डीएनए हिंदी: 2 करोड़ 20 लाख की आबादी वाला श्रीलंका (Sri Lanka) पिछले कुछ महीनों से आर्थिक और राजनीतिक संकटों से जूझ रहा है. इस पड़ोसी देश में हालात इस कदर बिगड़ चुके हैं कि प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को देश छोड़कर भागना पड़ा. साल 1948 में स्वतंत्रता मिलने के बाद से इस समय श्रीलंका सबसे खराब आर्थिक स्थिति से गुजर रहा है. देश में महंगाई के कारण बुनियादी चींजों की कीमतें आसमान छू रही हैं. विरोध प्रदर्शन भी इस तरह हिंसक होता जा रहा है कि प्रधानमंत्री के आवास को लोगों ने आग के हवाले कर दिया, जबकि राष्ट्रपति भवन पर प्रदर्शनकारियों ने कब्जा कर लिया. इसी के चलते राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे अपना इस्तीफा देकर मालदीव भाग गए हैं.
जानकारों का कहना है कि श्रीलंका में यह संकट कई सालों से पनप रहा था, जिसकी वजह सरकार का गलत प्रबंधन भी माना जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक, पिछले 10 साल में श्रीलंका की सरकार ने सार्वजनिक सेवाओं के लिए विदेशों से बड़ी रकम कर्ज के रूप में ली. बढ़ते कर्ज और कई दूसरी चीजों ने देश की अर्थव्यवस्था को चौपट कर दिया. आंकड़ों के मुताबिक, श्रीलंका पर 51 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज है. श्रीलंका के ऊपर विदेशी कर्ज की रकम उसकी कुल GDP का 104 प्रतिशत हो चुका है. वर्तमान में हालात ऐसे हैं कि वह कर्ज चुकाने की स्थिति में नहीं है. उसे विदेशी कर्ज चुकाने के लिए फिलहाल 7.3 अरब डॉलर की जरूरत है.
Sri Lanka में आम लोगों के कैसे हैं हालात?
श्रीलंका में आम लोगों के लिए स्थितियां बहुत खराब हो गई है. लोगों को बुनियादी सामान के लिए घंटों तक लाइन में लगना पड़ रहा है और वो भी उन्हें सीमित मात्रा में मिल रहा है. पिछले कुछ दिनों में दुकानों को बंद करना पड़ा है, क्योंकि फ्रिज, एसी (AC) या पंखे नहीं चला सकते हैं. लोगों को गैस स्टेशनों पर टैंक भरवाने के लिए घंटों गर्मी में खड़ा होना पड़ रहा है. लोगों को संभालने के लिए Gas स्टेशनों पर सेना को तैनात किया गया है. रिपोट्स के मुताबिक, अपनी बारी का इतंजार करते-करते कुछ लोगों की जान भी चली गई है. ऑटो रिक्शा और टैक्सी चालकों का कहना है कि उन्हें सीमित मात्रा में मिल रहा ईंधन बहुत कम है.
ये भी पढ़ें- Sri Lanka Crisis: क्या भारत की मदद से Gotabaya Rajapaksa ने छोड़ा श्रीलंका?
श्रीलंकाई रुपये में लगातार हो रही गिरावट
श्रीलंका में हालात कुछ ऐसे हैं कि रुपये की कीमत पिछले कुछ दिनों में डॉलर के मुकाबले 80 फीसदी से ज्यादा कम हो चुकी है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मार्च में 1 डॉलर की कीमत 201 श्रीलंकाई रुपये थी जो अब 360 श्रीलंकाई रुपये पर आ चुकी है. 2019 में विश्व बैंक ने श्रीलंका को दुनिया के हाई मिडिल इनकम वाले देशों की कैटेगरी में अपग्रेड किया था, लेकिन दो साल में श्रीलंका की इकोनॉमी अर्श से फर्श पर आ गई.
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों पर अलग नज़रिया, फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.