डीएनए हिंदी: कोरोना महामारी के बीच कई समस्याओं का सामना कर रहे नेपाल के लिए आखिरकार एक अच्छी खबर आई है. भारत के इस पड़ोसी मुल्क ने नवजात बच्चों और उनकी माताओं के पोषण में मामले में महत्वपूर्ण प्रगति की है. खुद UNICEF की तरफ से यह जानकारी दी गई है.
Zee Group की बेवसाइट wionews.com पर छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता की अवधि के बावजूद नेपाल ने बाल विकास और पोषण सेवाओं को बढ़ाने में विश्व स्तर पर प्रसिद्ध प्रगति हासिल की है.
हालांकि नेपाल (Nepal) अभी भी पोषण संबंधी काफी चुनौतियों का सामना कर रहा है. सतत विकास लक्ष्य हासिल करने के लिए Stunting और Wasting को लेकर रखे गए टारगेट पर सही स्पीड में काम नहीं किया जा रहा है. इसमें कोरोना भी एक बड़ी बाधा बनकर उभरा है.
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UNICEF के अनुसार, नेपाल में दो साल से कम आयु के बच्चों में stunting की समस्या साल 1996 (57%) से 2016 (33%) के बीच 24 परसेंटेज प्वॉइंट कम हुई. यह स्वास्थ्य और पोषण सेवाओं के बढ़ते कवरेज और बढ़ते आर्थिक स्तर, माता-पिता की शिक्षा और स्वच्छता में सुधार के कारण संभव हुआ.
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अधिक महिलाओं ने अपनी गर्भावस्था के दौरान पर्याप्त आयरन और फोलिक एसिड की खुराक ली, जो 2001 में केवल 6 प्रतिशत से बढ़कर 2016 में 71 प्रतिशत हो गई. नेपाल में यूनिसेफ की प्रतिनिधि Elke Wisch कहती है, "मातृ एवं शिशु पोषण पत्रिका के पूरक में शामिल पिछले 25 वर्षों की सीख अमूल्य है. ये नेपाल में पोषण कार्यक्रम के भीतर भविष्य में सुधार को सूचित और योगदान देंगे."
नेपाल के यूरोपीय संघ के राजदूत, नोना डेप्रेज कहते हैं, "नेपाल में कुपोषित बच्चों की संख्या में गिरावट, स्वास्थ्य सुविधाओं और सेवाओं में सुधार हुआ है. जो पिछले तीन दशकों में नेपाल में इस्तेमाल किया गया बहुक्षेत्रीय दृष्टिकोण और कुपोषण के सभी रूपों को कम करने के लिए नेपाल सरकार की प्रतिबद्धता का एक प्रमाण है."
*Child Stunting- उम्र के हिसाब से कम लंबाई
*Child Wasting- लंबाई के हिसाब से कम वजन