इंटरनेशनल कोर्ट में गाजा पर हारा इजरायल, हमास पर हमले पर रोक नहीं पर बंंद करना होगा नरसंहार

कुलदीप पंवार | Updated:Jan 26, 2024, 08:46 PM IST

Israel Hamas War (File Photo)

Israel Hamas War Updates: इजरायल ने 7 अक्टूबर को हमास आतंकियों द्वारा अपने यहां हमला करने के बाद लगातार गाजा पट्टी पर बमबारी की है, जिसमें बड़े पैमाने पर आम फिलिस्तीनी भी मारे गए हैं.

डीएनए हिंदी: World News in Hindi- इजरायल को इंटरनेशनल कोर्ट (International Court of Justice) ने गाजा पट्टी के मामले में तगड़ा झटका दिया है. हमास आतंकियों के साथ चल रहे युद्ध के दौरान गाजापट्टी में इजरायली सेना की बमबारी से हो रही आम फिलिस्तीनी नागरिकों की मौत को ICJ ने नरसंहार करार दिया है. ICJ ने इजरायल को हमास पर हमले करने से रोकने से इंकार कर दिया, लेकिन इजरायल सरकार को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया है कि उसकी सेना गाजापट्टी में आम नागरिकों का और नरसंहार नहीं करें. साथ ही वहां की मानवीय स्थिति सुधारने के लिए ठोस कदम उठाने का भी इजरायल सरकार को आदेश दिया है.

ICJ ने इजरायल को इन आदेशों का पालन कर एक महीने के अंदर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है, जिसमें यह ब्योरा मांगा गया है कि गाजापट्टी में इजरायली हमलों से कितनी मौत हुई हैं और कितना नुकसान हुआ है. Reuters के मुताबिक, इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस फैसले की आलोचना की है. उधर, ICJ में यह मुद्दा उठाने वाले दक्षिण अफ्रीका और फिलीस्तीनी सरकार के विदेश मंत्रालय ने इस पर खुशी जताई है. दक्षिण अफ्रीका ने इसे अंतरराष्ट्रीय कानून की जीत बताया है.

दक्षिण अफ्रीका की याचिका पर हुई थी सुनवाई

दरअसल गाजापट्टी में इजरायली सेना के रात-दिन बरसाए जा रहे बमों को लेकर दुनिया के सभी देशों ने आलोचना की थी, लेकिन इस कार्रवाई को रोकने की कोशिश किसी ने नहीं की थी. इसके बाद दक्षिण अफ्रीका ने गाजापट्टी में इजरायली सेना द्वारा नरसंहार करने का आरोप लगाया था. दक्षिण अफ्रीका ने इजरायल के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अदालत में याचिका दाखिल की थी, जिस पर लगातार सुनवाई चल रही थी. इसी सुनवाई के पूरा होने के बाद अब फैसला आया है. इजरायल ने सुनवाई के दौरान अपनी कार्रवाई को पूरी तरह उचित ठहराया था और इसे आम लोगों के खिलाफ नहीं बल्कि आतंकियों के सफाए की कार्रवाई बताया था.

क्या कहा है इंटरनेशनल कोर्ट ने

यह मुकदमा संयुक्त राष्ट्र के उसी नरसंहार समझौते के तहत शुरू किया गया था, जो इजरायली यहूदियों के खिलाफ दूसरे विश्व युद्ध में नाजी सेना द्वारा मचाई गई प्रलय को ध्यान में रखकर सभी देशों के बीच तय किया गया था. कोर्ट ने पाया कि फिलीस्तीनी नागरिक इस नरसंहार समझौते के तहत संरक्षित हैं और यह मामला युद्ध के दौरान उनके अधिकारों का उल्लंघन करने का है. कोर्ट ने कहा कि युद्ध में गंभीर मानवीय हानि सामने आई है. 

हमास को भी दिए इजरायली बंधक छोड़ने के निर्देश

Reuters की रिपोर्ट के मुताबिक, ICJ ने हमास को भी उन इजरायली बंधकों को छोड़ने का आदेश दिया है, जिनका 7 अक्टूबर को इजरायल में हमला कर अपहरण किया गया था. यह हमला ही इजरायल की तरफ से की गई कार्रवाई का कारण बना है. फिलिस्तीनी अधिकारियों ने ICJ के फैसले की सराहना की है. फिलिस्तीनी विदेश मंत्रालय ने कहा, वे इस रिमाइंडर का स्वागत करते हैं कि कोई भी देश कानून से ऊपर नहीं है. हमास के सीनियर अधिकारी सामी अबू जुहरी ने कहा, यह निर्णय गाजा में उसके (इजरायल के) अपराधों और कब्जों को सामने लाने का काम करेगा.

इजरायल बोला- हम पर लगाया जा रहा नरसंहार का झूठा आरोप

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि कोर्ट ने इजरायल को अपनी रक्षा करने के बुनियादी अधिकार से वंचित करने वाली लड़ाई रोकने का आदेश देने की अपमानजनक मांग को खारिज कर उचित काम किया है. साथ ही उन्होंने कहा, केवल यह दावा करना कि इजरायल फिलिस्तीनियों का नरसंहार कर रहा है, झूठा ही नहीं अपमानजनक भी है. अदालत की इस पर चर्चा करने की इच्छा भी एक अपमान ही है, जो कई पीढ़ियों तक नहीं भुलाया जाएगा. 

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