कारगिल युद्ध में हर चाल खुद चलना चाहते थे परवेज मुशर्रफ, बनाई थी 'गैंग ऑफ फोर' 

रईश खान | Updated:Jun 10, 2022, 07:42 PM IST

पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ (File-Photo)

कारगिल युद्ध के दौरान परवेज मुशर्रफ के साथ 'गैंग ऑफ फोर' में जनरल अजीज खान, जनरल एहसान उल हक, जनरल महमूद अहमद और शाहिद अजीज शामिल थे.

डीएनए हिंदी: पाकिस्तान (Pakistan) के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ (Pervez Musharraf) की हालत नाजुक बनी हुई है. उनको वेंटिलेटर पर शिफ्ट किया गया है. मुशर्रफ को कारगिल युद्ध (Kargil War) का मास्टरमाइंड माना जाता है. उन्होंने ही भारत के खिलाफ कारगिल जैसे युद्ध की नापाक साजिश रची थी. इसके लिए मुशर्रफ ने 'गैंग ऑफ फोर' टीम बनाई थी. जिसका काम साजिश के तहत भारत पर अटैक करना था. इस मिशन के लिए उन्होंने खुद ब्लू प्रिंट तैयार किया था.

इस 'गैंग ऑफ फोर' में परवेज मुशर्रफ के चार जनरल शामिल थे. इनमें जनरल अजीज खान, जनरल एहसान उल हक, जनरल महमूद अहमद और शाहिद अजीज थे. मुशर्रफ ने इन लोगों के साथ मिलकर कारगिल युद्ध को लॉन्च किया. कारगिल के युद्ध में परवेज मुशर्रफ कब कौन सी चाल चलेंगे, ये किसी को मालूम नहीं था. उन्होंने तो उस वक्त के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को भी साझा नहीं किया था और न ही पाकिस्तानी आर्मी को युद्ध के शुरूआती कदमों की भनक लगने दी. 

RAW को गुमराह करने की थी साजिश
परवेज मुशर्रफ जानते थे कि कारगिल युद्ध की सचूनाएं जितने ज्यादा लोगों तक पहुंचेगी उतना ही नुकसान होगा. क्योंकि वह पाकिस्तानी आर्मी में रॉ( RAW) की घुसपैठ से परिचित थे. वो जानते थे कि अगर युद्ध की बात ज्यादा लोगों को पता चली लगी तो इसकी भनक रॉ को लग सकती है. इसलिए पाकिस्तान सेना के बड़े अधिकारियों और नौकरशाहों को इस बात की जानकारी नहीं थी कि पाकिस्तानी सैनिक और जेहादी दस्ते LoC पार कर गए हैं. उनका प्लान था कि भारतीय सेना को भी यही लगे कि कारगिल की पहाड़ियों पर केवल जेहादी पहुंचे हैं, इसके लिए मुशर्रफ ने जेहादियों की स्थानीय भाषा में झूठे संदेश प्रसारित करा दिए. 

ये भी पढ़ें- Pak में तानाशाही शासन का नाम थे Pervez Musharraf, अदालत ने ठहराया था देशद्रोही

नवाज शरीफ को नहीं थी युद्ध की जानकारी
लेकिन उसकी इस नापाक साजिश का खुलासा तब हुआ जब रॉ ने मुशर्रफ और 'गैंग ऑफ फोर' के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद अजीज खान के बीच हुई बातचीत को रिकॉर्ड कर ली. इसमें मुशर्रफ की बातों से साफ पता चल रहा था कि कारगिल युद्ध का जो खाका तैयार किया गया, उसके बारे में तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को भी भनक नहीं लगने दी. हैरानी की बात ये रही कि पाकिस्तानी वायुसेना और नौसेना के टॉप कमांडरों को छोड़कर बाकी किसी को भी इस युद्ध की स्पष्ट जानकारी नहीं थी. 

Pervez Musharraf Health: पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ की हालत नाजुक

'ऑपरेशन विजय' के तहत भारत ने दिया अंजाम
पाकिस्तानी सेना की तरफ से जारी सिग्नल में भी यही कहा गया था कि जेहादी दस्ते भारतीय सीमा में घुसे हैं. नतीजन भारत ने पाकिस्तान के करीब 1200 सैनिकों को मार गिराया. पासिस्तानी घुटपैठियों ने साल 1999 में कारगिल की ऊंची चोटियों पर कब्ज जमा लिया था. इसके बाद भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय के तहत न सिर्फ पाकिस्तानी घुसपैठियों को ढेर किया, बल्कि उन्हें कारिगल से खदेड़ भी दिया. और इस युद्ध को जीत लिया. इसके बाद पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति काफी बदहाल हो गई. 

Remarks on Prophet: पैगंबर के खिलाफ टिप्पणी पर कश्मीर में तनाव, इंटरनेट बंद

मुशर्रफ को आर्मी की कमान सौंपना बड़ी गलती- नवाज
कारिगल युद्द खत्म होने के कई साल बाद नवाज शरीफ ने भी स्वीकार किया था कि मुशर्रफ की गलती की वजह से पूरे देश को नुकसान उठाना पढ़ा था. उन्होंने कहा था कि मुशर्रफ के हाथ आर्मी की कमान सौंपना, मेरी सबसे बड़ी गलती थी. मुशर्रफ ने रॉ को गुमराह करने के लिए कारगिल इलाके में LoC पर झूठे रेडियो संदेश जारी करा दिए थे. ये संदेश 'बाल्टी और पश्तो' भाषा में थे. इनमें जेहादी आपस में बातचीत कर रहे थे. जिससे भारतीय एजेंसिया ये समझें की कारगिल में केवल जेहादी आए हैं, पाकिस्तानी आर्मी नहीं है.

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों पर अलग नज़रिया, फ़ॉलो करें डीएनए  हिंदी गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.

Pakistan Pervez Musharraf kargil war Nawaz Sharif Pakistan army