डीएनए हिंदी- स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से ही पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान भारत के लिए पहले युद्ध के जरिए चुनौती खड़ी करने की कोशिश करता था, तो मुंह की खाता था लेकिन फिर मुंह की खाता था. अततः उसने गोरिल्ला वॉर और आतंक का रास्ता चुन लिया, और अब कुछ इसी राह पर संभवतः चीन भी चलने की कोशिश कर रहा है. डोकलाम से लेकर लद्दाख में सीमा विवाद के बावजूद जब भारतीय सेना के आगे चीन की एक नहीं चल रही, नतीजा ये कि चीन भी संभवतः आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के प्रयास करने लगा है।
मणिपुर में आतंकी हमला
हाल ही में मणिपुर में सुरक्षा बलों के काफिले पर हुए हमले मे असम राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर समेत चार जवानों की शहादत हो गई. ये हमला ठीक पुलवामा अटैक जैसा ही था. पुलवामा हमले के तार जैसे पाकिस्तान से जुड़े थे, ठीक वैसे ही मणिपुर में हुए इस हमले के पीछे पाकिस्तान के आका चीन के षडयंत्र का संदेह होने लगा है. गौरतलब है कि आतंकवादी समूह पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) और मणिपुर नागा पीपुल्स फ्रंट ने शनिवार को संयुक्त रूप से म्यांमार की सीमा के पास इस हमले की जिम्मेदारी ली थी.
चीन दे रहा अलगाववाद को समर्थन
चीन पूर्वोत्तर भारत के इलाकों में अराजकता के विस्तार के लिए लगातार ऐसे संगठनों का समर्थन कर रहा है, जो कि यहां अलगाववाद के लिए कुख्यात हैं. वहीं भारतीय सीमा से लगने वाले म्यांमार में भी ऐसे अलगाववादी संगठन हैं, जिनके कैंपों में चीन समर्थक आतंकियों को ट्रेनिंग दी जाती है. खास बात ये है कि हमले की जिम्मेदारी लेने वालों में पीएलए का आतंकी संगठन 1978 से सक्रिय है. दोनों ही आतंकी संगठनों का सीधा जुड़ाव म्यांमार स्थिति राकान आर्मी और यूनाइटेड वा स्टेट्स आर्मी से हैं, जिनके माध्यम से आसानी से इन्हें आसानी से चीनी हथियार भी मिल जाते हैं.
पीएलए का पाकिस्तान से भी है संबंध
पीएलए का संबंध चीन से होने का संदेह तो है ही... साथ ही भारत सरकार द्वारा आतंकी संगठन घोषित हो चुके इसी पीएलए का एक कनेक्शन पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से भी सामने आ चुका है, जिसे चीन द्वारा भी आर्थिक मदद भी दी जा रही है. एक तरफ चीन अरुणाचल के इलाकों में पुनः कब्जा जमाने के उद्देश्य से 6 किलोमीटर के भारतीय इलाके में 60 के करीब इमारतें बना रहा है, तो दूसरी ओर आतंकी गतिविधियों में भी उसका नाम सामने आ रहा है, जो कि इस बात का संकेत है कि अब चीन अपने सहयोगी पाकिस्तान के जम्मू-कश्मीर में आतंक के अभियान की तरह ही पूर्वोत्तर भारत में आतंक को बढ़ावा देने की नीति अपना रहा है.