डीएनए हिंदी: 15 नवंबर को दुनिया की आबादी आठ अरब तक पहुंच गई है. यह मानव विकास में बहुत बड़ा मील का पत्थर साबित हुआ है. दुनिया की आबादी सात अरब के आंकड़े को पार करने के 11 साल बाद ही इस निशान को पार कर गई है. बता दें कि 11 जुलाई को जारी वर्ल्ड पॉपुलेशन प्रॉस्पेक्ट्स रिपोर्ट 2022 (World Population Prospects Report 2022) में यह बात सामने आई है. संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि विकास की धीमी गति के साथ, वैश्विक जनसंख्या 2030 में 8.5 बिलियन, 2050 में 9.7 बिलियन और 2100 में 10.4 बिलियन तक पहुंच जाएगी. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत 2023 में दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश के रूप में चीन को पीछे छोड़ सकता है.
इससे पहले, संयुक्त राष्ट्र ने पहले पांच, छठे और सात अरबवें बच्चों का प्रतिनिधित्व करने के लिए बच्चों का चयन किया था. 11 जुलाई 1987 को, मतेज गैस्पर को दुनिया के पांच अरबवें बच्चे के रूप में नामित किया गया था. 2011 में, बांग्लादेश की सुल्ताना ओशी को दुनिया के सात अरबवें बच्चों में से एक नामित किया गया था. अब यह देखना बाकी है कि दुनिया का आठ अरबवां बच्चा कौन होगा.
यहां '8 बिलियन के दिन' पर 1950 के बाद से जनसंख्या वृद्धि को चलाने वाले कुछ प्रमुख रुझानों और कारकों आइए पर एक नज़र डालते हैं:
पिछले पांच दशकों में, वैश्विक जनसंख्या चार अरब से दोगुनी होकर आठ अरब हो गई है. 1950 में, वैश्विक जनसंख्या 2.5 बिलियन थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया ने 2010 से एक अरब और 1998 से दो अरब लोगों को जोड़ा है.
1950 के बाद से, वैश्विक जनसंख्या को दोगुना होने में लगभग 37 साल लग गए. 1987 में यह जनसंख्या पांच अरब तक पहुंच गया था. अनुमान है कि 2059 तक वैश्विक आबादी को फिर से दोगुना करके 10 अरब से अधिक करने के लिए 70 से अधिक वर्षों की आवश्यकता होगी.
जनसंख्या में वृद्धि आंशिक रूप से मृत्यु दर के घटते स्तर और जन्म के समय जीवन प्रत्याशा के स्तर में वृद्धि का कारण होती है.
विश्व जनसंख्या की वार्षिक वृद्धि दर 1962 और 1965 के बीच सबसे तेज थी, 1950 और 2050 के बीच 100 साल की अवधि में, प्रति वर्ष औसतन 2.1 प्रतिशत तक पहुंच गई है. तब से, प्रजनन क्षमता के निम्न स्तर के कारण जनसंख्या वृद्धि दर आधे से अधिक धीमी हो गई है.
दुनिया भर में, 2019 में जीवन प्रत्याशा 72.8 वर्ष तक पहुंच गई, जो कि 1990 के बाद से लगभग नौ वर्षों की वृद्धि है. मृत्यु दर में और कमी के कारण 2050 में विश्व स्तर पर औसत दीर्घायु बढ़कर लगभग 77.2 वर्ष हो जाएगी.
दुनिया की आबादी की औसत प्रजनन क्षमता 1950 में प्रति महिला लगभग पांच जन्म से घटकर 2021 में प्रति महिला 2.3 जन्म हो गई है. इसके 2050 तक प्रति महिला 2.1 जन्म तक नीचे जाने की उम्मीद है.
2022 से 2050 तक, वैश्विक जनसंख्या में अनुमानित वृद्धि का आधे से अधिक आठ देशों - भारत (India), पाकिस्तान (Pakistan), फिलीपींस (Philippines), मिस्र (Egypt), कांगो (Congo), इथियोपिया (Ethiopia), नाइजीरिया Nigeria) और संयुक्त गणराज्य तंजानिया (United Republic of Tanzania) में केंद्रित होगा.
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