजा सुनाई गई थी.
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