Lok Sabha Elections 2024 के लिए China का नापाक प्लान, बाधा डालने के लिए बनाया AI टूल, जानें Microsoft ने क्या बताया है

Written By कुलदीप पंवार | Updated: Apr 06, 2024, 07:15 PM IST

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Microsoft ने ये चेतावनी उन खबरों के बाद दी है, जिसमें चीन पर ताइवान के राष्ट्रपति चुनाव के दौरान रिजल्ट को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से प्रभावित करने का आरोप लगा है.

Lok Sabha Elections 2024: देश में इस समय लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) का माहौल पूरे जोर पर है. चुनाव में कौन जीतेगा या नहीं जीतेगा, इसका फैसला 4 जून को मतगणना के बाद ही होगा. लेकिन इससे पहले एक ऐसी खबर सामने आ गई है, जिसने चिंता पैदा कर दी है. माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft) ने चेतावनी दी है कि चीन ने भारत, अमेरिका और दक्षिण अफ्रीका के चुनावों में बाधा डालने के लिए कमर कस ली है. माइक्रोसॉफ्ट ने कहा है कि चीन भारत में लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Polls 2024) के परिणामों को प्रभावित करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंटेंट (AI Content) का सहारा लेने की योजना बना रहा है. इसके बाद यही तरीका अमेरिका और दक्षिण कोरिया के चुनावों में भी अपनाया जाएगा. माइक्रोसॉफ्ट की तरफ से यह चेतावनी उन खबरों के बाद आई है, जिनमें चीन पर ताइवान के राष्ट्रपति पद के चुनाव परिणाम को AI की मदद से प्रभावित करने की कोशिश का आरोप लगाया गया है.

क्या कहा है माइक्रोसॉफ्ट ने

चीन की नापाक योजना को लेकर माइक्रोसॉफ्ट की थ्रेट इंटेलिजेंस टीम ने चेतावनी दी है. इस चेतावनी के मुताबिक, चीनी सरकार से जुड़े हैकर्स साल 2024 में कई चुनावों में बाधा डालने की कोशिश कर सकते हैं. इस काम में उत्तर कोरिया के हैकर्स भी उनका साथ दे रहे हैं. माइक्रोसॉफ्ट ने कहा है कि चीनी हैकर्स सोशल मीडिया पर AI से बने नकली कंटेट के जरिये जनता की राय को अपने हितों के हिसाब से बदलने की कोशिश कर सकते हैं. इसके लिए AI टूल्स की मदद से नकली वीडियो, मीम्स और ऑडियो जनरेट किए जाएंगे और उन्हें सोशल मीडिया पर अपलोड किया जाएगा. माइक्रोसॉफ्ट के मुताबिक, अक्सर टेलिकॉम नेटवर्क को निशाना बनाने वाले चीनी हैकर फ्लैक्स टाइफून ने साल 2023 में भी कई बार भारत, फिलीपींस, हांगकांग और अमेरिका को निशाना बनाया है.

बनाए गए हैं सोशल मीडिया पर हजारों फर्जी अकाउंट

माइक्रोसॉफ्ट ने यह भी कहा है कि चीन ने चुनावों में वोटर्स की राय को प्रभावित करने के लिए सोशल मीडिया पर हजारों फर्जी अकाउंट बनाए हैं, जिनसे एआई जनरेटेड कंटेंट अपलोड किया जा रहा है. यह प्रयोग भविष्य में और अधिक प्रभावी साबित हो सकता है.

कैसे प्रभावित करेगा चुनावों को AI

AI की मदद से चुनावों को कैसे प्रभावित किया जाएगा? चलिए इस बारे में हम आपको बताते हैं. मानिए कल आपके सामने कोई ऐसा वीडियो आता है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कोई ऐसी अशोभनीय हरकत करते दिखाया गया होगा, जिस हरकत की उनसे उम्मीद भी नहीं की जा सकती है. उस वीडियो में पीएम मोदी की वह हरकत बिल्कुल असली जैसी लग रही हो तो आप क्या कहेंगे? आप निश्चित तौर पर वह वीडियो देखकर अपसेट हो जाएंगे और हो सकता है कि पीएम मोदी की भाजपा को वोट ना देने का निर्णय कर लें. लेकिन ठहरिए ऐसा वीडियो जरूरी नहीं कि सच्चा ही होगा. असली जैसा दिखने वाला यह वीडियो 'Deepfakes' जैसे AI टूल्स की मदद से भी तैयार किया जा सकता है. यह महज एक उदाहरण है कि किस तरह एआई टूल्स की मदद से चुनावों में आपकी राय प्रभावित की जा सकती है.

ताइवान चुनाव में आजमा चुका है चीन ये टूल्स

माइक्रोसॉफ्ट ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि चीन AI जनरेटेड इंफॉर्मेशन के जरिये ताइवान के चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश कर चुका है. उस समय भी चीनी सरकार से जुड़े हैकर्स ने ऐसे कंटेंट जनरेट किए थे, जो ताइवान में आम जनता को चीन विरोधी राजनेताओं के खिलाफ कर सकते थे. यह पहला मौका था, जब एक सरकार समर्थित संस्थान ने विदेशी चुनाव को प्रभावित करने के लिए ऐसी तरकीब अपनाई थी. ताइवान चुनाव के दौरान बीजिंग समर्थित हैकर्स ग्रुप Storm 1376 बेहद एक्टिव दिखाई दिए थे. इस ग्रुप ने AI जनरेटेड कंटेंट शेयर किया, जिसमें झूठे ऑडियो और मीम्स शामिल थे. AI जनरेटेड TV न्यूज एंकर्स के उपयोग की तरकीब ईरान द्वारा भी अपनाई जाती रही है.

अमेरिका में आजमा चुके हैं चीनी हैकर्स ये तरकीब

माइक्रोसॉफ्ट ने ये भी कहा है कि चीन ने अमेरिका में राष्ट्रपति चुनावों के कैंपेन को AI टूल्स की मदद से प्रभावित करने की कोशिश शुरू कर दी है. इसके लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के जरिये वे समाज को बांटने वाले सवाल खड़े करते हैं. साथ ही वोटिंग से जुड़ी जनसांख्यिकी से जुड़ी जानकारी भी AI टूल्स के जरिये जुटाई जा रही है. माइक्रोसॉफ्ट ने कहा है कि हालिया महीनों में अमेरिका में चीनी AI जनरेटेड कंटेंट का उपयोग बढ़ाया है. नवंबर, 2023 में केंटुकी में ट्रेन डिरेलमेंट, अगस्त, 2023 में माउई वाइल्ड फायर, जापानी न्यूक्लियर वेस्ट वाटर का पानी में निस्तारण, अमेरिका में ड्रग्स यूज के साथ-साथ इमिग्रेशन पॉलिसी और नस्लभेदी तनाव से जुड़े तमाम मामलों में चीनी कंटेंट का उपयोग किया गया है. 

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