Russia Ukraine War: जो बाइडेन का NATO सेना पर जवाब - मोदी सरकार से बातचीत पर तय होगा अगला रुख

| Updated: Feb 25, 2022, 08:18 AM IST

अमेरिका में एक पक्ष का यह भी मानना है कि भारत पर कोई भी प्रतिबंध दक्षिण एशिया में अमेरिका के हितों के खिलाफ ही जाएगा.

डीएनए हिंदीः यूक्रेन (Ukraine) पर रूस (Russia) के हमले के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) ने भारत (India) की मोदी सरकार से शुक्रवार को फिर बातचीत करने के संकेत दिए हैं. बाइडेन ने रूस के खिलाफ नाटो (NATO) सेना उतारने की संभावना को खारिज कर दिया है हालांकि उसका कहना है कि मोदी सरकार (Modi Government) से बातचीत पर ही अगला रुख तय किया जाएगा. गौरतलब है कि अमेरिका (America) में एक लॉबी रूस से एस 400 (S-400) मिसाइल डिफेंस सिस्टम हासिल करने के बाद भारत पर प्रतिबंध लगाने की बात कह रही है. वहीं अमेरिका में एक पक्ष का यह भी मानना है कि भारत पर कोई भी प्रतिबंध दक्षिण एशिया में अमेरिका के हितों के खिलाफ ही जाएगा. अगर अमेरिका ऐसा कोई कदम उठाता भी है तो वह  भारत-रूस संबंधों को और मजबूत करने का काम करेगा. 

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अमेरिका की नजर भारत पर 
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा था कि रूसी सैन्य अभियान के बाद यूक्रेन संकट पर अमेरिका भारत के साथ विचार-विमर्श करेगा. दरअसल भारत ने अभी तक अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं की है. भारत लगातार इस मसले को बातचीत के हल करने पर जोर दे रहा है. चूंकि अब दोनों देशों के बीच युद्ध शुरू हो चुका है तो भारत पर अपना पक्ष स्पष्ट करने का दवाब बढ़ता जा रहा है. रूस और भारत की दोस्ती किसी से छिपी नहीं है. इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से फोन पर बात कर बातचीत के जरिये मसला सुलझाने की वकालत की थी. भारत क्या यूक्रेन पर रूसी हमले के वक्त अमेरिका के साथ पूरी तरह से है सवाल का जवाब देते हुए बाइडन ने कहा था, ‘यूक्रेन संकट पर हम भारत के साथ विचार-विमर्श करने जा रहे हैं. हमने इसे पूरी तरह से सुलझाया नहीं है.’  

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US से मेल नहीं खाती भारत की सोच
ऐसा समझा जा रहा है कि यूक्रेन संकट को लेकर भारत और अमेरिका का रुख समान नहीं है. रूस के साथ भारत की पुरानी दोस्ती है. जबकि अमेरिका के साथ उसकी रणनीतिक साझेदारी पिछले डेढ़ दशक में अभूतपूर्व गति से बढ़ी है. नई दिल्ली इस मुद्दे पर अब तक सधी हुई प्रतिक्रिया व्यक्त करती आई है. संयुक्त राष्ट्र में भी भारत ने जो बयान दिया था, वो रूस को पसंद आया था.