टूटे-बिखरे अस्पताल, बमबारी से बचते लोग, गाजा में गर्भवती महिलाओं का हाल बेहाल

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Oct 18, 2023, 08:56 AM IST

गाजा में बुरी फंसी हैं गर्भवती महिलाएं. (तस्वीर- रॉयटर्स)

गाजा में करीब 50,000 गर्भवती महिलाएं हैं, जिनमें से 10 फीसदी महिलाएं अपने बच्चों को जन्म देने वाली हैं. UNFPA के मुताबिक गाजा के अस्पताल काम करने की स्थिति में नहीं हैं.

डीएनए हिंदी: इजरायल और हमास के बीच भड़की जंग में गर्भवती महिलाओं की जान पर आफत आ गई है. महिलाओं को कई चुनौतियों से जूझना पड़ रहा है. गाजा के ज्यादातर अस्पताल बंद हैं या बमबारी में तबाह हो गए हैं. सभी अस्पताल नॉन फंक्शनल हैं, ऐसे में जरूरतमंद महिलाओं को इलाज तक नहीं मिल पा रहा है.

संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) ने गर्भवती महिलाओं की दुर्दशा पर चिंता जाहिर की है. UNFPA के एक अधिकारी एलन ने कहा, 'जो गर्भवती महिलाएं, बच्चों को जन्म देने के लिए अंतिम तिमाही से गुजर रही हैं, उनके सामने कई चुनौतियां हैं. न उनके पास न कपड़े हैं, न स्वच्छता की सही जगह हैं, न ही उन्हें कोई समर्थन मिल रहा है. वे अपने अगल पल को नहीं जानती हैं. गर्भवती महिलाएं, अपने अजन्मे के बच्चे के लिए अगले दिन, अगले घंटे, अगले मिनट के बारे में नहीं जानती हैं.'

बुरे हाल में हैं गाजा में गर्भवती महिलाएं
गाजा में कई गर्भवती महिलाओं को न्यूनतम पोषण तक नहीं मिल पा रहा है. इजरायल की चेतावनी के बाद लोग अपनी जगह छोड़कर दक्षिणी हिस्से में भाग रहे हैं. ट्रांसपोर्टेशन की कोई दुरुस्त व्यवस्था नहीं हैं. बीमार, बुजुर्ग और गर्भवती महिलाओं के लिए सड़कों पर चलना आसान नहीं है.

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गाजा पट्टी में गर्भवती महिलाओं की चुनौतियां अपने चरम पर है. इजरायल-हमास के बीच छिड़ी जंग में गाजा पट्टी के अस्पताल तबाह हो चुके हैं. ऐसे में सबका भविष्य अधर में लटका है. चिकित्सीय सेवाएं बुरी तरह ठप पड़ी हैं.

'रोटी के टुकड़ों पर चल रही जिंदगी, कल है दांव पर'
खुलूद खालिदा गाजा की ही रहने वाली हैं. वह 8 माह की गर्भवती हैं. हर तरफ हवाई हमलों की आवाजों के बाद अल करमा से बाहर आने के लिए वह संघर्ष कर रही हैं. दक्षिणी शहर खान यूनिस में वे टिकी हुई हैं. रोटी के कुछ टुकड़ों पर वह जिंदगी गुजर-बसर करने के लिए मजबूर हैं. खाने के लिए उनके पास न तो रोटी है, न ही बिजली और पानी. वह कहती हैं कि उन्हें यह भी नहीं पता है कि कल रोटी मिल पाएगी या नहीं. बच्चा कहां जन्मेगा, वह खुद भी नहीं जानती हैं. 

'भूतों का शहर बना गाजा'
खालिदा कहती हैं, 'मुझे डर लग रहा है. मेरे अजन्मे बच्चे और खुद के लिए. मैं जान से हाथ नहीं धोना चाहता हूं. मैं अपने बच्चे को बड़े होते देखना चाहती हूं. यहां कोई जीवन नहीं बचा है. गाजा भूतों का शहर बन गया है.'

नारदीन 9 महीने की गर्भवती हैं. वह अपने पति के साथ गाजा शहर छोड़कर अल रिमल की ओर आगे बढ़ रही हैं. वह शहर से 16 मील दूर निकल चुकी हैं. उनकी इस्टीमेटेड डिलीवरी डेट नजदीक आ रही है लेकिन डर है कि उनका बच्चा कहां पैदा होगा.

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उन्होंने कहा, 'मैं पलायन की स्थिति में हूं. गाजा पट्टी तबाह हो रहाहै. मैं 80 से ज्यादा लोगों के साथ छोटे से बेडरूम में वक्त बिताने के लिए मजबूर हूं.'

न अस्पताल, न लेबर रूम, गर्भवती महिलाओं का क्या होगा?
नारदीन चिंतित है कि खान यूनिस के अस्पताल के लेबर रूम भी तैयार नहीं हैं. कैसे उनका बच्चा पैदा होगा. अस्पताल बंद हैं. गाजा में एक अन्य गर्भवती महिला, मोना एशौर ने कहा कि वह गाजा पट्टी के उत्तरी हिस्से में रही है. उसके पास इतने पैसे नहीं हैं कि वह दक्षिणी हिस्सी की ओर जा सके. उसके पास खाना है.

10 फीसदी महिलाएं जल्द ही जन्मेंगी बच्चे
गाजा में लगभग 50,000 महिलाएं गर्भवती हैं, जिनमें से 10% को संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या निधि (UNFPA) के मुताबिक कुछ दिनों में बच्चों को जन्म देने वाली हैं. अस्पतालों के बिना बच्चे कहां पैदा होंगे, यह अनिश्चित है. 

तबाही की कगार पर खड़ा है गाजा 
गाजा पर रुक-रुककर जमकर बमबारी हो रही है. इजरायल ने कसम खाई है कि गाजा को तबाह कर देंगे. 7 अक्टूबर को हमास ने हमला किया था, उस हमले का नतीजा गाजा भुगत रहा है. (इनपुट: रॉयटर्स)

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