डीएनए हिंदी: Russia Ukraine War से इन दो देशों में तो उथल-पुथल है ही इनके अलावा दुनिया के दूसरे हिस्सों में भी हालात खराब हो रहे हैं. इस युद्ध की वजह से दुनिया के कई देशों में महंगाई आसमान छू रही है. लगातार बढ़ते कच्चे तेल के दामों ने भारत समेत दुनिया के तमाम देशों की मुसीबतें बढ़ा दी हैं. खाने-पीने की चीजों से लेकर ईंधन की कीमतें आसमान छू रही हैं. यूएन की संस्था अंकटाड ने वैश्विक विकास दर का अनुमान 3.6% से 2.6% कर दिया है. जर्मनी, इटली और स्पेन समेत कई यूरोपीय देशों में सनफ्लावर ऑयल और आटे का स्टॉक खत्म हो रहा है. इन चीजों की कमी से ऐसी अफरा-तफरी मची है कि लोग अंधाधुंध खरीदारी कर रहे हैं. यह भी ठीक तरीका नहीं है. इसे रोकने के लिए सरकार ने एक नियम तय किया है.
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स्पेन में जरूरी सामानों की बिक्री में 14% उछाल आया है. घबराहट में अनलिमिटेड खरीदारी को रोकने और सामान की उपलब्धता बनाए रखने के लिए जर्मनी, स्पेन, इटली के सुपर मार्केट ने ग्राहक को सीमित मात्रा में सामान देने का नियम लागू किया है. वहां एक ग्राहक एक बार में केवल एक ही सनफ्लावर ऑयल की बोतल खरीद सकता है.
यूरोप में खाने-पीने की सप्लाई पर असर
रूस-यूक्रेन को यूरोप का 'ब्रेड बास्केट' कहा जाता है. युद्ध के लंबा खिंचने पर यूरोप में खाने-पीने की सप्लाई पर खासा असर देखने को मिल रहा है. यहां खाने-पीने की चीजें महंगी हो रही हैं. दुनिया अभी कोरोना के असर से उबरी नहीं थी कि इस युद्ध ने नई मुसीबत कर दी है. रूस यूक्रेन युद्ध के बीच रूस पर लगी आर्थिक पाबंदियों ने महंगाई को और बढ़ावा दिया है. अमेरिका, ब्रिटेन और ज्यादातर यूरोप ने रूस से तेल की खरीद पर बैन लगा दिया है या फिर उससे तेल नहीं खरीदने का फैसला किया है. इसके अलावा रूस से फर्टिलाइजर का निर्यात रुकने से खेती पर भी असर पड़ेगा. इससे खाद्य महंगाई और बढ़ सकती है. अमेरिकी कृषि कंपनियों में छंटनी के बादल मंडरा रहे हैं. 2014 के बाद से तेल कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर हैं. ये कीमतें कंट्रोल में नहीं आती हैं तो महंगाई 10% पहुंच सकती है जो 1981 के बाद सबसे ज्यादा होगी.
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यूके में मडरा रहा है संकट
रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद अनाज के दाम 40.6% बढ़ गए हैं. सीईबीआर के मुताबिक यूके में घर की कमाई औसतन 2.11 लाख रुपये घट जाएगी. इस युद्ध के बाद फर्टिलाइजर के दाम पांच गुना बढ़ चुके हैं. इससे खाद्य संकट पैदा होगा. पेट्रोल की कीमतें 35% बढ़ गई हैं. गैस की कीमतें दो साल पहले की तुलना में 20 गुना हैं.
ऑस्ट्रेलिया में महंगाई बना चुनावी मुद्दा
ऑस्ट्रेलिया में भी ऐसे ही हालात हैं. पेट्रोल की कीमतें दोगुनी हो गई हैं. इसके चलते महंगाई चुनावी मुद्दा बन गया है. लिहाजा फेडरल सरकार ने निम्न-मध्य वर्ग के हर परिवार को 19 हजार रुपये और इनकम टैक्स में 1.14 लाख रुपये की राहत दी है.
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