Gabriel Attal बने फ्रांस के पहले Gay PM, सबसे युवा प्रधानमंत्री बनने का भी रचा इतिहास

कुलदीप पंवार | Updated:Jan 09, 2024, 06:42 PM IST

Gabriel Attal महज 34 साल की उम्र में प्रधानमंत्री बन गए हैं.

Gabriel Attal Updates: गेब्रियल एट्टल अब तक फ्रांस सरकार में शिक्षामंत्री और सरकारी प्रवक्ता के तौर पर काम कर रहे थे. उन्हें राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया है.

डीएनए हिंदी: World News in Hindi- फ्रांस में मंगलवार को नया इतिहास रच दिया गया है. राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने 34 साल के शिक्षा मंत्री गेब्रियल एट्टल को फ्रांस का नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया है. गेब्रियल फ्रांस के आज तक के सबसे युवा प्रधानमंत्री बने हैं, लेकिन इससे भी बड़ी बात है कि वे फ्रांस के पहले समलैंगिक प्रधानमंत्री (Gay Prime Minister) हैं. एट्टल ने खुद को सार्वजनिक तौर पर समलैंगिक घोषित कर रखा है. उनकी नियुक्ति की जानकारी राष्ट्रपति कार्यालय ने एक बयान के जरिये सभी को दी है. दक्षिणपंथी ताकतों की तरफ से बढ़ रहे दबाव के बीच एट्टल की नियुक्ति की गई है. माना जा रहा है कि राष्ट्रपति मैक्रों ने अपने बाकी बचे कार्यकाल को शांति से गुजारने के लिए यह कदम उठाया है. 46 साल के मैक्रों को मध्यमार्गी राजनीति करने वाला राजनेता माना जाता है. उनका राष्ट्रपति के तौर पर कार्यकाल वर्ष 2027 में खत्म हो रहा है.

सरकारी प्रवक्ता से शिक्षा मंत्री और अब प्रधानमंत्री

एट्टल को फ्रांस के राजनीतिक हलके में बेहद तेजी से तरक्की करने वाले व्यक्ति के तौर पर जाना जाता है. एट्टल कोरोना महामारी के दौरान सरकारी प्रवक्ता बनाए गए थे. इसके बाद उन्हें प्रधानमंत्री एलिजाबेथ बोर्ने की सरकार में शिक्षामंत्री बनने का मौका मिला था और अब वे महज 34 साल की उम्र में प्रधानमंत्री बन गए हैं. हालिया ऑपिनियन पोल्स में एट्ट्ल को देश के सबसे लोकप्रिय राजनेताओं में से एक माना गया है. उन्होंने अपनी पहचान रेडियो शो और संसद में सहजता से काम करने वाले समझदार मंत्री के तौर पर बनाई है. 

अवैध प्रवासियों का मुद्दा होगा एट्टल की पहली चुनौती

एट्टल के लिए पहली चुनौती फ्रांस में अवैध प्रवासियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की रहेगी. पूर्व प्रधानमंत्री एलिजाबेथ बोर्ने ने इसी मुद्दे पर सोमवार को इस्तीफा दिया था. बोर्ने का इस्तीफा उस इमिग्रेशन लॉ (आव्रजन कानून) पर शुरू हुई राजनीतिक उथल-पुथल के बाद आया है, जिसे अवैध प्रवासियों को निर्वासित करने की सरकार की क्षमता बढ़ाने के लिए लाया जा रहा है. 

2022 से संसद में जूझ रहे हैं मैक्रों

फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों का एट्टल को प्रधानमंत्री बनाना जून में होने वाले यूरोपीय संघ के चुनावों से जोड़कर देखा जा रहा है. दरअसल जून 2022 में फ्रांसीसी संसद में बहुमत खोने के बाद से राजनीतिक तौर पर मैक्रों लगातार जूझ रहे हैं. इसे मैक्रों की पिछले साल आए पेंशन एंड इमिग्रेशन रिफॉर्म्स की हुई आलोचना का दौर खत्म करने की कोशिश माना जा रहा है.

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