डीएनए हिंदी: पूरी दुनिया की नजर इस समय रूस-यूक्रेन युद्ध पर है. यूक्रेन पर रूस के हमले की वजह से न सिर्फ भारत सहित तमाम देशों के नागरिक यूक्रेन छोड़ रहे हैं बल्कि बड़ी संख्या में यूक्रेन के लोकल लोग भी अपना देश छोड़ पड़ोसी देशों में शरण ले रहे हैं.
भारत के जो छात्र यूक्रेन में फंसे हुए हैं उनके परिवार बहुत ज्यादा चिंतित हैं. कुछ ऐसा ही हाल है मुंबई में मौजूद क्रूज एम्प्रेस कॉर्डेलिया के यूक्रेनी कर्मचारियों का. ये सभी तो अपने देश से दूर पूरी तरह से शांति के माहौल में हैं लेकिन इनके परिवार रूस की बमबारी के बीच फंसे हुए हैं, जिसकी वजह से एम्प्रेस कॉर्डेलिया क्रूज के यूक्रेनी कर्मचारियों की नींद उड़ी हुई है.
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एम्प्रेस कॉर्डेलिया क्रूज की लीड परफॉर्मर नताली के माता-पिता यूक्रेन की राजधानी कीव के नजदीक रहते हैं. उनकी सुरक्षा को लेकर नताली परेशान हैं, रह-रहकर अपनी माता-पिता की चिंता में उनकी आंखों में आंसू आ जाते हैं. नताली के सहकर्मी बताते हैं कि शनिवार को उसके शहर पर भीषण बमबारी हुई. उसके परिवार के लोगों को बंकर में छिपकर जान बचानी पड़ी.
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शनिवार को मुंबई से रवाना हुए इस क्रूज में नताली की तरह यूक्रेन के 19 अन्य क्रू मेंबर्स भी हैं. इस क्रूज पर कुल 600 क्रू मेंबर हैं जिसमें यूक्रेन और रूस दोनों के लोग हैं. ये सभी बेहद सौहार्दपूर्ण ढंग से रहते हैं और मिलकर काम करते हैं. आज दोपहर में समुद्र में रवाना होने से पहले इस क्रूज के सभी लोगों ने ग्रुप लंच के बाद युद्ध में प्रभावित हुए लोगों के लिए एक मिनट का मौन रखा.
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क्रूज के कैप्टन दानिश ने कहा, "हम सब एक बड़ा परिवार हैं और साथ रह रहे हैं. लोग चिंतित हैं क्योंकि यूक्रेन में स्थिति गंभीर है लेकिन यह कंपनी की तरफसे मिल रहा सपोर्ट हम हम सभी के काम आ रहा है."
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दानिश का परिवार भी यूक्रेन में है, जबकि वह भारत में पर्यटकों की खिदमत कर रहे हैं. दानिश कहते हैं कि उन्होंने कल्पना नहीं की थी कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध छिड़ जाएगा. वो बताते हैं कि उनके कई जानकारों को पड़ोसी देशों में एंट्री करने के लिए 38 घंटे तक का इंतजार करना पड़ा.
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इस क्रूज पर काम करने वाले यूक्रेन के एक अन्य कैप्टन और चीफ इंजीनियर अभी अपनी छुट्टियों से यहां वापस नहीं पहुंच सके हैं क्योंकि वहां युद्ध छिड़ा हुआ है.भारतीय छात्रों के परिवारों की तरह ही ये सभी लोग भी अपने परिवारों के लिए परेशान हैं.
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हालांकि, कॉर्डेलिया क्रूज के सीईओ जार्गन बैलोम हमें बताते हैं कि वे यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि क्रू मेंबर्स हर रोज अपने परिवारों से कॉल के जरिए जुड़ सकें. इसके अलावा क्रू मेंबर्स की किसी भी प्रकार की आर्थिक मदद करने की कोशिश भी की जा रही है.
रिपोर्ट- येशा कमलेश कोटक
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