डीएनए हिंदी: पिछले दो दिन से यूक्रेन के खिलाफ बेहद आक्रामक हो गए रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन ने अब युद्ध अभियान की कमान एक ऐसे जनरल को सौंप दी है, जिसे 'जनरल आर्मेगॉडन' यानी 'तबाही फैलाने वाला जनरल' के नाम से जाना जाता है. पुतिन ने जनरल सर्गेई सुवोविकीन को यूक्रेन में चल रहे रूस के विशेष सैन्य अभियान में तैनात सेना का कमांडर नियुक्त किया है. पुतिन के इस कदम को बेहद अहम माना जा रहा है, क्योंकि जनरल सुवोविकीन को बेहद सख्त और क्रूर सैन्य कमांडर माना जाता है. क्रीमिया को रूस से जोड़ने वाले पुल पर दो दिन पहले हुए बम हमले के बाद खुद पुतिन का रुख यूक्रेन को लेकर 'आर-पार' जैसा हो गया है. पिछले दो दिन के दौरान रूस ने यूक्रेनी शहरों पर भारी संख्या में मिसाइल अटैक किए हैं, जिनमें बहुत सारे लोग मारे गए हैं.
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शनिवार को ही दे दी थी सुवोविकीन को कमान
पुतिन ने जनरल सुवोविकीन को यूक्रेनी मोर्चे की कमान क्रीमिया पुल पर हमले के तत्काल बाद शनिवार को ही सौंप दी थी. इसके तत्काल बाद यूक्रेन में इसका असर दिखाई देने लगा. सुवोविकीन की नियुक्ति के बाद ही पिछले तीन दिन के दौरान यूक्रेन पर रूसी सेना के हमले जबरदस्त तीखे हुए हैं.
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अफगानिस्तान से सीरिया तक का अनुभव है सुवोविकीन को
जनरल सुवोविकीन रूसी सेना के साथ अफगानिस्तान (सोवियत संघ की सेना में), चेचेन्या, ताजिकिस्तान से लेकर सीरिया तक में युद्ध मोर्चे पर मौजूद रह चुके हैं. इस कारण उन्हें लड़ाकू अभियानों के सबसे अनुभवी जनरलों में से एक माना जाता है. साल 2017 में जनरल बने 56 वर्षीय सुवोविकीन के नेतृत्व वाली सेनाओं ने इन युद्धों में जबरदस्त क्रूरता दिखाई थी. जिसके बाद ही उन्हें जनरल आर्मेगॉडन की उपाधि मिली थी. रूसी न्यूज एजेंसी तास के मुताबिक, रूस से अलग होने के लिए हिंसक अभियान चला रहे चेचेन्या विद्रोहियों के खिलाफ तो सुवोविकीन ने अपनी सेना का साफतौर पर कहा था कि उन्हें एक सैनिक की मौत होने पर कम से कम तीन विद्रोहियों के शव देखने हैं.
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सीरिया के अलेप्पो शहर को कर दिया था नेस्तनाबूद
साल 2017 के दौरान जनरल सुवोविकीन सीरिया में रूसी सेना के कमांडर थे. उन्होंने ही सीरियाई विद्रोहियों के कब्जे वाले अलेप्पो शहर पर हवाई हमले का आदेश दिया था. इस हमले में इस शहर की एक-एक बिल्डिंग तबाह हो गई थी. इस हवाई हमले को दुनिया के सबसे क्रूर एयर अटैक में से एक माना जाता है. इसके लिए जनरल सुवोविकीन की पूरी दुनिया में आलोचना हुई थी, लेकिन पुतिन ने इसके एक महीने बाद ही उन्हें 'हीरो ऑफ रशियन फेडरेशन' अवॉर्ड देकर सबके मुंह बंद कर दिए थे.
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सोवियत संघ के विघटन के बाद हो गए थे गिरफ्तार
साल 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद हुए तख्तापलट में भी दुनिया ने सुवोविकीन का बेहद क्रूर रूप देखा था. उन पर उस दौरान लोकतंत्र समर्थकों की बड़े पैमाने पर हत्याएं कराने का आरोप लगा था, जिसके लिए उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था. बाद में तत्कालीन रूसी राष्ट्रपति बोरिस येल्तिसन ने उन्हें रिहाई देकर दोबारा सेना में तैनाती दे दी थी.
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यूक्रेन में तैनाती है सुवोविकीन की सबसे बड़ी चुनौती
यूक्रेन के मोर्चे पर कमांडर के तौर पर तैनाती को जनरल सुवोविकीन के लिए कैरियर की सबसे बड़ी चुनौती माना जा रहा है. इसका एक कारण यह भी है कि वे अब तक भी दक्षिणी सीमा पर यूक्रेनी सेनाओं के खिलाफ रूसी सेना का नेतृत्व कर रहे थे. इसके बावजूद रूसी सेना यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में पिछड़ती दिखाई दी है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस युद्ध के कारण रूसी सेना के कई जनरल अब तक मारे जा चुके हैं या उन्हें अपना पद खोना पड़ा है. ऐसे में रूसी सेना का मनोबल टूटा हुआ है और वो हर मोर्चे पर पीछे हट रही है. इस कारण सुवोविकीन के लिए यह मोर्चा 'करो या मरो' सरीखा साबित होने जा रहा है.
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क्यों की गई है सुवोविकीन की तैनाती
एक्सपर्ट्स का मानना है कि अब तक युद्ध के दौरान रूसी सेना ने कठोरता दिखाई है, फिर भी रूस के अंदर कई लोग हैं, जो और ज्यादा कड़े रुख की मांग कर रहे हैं. इन लोगों का मानना है कि यूक्रेन के इंफ्रास्ट्रक्चर को निशाना बनाया जाना चाहिए ताकि आगामी सर्दियों में वहां की जनता घुटने टेककर रूसी आधिपत्य मानने को मजबूर हो सके. माना जा रहा है कि इन लोगों की मांग पर ही सुवोविकीन जैसे क्रूर जनरल को तैनाती दी गई है. पिछले 48 घंटे के दौरान रूसी मिसाइलों ने जिस तरह से इंफ्रास्ट्रक्चर और नागरिक इलाकों को निशाना बनाया है, इससे इस तैनाती का कारण साफ समझ भी आ रहा है.
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