डीएनए हिंदी: दुनिया के कई देश ऐसे हैं जहां प्रवासियों के टैलेंट कम बलबूते वहां की इकोनॉमी आगे बढ़ रही है. ऐसा ही एक देश ऑस्ट्रेलिया भी है. कोरोना महामारी (Covid-19 Pandemic) के दौरान दो साल से ज्यादा वक्त तक ऑस्ट्रेलिया ने भी प्रवासियों के लिए अपने दरवाजे बंद रखे. अब हालत ऐसी हो गई है कि ऑस्ट्रेलिया में काम करने वाले लोगों की कमी होती जा रही है. यही वजह है कि ऑस्ट्रेलिया अब परमानेंट माइग्रेशन वीजा (Permanent Migration Visa) की संख्या को लगभग 21 प्रतिशत बढ़ाने की तैयारी है. यानी लगभग 35,000 ज्यादा लोगों को वीजा जारी किए जाएंगे.
इस वित्त वर्ष में ऑस्ट्रेलिया अपने परमानेंट माइग्रेशन वीजा की संख्या को 1,60,000 से बढ़ाकर 1,95,000 करने की तैयारी कर रहा है. ऑस्ट्रेलिया की कोशिख है कि प्रवासियों को लंबे समय तक रहने का मौका दिया जाए ताकि टैंलेट की कमी से जूझ रही इंडस्ट्री के लिए पर्याप्त स्टाफ उपलब्ध हो सकें.
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नियमों में बड़ा बदलाव करने की तैयारी
ऑस्ट्रेलिया के गृह मंत्री क्लेयर ओ नील ने एक कार्यक्रम में कहा, 'कोविड महामारी की वजह से जूझने के बाद हम अपने प्रवास के अपने नियमों में ऐसे बदलाव करने की तैयारी कर रहे हैं जिन्हें बदला नहीं जाएगा. हम चांस लेना चाहते हैं. इन प्रयासों का मतलब यह होगा कि इस साल हजारों नर्सें, डॉक्टर और इंजीनियर ऑस्ट्रेलिया में बस जाएंगे.'
आपको बता दें कि ऑस्ट्रेलिया में बेरोजगारी की दर पिछले 50 सालों में सबसे कम 3.4 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गई है. हालांकि, बढ़ती महंगाई यह बता रही है कि असली में लोगों की कमाई काफी कम है. इंडस्ट्री के लोग सरकार से मांग कर रहे हैं कि प्रवासी वीजा की संख्या को 1,60,000 से ज्यादा किया जाए ताकि कर्मचारियों की संख्या को पूरा किया जा सके.
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इसी के लिए हाल ही में ऑस्ट्रेलिया की राजधानी कैनबरा में सरकार ने दो दिन का एक सम्मेलन आयोजित किया. इसमें कर्मचारी यूनियनों और व्यापारियों को बुलाया गया ताकि मुख्य आर्थिक चुनौतियों का हल निकाला जा सके. ऑस्ट्रेलिया लंबे समय से विकसित देशों का मुकाबला करने की कोशिश कर रहा है लेकिन वीजा से जुड़े नियम उसकी चुनौती बने हुए हैं.
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