Food crises in Afghanistan: रोटी पर आफत! पेरेंट्स बेच रहे बच्चे और खुद की किडनी

| Updated: Jan 29, 2022, 01:31 PM IST

Afghanistan Crisis (File Photo)

अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद त्रासदी जैसी स्थितियां पैदा हो गई हैं. नागरिकों को रोजी-रोटी के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है.

डीएनए हिंदी: अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान (Taliban) की सत्ता में वापसी ने नागरिकों को अस्थिर भविष्य की ओर झोंक दिया है. अफगानिस्तान गंभीर मानवीय संकट का सामना कर रहा है. दिवालिया हो चुके इस देश में नागरिक भीषण गरीबी का सामना कर रहे हैं. अर्थव्यस्था लगातार पटरी से उतर रही है. कुछ हिस्सों में भुखमरी से जूझ रहे लोगों ने पेट भरने के लिए किडनी तक बेच दी है.

टोलो न्यूज और डेली मेल में प्रकाशित रिपोर्ट्स के मुताबिक अफगानिस्तान में भुखमरी का सामना कर रहे हेरात (Herat) प्रांत में कुछ लोगों को अपने परिवार का पेट भरने के लिए अपनी किडनी बेचने के लिए मजबूर किया गया है. हेरात के इंजिल इलाके की एक बड़ी आबादी खाद्य संकट का सामना कर रही है.

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बच्चे भी किडनी बेचने को मजबूर!

अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए अफगानी नागरिक कम पैसे में अपनी किडनी तक बेच दे रहे हैं. मानव अंगों की कालाबाजारी अफगानिस्तान में एक बार फिर जोर पकड़ रही है. गरीबी की वजह से लोग किडनी बेचने के लिए मजबूर हो रहे हैं. महिलाओं और बच्चों ने भी अपनी किडनी बेची है.

अफगानिस्तान में अंग तस्करी है अपराध

रिपोर्ट्स में कुछ नागरिकों ने अपनी आपबीती साझा की है. नागरिकों का कहना है कि हमारे बच्चों के पास खाने के लिए कुछ भी नहीं है. उनका पेट भरने के लिए हम अपनी किडनी बेच रहे हैं. किडनी बेचने वालों में बच्चे और महिलाएं भी शामिल हैं. अफगानिस्तान के कानून में मानव अंगों का व्यापार अपराध है.

किडनी न बेचें तो खाएं क्या?

पीड़ित परिवारों का कहना है कि उनके पास जिंदा रहने के लिए कोई अन्य विकल्प नहीं है. ऐसे में किडनी नहीं बेचेंगे तो क्या खाएंगे. नागरिकों का कहना है कि देश में कीमतें आसमान छू रही हैं और जिंदा रहना मुश्किल हो रहा है. हेरात के कुछ हिस्सों में गरीबी की वजह से किडनी की बिक्री पिछले साल भी सुर्खियों में रही थी. मानव अंगों की तस्करी का बाजार अफगानिस्तान में व्यापक तौर पर बढ़ रहा है.

अफगानिस्तान संकट पर चिंतित है दुनिया!

दुनियाभर के नेताओं ने अफगानिस्तान में आई इस मानवीय त्रासदी पर चिंता जताई है. अलग-अलग देश अफगानिस्तान की मदद कर रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र भी अफगानिस्तान की स्थिति पर चिंतित है. अफगानिस्तान में बेरोजगारी, गरीबी और भूखमरी खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है.

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