डीएनए हिंदीः पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति प्रधानमंत्री इमरान खान के लिए सिरदर्द बन गई है. चीन से लेकर तुर्की तक से कर्ज ले चुकी इमरान खान सरकार के पास अपने नागरिकों को खिलाने के लिए खाना तक नहीं है. इसके चलते पाकिस्तान में कुपोषण की दर 30 प्रतिशत से ज्यादा की हो गई है. वहीं अब इमरान खान सरकार अपने खर्चों को कंट्रोल करने के लिए देश के विकास की भी बलि चढ़ाने वाली है. सरकार ने राज्य सरकारों को दिया जाने वाले विकास का पैसा रोकने का फैसला किया है.
इमरान सरकार की कमेटी का फैसला
इमरान खान सरकार की नेशनल डिवेलपमेंट फ्रेमवर्क कमेटी का कहना है कि इमरान सरकार किसी भी अब राज्यों को फंडिंग ही नहीं करना चाहती है. कमेटी की कहना है कि केंद्र सरकार के पास आर्थिक संकट है और राज्यों को अपनी परियोजनाओं की पूरी फंडिंग खुद ही करनी चाहिए.
दरअसल, पाकिस्तान में सेंट्रल डिवेलपमेंट वर्किंग पार्टी की फंडिंग को लेकर एक विशेष मीटिंग हुई थी. इस मीटिंग के दौरान फंडिंग के मुद्दे पर हुई चर्चा राज्यों के लिए झटका साबित हुई है. इमरान खान सरकार के मंत्रियों ने कहा है कि राज्यों की विकास परियोजनाओं के बोझ के चलते राष्ट्रीय महत्व की परियोजनाएं लंबित हैं. उनके लिए बजट में लगातार कटौती की जा रही है. वहीं इमरान सरकार के पास राज्यों को देने के लिए फंडं नही बचा है.
अब राज्यों को पैसा देना संभव नहीं
पाकिस्तान की केन्द्रीय कमेटी द्वारा ये कहा गया है कि इमरान सरकार पहले ही देश में बजट का निर्धारण कर चुकी है. इसके चलते अब देश के राज्यों को इमरान खान सरकार पैसा नहीं देगी क्योंकि इससे केंद्र सरकार पर असर पड़ता है. सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि वो अब देश में चिकित्सा या खाद्य के अलावा अन्य किसी भी विकास के प्रोजेक्ट के लिए वो किसी भी प्रकार का फंड राज्यों के लिए जारी नहीं करेंगे.