अमेरिका ने क्यों कहा अगर Pakistan ने की होती मदद तो अफगानिस्तान में हालात होते अलग?

| Updated: Feb 18, 2022, 09:24 AM IST

अफगानिस्तान को अस्थिर करने का आरोप पाकिस्तान पर भी लगता रहा है.

डीएनए हिंदी: अफगानिस्तान (Afghanistan) मामले पर अमेरिका (USA) के शीर्ष राजनायिक थॉमस वेस्ट (Thomas West) ने कहा है कि अगर पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में संघर्ष को समाप्त करने के लिए हुए समझौते को लेकर सार्थक पहल की होती तो हालात अलग होते. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अगर सही तरीके से अमेरिका के साथ दिया होता तो स्थितियां ऐसी नहीं होंती.

थॉमस वेस्ट की नियुक्ति अक्टूबर 2021 में अफगानिस्तान के लिए अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि के तौर पर हुई थी. यह वही दौर था जब अमेरिका और नाटो की सेनाएं अफगानिस्तान छोड़कर वापस लौट रहीं थीं. अफगानिस्तान की सत्ता में तालिबान की दोबारा वापसी के बाद उन्हें अफगानिस्तान में अहम जिम्मेदारी थी. थॉमस वेस्ट अमेरिकी मिशन पर काम कर रहे थे.  

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थॉमस वेस्ट ने क्या कहा?

थॉमस वेस्ट ने कहा कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच बातचीत के दौरान जनवरी से अगस्त तक और पहले भी हम पाकिस्तानी नेतृत्व के संपर्क में थे. हमने पाकिस्तान से बातचीत के जरिये इस संघर्ष के समाधान की संभावनाओं को बढ़ाने का आग्रह किया था.

थॉमस वेस्ट ने कहा है कि अगर पाकिस्तान ने उनमें से कुछ कदम अफगानिस्तान में संघर्ष को समाप्त करने के लिए हुए समझौते को लेकर अधिक सार्थक और सही तरीके से अमेरिका के साथ सहयोग किया होता तो हम आज एक अलग जगह पर होते. 

पाकिस्तान के साथ काम करने के अलावा कोई विकल्प नहीं

अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देशों ने मई 2020 में तालिबान के साथ शांति समझौते की पहल में पाकिस्तान की भूमिका को स्वीकार किया. मुझे लगता है कि हमारे पास पाकिस्तान के साथ आगे अफगानिस्तान में काम करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने शांति प्रक्रिया का समर्थन किया लेकिन सभी अमेरिकी प्रस्तावों को स्वीकार नहीं किया.

पाकिस्तान की अनिच्छा करती है परेशान!

थॉमस वेस्ट ने कहा कि पाकिस्तान की अनिच्छा अक्सर वाशिंगटन को परेशान करती है. अमेरिका और पाकिस्तान दोनों देश दोहा वार्ता का समर्थन करना जारी रखेंगे जिसकी वजह से 2020 में एक समझौता हुआ था. अफगानिस्तान ने बीते साल 15 अगस्त से ही तालिबान शासन के अधीन है. तालिबान ने राष्ट्रपति अशरफ गनी की निर्वाचित सरकार को हटा दिया था. अशरफ गनी संयुक्त अरब अमीरात में शरणार्थी हैं.

(भाषा इनपुट के साथ)

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