डीएनए हिंदी: भारतीय वैज्ञानिकों ने सौरमंडल के बाहर 8 ऐसे तारों की खोज की है जो रेडिए एक्टिविटी ज्यादा है. ये तारे सूर्य से कहीं ज्यादा गर्म हैं. रेडियो स्टार्स के पास अप्रत्याशित रूप से सघन चुंबकीय क्षेत्र है, जहां हमेशा तारकीय आंधी (सौर आंधी, Stellar Wind) चलती है. नेशनल सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, पुणे के शोधार्थियों ने एक रिसर्च पेपर सबमिट किया है.
रिसर्च पेपर में यह बात सामने आई है कि ये तारे अपने उत्सर्जन व्यवहार की वजह से तीव्र रेडियो तरंगों का उत्सर्जन करते हैं, जो एक अंधेरे द्वीप पर एक लाइटहाउस जैसा दिखता है. ये तारे 'मेन-सीक्वेंस रेडियो पल्स' (MRPs) उत्सर्जक हैं, जिनमें शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र होते हैं.
शोधार्थियों की इस टीम को बरनाली दास लीड कर रहे थे. उनके साथ यह रिसर्च प्रोफेसर पूनम चंद्रा के सुपरविजन में किया गया. अब इस प्रोजेक्ट की तारीफ हो रही है. शोध को जायंट मीटरवेव रेडियो पल्स (uGMRT) के जरिए पूरा किया गया. जीएमआरटी की यह कामयाबी अतंरिक्ष के कई अनसुलझे रहस्य सुलझा सकती है. इसे अंतरिक्ष विज्ञान की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है. सौरमंडल से बाहर तारों के चुंबकीय प्रभावों के अध्ययन के द्वार भी इस स्टडी के बाद खुल रहे हैं.
अब सुलझेगी अंतरिक्ष की अनसुलझी गुत्थी
शोधार्थी बरनाली दास असम बजली से आती हैं. उन्होंने नेशनल सेंटर फॉर रेडियो एस्ट्रोफिजिक्स, पुणे से एक इंटर्न के तौर पर की थी. फिलहाल वे नेशनल सेंटर फॉर रेडियो एस्ट्रोफिजिक्स, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआईएफआर), पुणे में बतौर रिसर्च स्कॉलर काम कर रही हैं.
एनसीआरए की टीम ने एक प्रेस रिलीज में कहा है कि यह टीम पहले ही जीएमआरटी के जरिए 3 सितारों की खोज कर चुकी है. 11 तारे जीएमआरटी के जरिए खोजे गए थे. शोधार्थियों के मुताबिक 8 तारे 2021 में खोजे गए थे. पहला मीटरवेव रेडियो पल्स साल 2000 में खोजा गया था.