PM Modi in Brics Summit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को ब्रिक्स शिखर सम्मेलन (BRICS Summit) के मंच से दुनिया को युद्ध के खिलाफ संदेश देने की कोशिश की. उन्होंने कहा,'दुनिया युद्ध और संघर्षों से जूझ रही है. इसके चलते दुनिया विभाजन के खतरे से जूझ रही है. हम युद्ध का नहीं संघर्षों के सुलझाने के लिए बातचीत और कूटनीति का समर्थन करते हैं.' माना जा रहा है कि पीएम मोदी ने इसके जरिये रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन और इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को अपरोक्ष संदेश देने की कोशिश की है. रूस ने ढाई साल से यूक्रेन के साथ युद्ध छेड़ रखा है, जिसके चलते दुनिया में गेहूं की भारी किल्लत हो गई है. उधर, इजरायल गाजा में हमास को ठिकाने लगाने के लिए और अब लेबनान में हिजबुल्लाह को नेस्तनाबूद करने के लिए लंबे समय से जबरदस्त बमबारी कर रहा है, जिससे हजारों आम नागरिक भी मारे जा चुके हैं.
'चुनौतियों से जूझ रही है दुनिया'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा,'हमारी बैठक ऐसे समय में हो रही है, जब दुनिया विभिन्न चुनौतियों से जूझ रही है. दुनिया उत्तर-दक्षिण और पूरब-पश्चिम के विभाजन की भी बात कर रही है. ऐसे समय सभी के लिए महंगाई को रोकना, हर किसी के लिए खाना, ऊर्जा और स्वास्थ्य सुनिश्चित करना व जल संकट से निपटना प्राथमिकता पर होना चाहिए. तकनीकी युग में नई चुनौतियां सिर उठा रही हैं, जिनमें झूठी खबरें (ऑनलाइन फैलाना) और डीपफेक जैसे साइबर फ्रॉड से जूझना शामिल हैं.'
'ब्रिक्स युद्ध नहीं वार्ता का समर्थन करता है'
पीएम मोदी ने कहा,'दुनिया में जो माहौल है, ऐसे समय में ब्रिक्स समूह से काफी उम्मीदें हैं. मेरा मानना है कि एक विविध और समावेशी मंच के रूप में हम सभी क्षेत्रों में सकारात्मक भूमिका निभा सकते हैं. इस संबंध में हमारा दृष्टिकोण जन-केंद्रित होना चाहिए. हमें दुनिया को बताना होगा कि ब्रिक्स विभाजनकारी नहीं है. हम युद्ध का नहीं, बल्कि संवाद और कूटनीति का समर्थन करते हैं. पिछले दो दशकों में ब्रिक्स ने अनेक उपलब्धि हासिल की है आने वाले दिनों में यह संगठन वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए और अधिक प्रभावी माध्यम बनकर उभरेगा.'
'आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई की जरूरत'
पीएम मोदी ने आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई की जरूरत बताई. उन्होंने कहा,"काउंटर टैररिज्म और टैरर फाइनेंसिंग के खिलाफ हमें एक दिमाग से सोचने और मजबूत समर्थन करने की जरूरत है. इस गंभीर मसले पर किसी भी तरीके का दोहरा मानक नहीं अपनाया जा सकता है. हमें हमारे देशों में युवाओं को कट्टरपंथी बनने से रोकने के लिए एक्विव स्टेप उठाने की जरूरत है.'
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