जलवायु परिवर्तन के चलते दुनिया में इस साल आई कई आपदाएं, 10 आपदाओं के बारे में जानें
जलवायु परिवर्तन प्राकृतिक आपदाओं को आमंत्रित कर रही है.
जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के चलते दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में विनाशकारी प्राकृतिक आपदाएं आ रही हैं.
डीएनए हिंदी: जलवायु परिवर्तन (Climate Change) की वजह से दुनिया के अलग-अलग मुल्कों में बड़ी-बड़ी आपदाएं (Disasters) आ रही हैं. इन घटनाओं में बाढ़ (Flood) , तूफान, विनाशकारी ठंड, टिड्डियों का आक्रमण और सूखा जैसी घटनाएं शामिल हैं. हम इस लेख में 2021 में दुनिया में आई 10 बड़ी आपदाओं के बारे में बता रहे हैं.
1. ग्रीस के 35 हजार हेक्टेयर जंगल खाक
ग्रीस की राजधानी एथेंस से करीब 200 किलोमीटर दूर उत्तरी द्वीप एविया के जंगलों में भयानक आग लगने से बहुत बड़े पैमाने पर जानमाल की क्षति हुई है. यहां के निवासी पीढ़ियों से चीड़ के घने जंगलों में जाकर रेजिन निकालकर अपना रोजगार चलाते आए थे लेकिन इस साल अगस्त के महीने में आग के चलते जंगल तबाह हो गए हैं. आग से घर और कारोबार को नुकसान पहुंचा है और हजारों लोगों को जान बचाकर भागना पड़ा. जंगल की आग से सिर्फ इस साल की फसल ही नहीं बल्कि आने वाली पीढ़ियों का रोजगार भी प्रभावित हुआ है. ग्रीस में चीड़ के जितने रेजिन का उत्पादन होता है उसका 80 फीसदी एविया में होता था. रेजिन का उपयोग पेंट, दवाई, प्लास्टिक और कॉस्मेटिक के सामान बनाने में किया जाता है. जंगल की आग के चलते तापमान 45 डिग्री सेल्यिस तक पहुंच गया है.
2. 'हीट डोम' 10 हजार साल का रिकॉर्ड तोड़ा, 230 मरे
कनाडा में पिछले 10 हजार साल में पहला मौका है जब हीट डोम ने गर्मी बढ़ाकर तबाही मचाई है. इसके कारण गर्मी वायुमंडल में अधिक फैलती है और दबाव और हवा के पैटर्न को प्रभावित करती है. गर्म हवा का यह ढेर उच्च दबाव वाले क्षेत्र में फंस जाता है. इससे आसपास की हवा और भी ज्यादा गर्म होती है. यह बाहरी हवा को अंदर नहीं आने देता है और अंदर की हवा को गर्म बनाए रखता है. कनाडा में गर्मी ने 10,000 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत में तो पारा 49.44 डिग्री सेल्सियस तक रिकॉर्ड किया गया है और यहां अत्यधिक गर्मी के चलते एक दिन में ही 230 लोगों की मौत हो गई है. अकेले वैंकूवर में गर्मी के कारण 65 लोगों की मौत हुई है. यह हीटवेव कनाडा से लेकर अमेरिका तक फैली हुई है. अमेरिका के वाशिंगटन और ओरेगन में भी रिकॉर्ड तापमान का अनुभव किया जा रहा है.
3. यूरोप में बाढ़ के चलते 200 से ज्यादा लोग मरे
यूरोप के कई देशों में वर्ष 2021 के जुलाई महीने में बारिश ने 100 साल का रिकॉर्ड तोड़ डाला. जर्मनी, बेल्जियम, स्विट्जरलैंड, लक्जमबर्ग, नीदरलैंड और स्पेन में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए हैं. पश्चिमी यूरोप में आई भीषण बाढ़ में अब तक 150 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं.यूरोप को 70 हजार करोड़ का नुकसान होने का अनुमान है. बाढ़ की चपेट में आकर 200 लोगों ने अपनी जान गंवा दी है.
4. चीन में बारिश ने 1000 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ा
चीन के मध्य हेनान प्रांत में बारिश ने 1,000 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ दिया. यहां 24 घंटे में औसतन 457.5 मिमी बारिश हुई और इसके मद्देनजर राष्ट्रपति शी चिनफिंग को ‘सबवे’, होटलों तथा सार्वजनिक स्थानों पर फंसे लोगों को निकालने के लिए सेना को तैनात करना पड़ा. बारिश के चलते कई इलाकों की बिजली चल गई और वहां अंधेरा छा गया. बारिश के चलते कई सेवाएं ठप्प पड़ गईं. बाढ़ के चलते करीब 300 लोगों को जान गंवानी पड़ी. इस आपात स्थिति से बचने के लिए 260 से ज्यादा हवाई सेवाएं और 160 रेलगाड़ी का परिचालन रद्द करना पड़ा.
5. ऑस्ट्रेलिया में बाढ़ के चलते दो लाख घरों की बिजली गुल
ऑस्ट्रेलिया में वर्ष 2021 के जून महीने में बाढ़ के चलते हालात बेहद खराब हो गए. यहां देश के दक्षिणपूर्वी हिस्से में तूफान और बाढ़ के कारण पेड़ उखड़ गए. लोग कारों और घरों में फंस गए. इसके साथ ही दो लाख से अधिक घरों की बत्ती गुल हो गई. मौसम विज्ञानी केविन पार्किन ने कहा कि विक्टोरिया राज्य और उसकी राजधानी मेलबर्न में बुधवार रात को 119 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चली और 20 सेंटीमीटर तक बारिश हुई. इसके बाद सैकड़ों लोगों को घर खाली कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचने को कहा गया. यह बताया जा रहा है कि वर्ष 2008 के बाद इतनी तेज हवा कभी नहीं चली थी और ना ही कभी इतनी बारिश हुई. बारिश की वजह से देश की नदियों में पानी का स्तर 30 सालों में सबसे ऊंचे स्थान पर पहुंच गया.
6. अमेरिका में तूफान इडा ने मचाई तबाही
अमेरिका के 4 पूर्वोत्तर राज्य भीषण बाढ़ और बारिश का सामना कर रहे हैं. न्यूयॉर्क में बाढ़ ने तबाही मचा दी है. अमेरिका में कम से कम 44 लोगों की मौत दर्ज की गई है. मूसलाधार बारिश और बाढ़ की वजह से कई कारें भी सड़कों पर तैरती नजर आईं. लगातार हो रही बारिश के बाद आई बाढ़ में कई कारें बह गईं. न्यूयॉर्क शहर की मेट्रो लाइनें और ग्राउंड एयरलाइन में पानी भर गया.
7. पूर्वी अफ्रीका में टिड्डियों का आक्रमण
अफ्रीका का ग्रेटर हॉर्न क्षेत्र रेगिस्तानी टिड्डियों के आक्रमण से तबाह हो रहा है. इथियोपिया, सोमालिया, केन्या और जिबूती देश टिड्डियों के कारण सबसे बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं. पिछले 70 वर्षों में केन्या पर टिड्डियों का यह सबसे बुरा आक्रमण है जबकि हॉर्न के अन्य देशों के लोगों ने पिछले 25 वर्षों में रेगिस्तानी कीड़े द्वारा इस तरह के घातक आक्रमण का अनुभव कभी नहीं किया था. संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) के अनुसार, वर्तमान इस क्षेत्र के 19 मिलियन से अधिक लोग उच्च स्तर की खाद्य असुरक्षा की चपेट में हैं और उभरती समस्या से निपटने के लिए तत्काल प्रयासों की आवश्यकता है. इंटरगर्वनमेंटल अथॉरिटी ऑन क्लाइमेट प्रडिक्शन एंड एप्रीलेकशन सेंटर (आइसीपीएसी) के वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के लिए कोई एक कारण जिम्मेदार नहीं है और ग्लोबल वार्मिग ने टिड्डियों के विकास, प्रकोप और अस्तित्व के लिए आवश्यक परिस्थितियों को बनाने में एक प्रमुख भूमिका निभाई. लेख में कहा गया है कि टिड्डियों के बढ़ते प्रकोप के पीछे हिंद महासागर का गर्म होना, तीव्र और असामान्य उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की भूमिका और भारी वर्षा व बाढ़ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
8. फ्रांस में ठंड से 2.3 अरब डॉलर का नुकसान
इस साल बसंत ऋतु में फ्रांस में आई शीत लहर ने देश के लगभग एक तिहाई अंगूर के बागीचों को नष्ट कर दिया जिनसे करीब 2.3 अरब डॉलर का नुकसान हुआ. डब्ल्यूडब्ल्यूए के मुताबिक जलवायु परिवर्तन ने इस ऐतिहासिक ठंड की संभावना को 70 प्रतिशत बढ़ा दिया. वहीं शीतलहर से यूक्रेन में इस साल 60 लोगों की मौत हो गई.
9. अमेरिका में सूखे का प्रकोप
जलवायु परिवर्तन के कारण अमेरिका के पश्चिमी हिस्सों में आए 500 साल में सबसे बुरे सूखे का प्रकोप जारी है. 'साइंस' पत्रिका में छपे एक अध्ययन के मुताबिक ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से सूख के ये हालात दशकों तक जारी रह सकते हैं.यहां सूखा पड़ने और अफगानिस्तान में युद्ध के चलते ड्राई फ्रूट महंगे हो गए है. अमेरिकी मौसम विज्ञान नेशनल ओसियानिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन एनओएए के अनुसार वर्ष 1956 के बाद 2012 में सबसे बड़ा सूखा पड़ा था. एनओएए ने बताया था कि जून के अंत तक अमेरिकी महाद्वीप का 55 फीसद हिस्सा औसत से गंभीर सूखे की चपेट में आ गया था.
10. अफ्रीका में बाढ़ के चलते मच सकती है तबाही
अफ्रीका के सबसे अधिक आबादी वाले देश नाइजीरिया के निवासी हर साल मार्च से नवंबर के महीनों के दौरान तटीय शहर में आने वाली वार्षिक बाढ़ के आदी हो चुके हैं. इस साल जुलाई के मध्य में लागोस द्वीप के प्रमुख व्यापारिक जिले ने हाल के वर्षों में अपनी सबसे खराब बाढ़ का अनुभव किया. नाइजीरिया के अटलांटिक तट पर लागोस में 24 मिलियन से अधिक लोगों का घर इस सदी के अंत तक निर्जन हो सकता है. मौसम वैज्ञानिक के अनुसार जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र का स्तर बढ़ सकता है और इससे तटीय इलाके डूब जाएंगे.