डीएनए हिंदी: India China Relation- भारत और चीन के बीच सीमा पर लाइन ऑफ कंट्रोल (LAC) के अलावा 'मीडिया' को लेकर भी जंग छिड़ी हुई है. दोनों लगातार एक-दूसरे के पत्रकारों की वीजा अवधि नहीं बढ़ाकर उन्हें वापस लौटा रहे हैं. अब भारतीय धरती पर काम कर रहा आखिरी चीनी पत्रकार भी वीजा अवधि नहीं बढ़ने पर अपने देश वापस लौट गया है. नतीजतन करीब 40 साल में यह पहला मौका है, जब भारत में चीन का कोई पत्रकार मौजूद नहीं है. यह तकरार दोनों देशों के बीच एक छोटे से कारण से शुरू हुई थी, जिसके बाद चीन ने भारत पर अपने पत्रकारों के साथ सही व्यवहार नहीं करने का आरोप लगाया था. हालांकि भारत ने स्पष्ट कहा है कि चीन ही नहीं किसी भी देश के पत्रकार के लिए भारतीय धरती पर काम करने पर रोक नहीं है, लेकिन उन्हें केवल पत्रकारिता से जुड़ी गतिविधियों तक ही सीमित रहना चाहिए.
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एक सप्ताह पहले लौटा आखिरी चीनी पत्रकार
भारत ने अपनी धरती पर मौजूद इस आखिरी चीनी पत्रकार का वीजा बढ़ाने से इनकार कर दिया था. यह कदम इस महीने की शुरुआत में उठाया गया. चीनी न्यूज एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, इस मामले से जुड़े लोगों ने बताया है कि नई दिल्ली के इस फैसले के बाद करीब एक सप्ताह पहले आखिरी चीनी पत्रकार अपने देश लौट गया है.
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1980 के दशक से सामान्य थी मीडिया से जुड़ी नीतियां
भारत-चीन के बीच 1962 के युद्ध के बाद कूटनीतिक संबंध खत्म हो गए थे. उस दौर में दोनों ही देशों में पत्रकारों को भी रहने की इजाजत आसानी से नहीं मिलती थी. इसके बाद 1980 के दशक में दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों में तनाव खत्म हुआ था और सामान्य व्यवहार की शुरुआत हुई थी. इस दौर में दोबारा दोनों देशों ने अपने दरवाजे एक-दूसरे के पत्रकारों के लिए खोले थे. इसके बाद करीब 40 साल में यह पहला मौका है, जब भारतीय धरती पर एक भी चीनी पत्रकार नहीं बचा है.
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अब जानिए वो कारण, जिसके चलते शुरू हुई मीडिया पर जंग
दरअसल मीडिया को लेकर दोनों देशों के बीच यह तकरार मार्च में शुरू हुई थी, जब भारत ने एक चीनी पत्रकार को देश छोड़ने का आदेश दिया था. भारत ने आदेश दिया था कि देश में केवल दो चीनी पत्रकार ही रह सकते हैं. इसके बाद चीन ने भी अपने यहां मौजूद चार में से दो भारतीय पत्रकारों के वीजा सीज कर दिए थे और उन्हें देश छोड़ने के लिए कहा था. चीन ने इसे जवाबी कार्रवाई बताया था.
इसके बाद भारत ने भी अगले महीने जवाबी कार्रवाई की थी और एक अन्य चीनी पत्रकार को देश छोड़ने का आदेश दिया था. बीजिंग ने भी बदले में तीसरे भारतीय पत्रकार को चीन से जाने के लिए कह दिया था. इसके बाद दोनों देशों में उनके 1-1 पत्रकार ही मौजूद थे. भारत ने आखिरी चीनी पत्रकार का वीजा भी जून की शुरुआत में आगे बढ़ाने से इनकार कर दिया था. हालांकि इस कार्रवाई का विदेश मंत्रालय ने कोई कारण अब तक नहीं बताया है.
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चीन में बचा है भारत का भी एक ही पत्रकार
इससे पहले चीन ने भी भारतीय पत्रकारों का भी वीजा आगे नहीं बढ़ाया था. इसके बाद सभी भारतीय पत्रकार अपने देश वापस लौट आए थे. अब चीनी धरती पर केवल PTI न्यूज एजेंसी का प्रतिनिधि इकलौते भारतीय पत्रकार के तौर पर बीजिंग में मौजूद है. चीनी विदेश मंत्रालय ने 12 जून को कहा था कि यह पत्रकार चीन में फिलहाल कामकाज कर रहा है और सामान्य रूप से रह रहा है, लेकिन साथ ही चीनी विदेश मंत्रालय ने चेतावनी भी दी थी कि यदि भारत ने अपने देश में आखिरी चीनी पत्रकार की वीजा अवधि नहीं बढ़ाई तो वह भी बदले में ऐसे ही कदम उठाएगा. ऐसे में माना जा रहा है कि PTI रिपोर्टर को भी जल्द ही वापस भारत लौटना होगा.
चीन ने लगाया था भारत पर आरोप
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने आरोप लगाया था कि साल 2020 से भारत अपनी धरती पर मौजूद चीनी पत्रकारों के साथ भेदभाव और अनुचित व्यवहार कर रहा है. चीनी पत्रकारों के वीजा आवेदनों को मंजूरी देने से इनकार किया जा रहा है. चीनी प्रवक्ता ने यह भी आरोप लगाया था कि भारत चीनी पत्रकारों को महज तीन महीने या एक महीने का ही वीजा दे रहा है. इसके चलते भारत में चीनी पत्रकारों की संख्या 14 से घटकर महज 1 रह गई है.
विदेश मंत्रालय ने कही थी ये बात
इस महीने की शुरुआत में विदेश मंत्रालय ने चीन के पत्रकारों के वीजा नहीं बढ़ाए जाने पर छोटा सा बयान दिया था. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था कि सभी विदेश पत्रकार, जिनमें चीनी पत्रकार भी शामिल हैं, भारत में पत्रकारिता से जुड़ी गतिविधियां कर सकते हैं. इस पर किसी तरह की रोक नहीं है. वे अपनी रिपोर्टिंग या मीडिया कवरेज कर सकते हैं. वीजा विवाद पर विदेश मंत्रालय ने कहा था कि चीनी पत्रकार देश में बिना किसी समस्या के काम कर रहे हैं, लेकिन भारतीय पत्रकारों के साथ ऐसा नहीं है. हमें उम्मीद है कि चीन भारतीय पत्रकारों को भी अपने यहां छूट देगा. वीजा मुद्दे को लेकर दोनों पक्ष एक-दूसरे के संपर्क में हैं. इसके बाद से कोई भी स्पष्टीकरण भारत की तरफ से नहीं दिया गया है.
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