UN Report में खुली पाक की पोल, तालिबान के साथ मिलकर आंतकी कैंप चला रहा हाफिज सईद

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: May 30, 2022, 11:08 PM IST

सांकेतिक चित्र

United Nations ने भी अपनी रिपोर्ट में माना है कि अफगानिस्तान में जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के ट्रेनिंग कैंप हाफिज सईद की निगरानी में चल रहे हैं.

डीएनए हिंदी: पाकिस्तान की ओर से बार-बार दावा किया जाता है हाफिज सईद इस वक्त जेल में बंद है. संयुक्त राष्ट्र की हालिया रिपोर्ट में दावा किया गय है कि तालिबान के सहयोग से अफगानिस्तान में जैश-ए-मोहम्मद और दूसरे पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों के ट्रेनिंग कैंप चलाए जा रहे हैं. तालिबान पाकिस्तान में मौजूद आतंकी संगठनों  के साथ सांठ-गांठ कर रहा है जो कि भारत के लिए खतरनाक संकेत है.

Pakistan के दावों की खुल गई पोल
वैश्विक आतंकवाद पर संयुक्त राष्ट्र की एक ताजा रिपोर्ट ने पाकिस्तान की पोल खोलकर रख दी है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि वैश्विक आतंकवादी हाफिज मुहम्मद सईद के लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे पाकिस्तानी आतंकवादी संगठनों के अफगानिस्तान के कुछ प्रांतों में ट्रेनिंग कैंप मौजूद हैं. 

इनमें से कुछ कैंप का नियंत्रण सीधे तौर पर तालिबान के हाथों में है. पाकिस्तान बार-बार दावा करता रहता है कि हाफिज सईद सलाखों के पीछे है और उसका आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा निष्क्रिय हो चुका है. 26/11 हमलों का मास्टरमाइंड पाकिस्तान से ही अपने संगठन को नियंत्रित करता है.

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हाफिज सईद के संगठन के 8 ट्रेनिंग कैंप नंगरहार में मौजूद
‘विश्लेषणात्मक सहायता और प्रतिबंध निगरानी दल’ की 13वीं रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र के एक सदस्य देश के हवाले से कहा गया है कि वैचारिक रूप से तालिबान के करीबी देवबंदी संगठन जैश-ए-मोहम्मद है. इस आतंकी संगठन के नंगरहार में 8 प्रशिक्षण शिविर हैं. इनमें से 3 पर तालिबान का सीधा नियंत्रण है.

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी एस तिरुमूर्ति ने तालिबान प्रतिबंध समिति के अध्यक्ष के तौर पर सुरक्षा परिषद के सदस्यों के संज्ञान में लाने के लिए रिपोर्ट पेश की और परिषद का दस्तावेज जारी किया है.

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जैश-ए-मोहम्मद की सोच के करीब है तालिबान
रिपोर्ट में कहा गया है कि मसूद अजहर का आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद वैचारिक रूप से तालिबान का करीबी है. कारी रमजान अफगानिस्तान में जैश-ए-मोहम्मद का नवनियुक्त प्रमुख है। इसमें कहा गया है कि निगरानी दल की पिछली रिपोर्ट में लश्कर-ए-तैयबा को तालिबान को वित्तीय मदद देने और प्रशिक्षण विशेषज्ञता प्रदान करने वाला बताया गया है.

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