क्यों तेजी से गायब हो रहे हैं Australia के आयकॉनिक Koala?

| Updated: Jan 18, 2022, 07:20 PM IST

ऑस्ट्रेलिया में लगातार कोआला की आबादी कम हो रही है. उनके कम होने की रफ्तार यही रही तो डर है कि वे एक दिन एकदम गायब हो जाएंगे...

डीएनए हिंदी : कोआला (Koala) को ऑस्ट्रेलिया का आयकॉनिक एनिमल माना जाता है.  दो साल पहले क्लाइमेट चेंज की वजह से ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में लगे आग में तीस लाख से ऊपर जानवरों की मौत हो गयी थी, उनमें हज़ारों की संख्या में कोआला भी थे. एक कोआला कंजर्वेशन ग्रुप के मुताबिक़ 2018 से अब तक इस देश के एक तिहाई कोआला ग़ायब हो गये हैं. 

न्यू साउथ वेल्स इलाक़े  में यह कमी सबसे ज़्यादा दर्ज की गयी है जहां आग के बाद लगभग 70% कोआला आबादी ख़ाक हो गयी थी. इस मुद्दे पर  स्टेट ने वार्निंग  ज़ारी की है कि अगर सरकार दख़ल नहीं देती है तो 2050 तक कोआला पूरी तरह ग़ायब या extinct हो सकते हैं. 

सुस्त और कम दिमाग़ वाले होते हैं कोआला, जिसकी वजह से बनते हैं आसान शिकार 

धीमे-धीमे चलने वाले कोआला (Koala) काफ़ी कम दिमाग़ वाले जानवर माने जाते हैं. यह इन्हें बेहद आसान शिकार बनाता है. 1920-30 के दशक में कोआला के फ़र से बने कपड़े और जूतों की मांग में काफ़ी तेज़ी आयी. इस वजह इस जानवर का काफ़ी शिकार किया गया. माना जाता है कि 1920 के उत्तरार्ध में छः लाख से अधिक कोआला मारे गये थे. बाद में इन्हें मारने पर प्रतिबंध लग गया था पर यूकलिप्टस पेड़ों के जंगलों के ख़त्म होने की वजह और chalmydia बीमारी की वजह से इनकी आबादी कम होने लगी. गौरतलब है कि यूकलिप्टस के पत्ते कोआला का मुख्य भोजन होते हैं.

ऑस्ट्रेलियन  कोआला फ़ाउंडेशन (Australian Koala Foundation) का मानना है कि पिछले तीन सालों में कोआला की कुल संख्या देश में पचास हज़ार से भी कम रह गयी है. इस फ़ाउंडेशन का यह भी कहना है कि ऐसा कोई सरकारी प्रावधान नहीं है जो कोआला हैबिटेट की सुरक्षा करता हो. साथ ही कोई राजनैतिक कोशिश भी नहीं की जा रही है जिससे उनके हैबिटेट को बचाने की कोशिश हो. 

ऐसे ही गायब होने लगे थे भारत से बाघ

ऑस्ट्रेलिया में कोआला की ख़त्म होती आबादी भारत में बाघों के कम होती संख्या पर शुरू किए गये सरकारी प्रोजेक्ट ‘सेव टाइगर’ (Save Tiger) की अनायास याद दिला देती है. 1973 में भारत की सरकार का ध्यान बाघों की कम होती संख्या की ओर गया था तो इस प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई थी ताकि बाघों को वह ईकोसिस्टम दिया जा सके जिसमें उनकी आबादी बढ़े. एक वक़्त बाघों की संख्या देश में हज़ार से भी कम रह गयी थी पर सरकारी प्रयासों से इस वक़्त लगभग 3000 बाघ हैं पूरे देश में. उम्मीद है कि ऑस्ट्रेलियाई तंत्र भी अपनी कोआला आबादी को यूं ही बचा पाएगा.