डीएनए हिंदी: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बारे में कहा जाता है कि वह अपने दुश्मनों को माफ नहीं करते हैं. उनकी छवि महाबली वाली है. उनके खिलाफ पूरा यूरोपियन यूनियन है, अमेरिका है फिर भी उन्होंने यूक्रेन के खिलाफ अपने तेवर नहीं बदले. व्लादिमीर पुतिन की ताकतवर छवि अब खतरे में है. उनके बेहद करीबी सहयोगी रहे वैगनर आर्मी की बगावत के बाद अब पुतिन की क्षमताओं को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं.
महज 24 घंटे में व्लादिमीर पुतिन की इस छवि को सबसे ज्यादा नुकसान उनके एक करीबी की वजह से पहुंचा है. येवगेनी प्रिगोझिन पुतिन के रसोइया थे लेकिन उनके सशस्त्र विद्रोह ने पुतिन की जड़ें हिला दी हैं. कई मीडिया में रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ अब विद्रोह के स्वर और तेज होने वाले हैं.
पुतिन के रहते राजधानी में घुस आई वैगनर आर्मी
वैगनर आर्मी मास्को की ओर तेजी से आगे बढ़ रही थी. विद्रोह के बाद खुद पुतिन ने देश को संबोधित किया और कहा कि यह विश्वासघात है. रूसी सेना राजधानी की रक्षा के लिए दौड़ पड़ी थी. येवगेनी प्रिगोझिन की अध्यक्षता वाली वैगनर आर्मी का दावा है कि मास्को के 200 किलोमीटर अंदर तक दाखिल हो चुकी थी. व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ अब लोग आवाज उठा रहे हैं.
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पुतिन से बगावत, दोस्त ने दी पनाह, क्या मजबूर हो गए हैं रूसी राष्ट्रपति?
येवगेनी प्रिगोझिन अब बेलारूस जाएंगे. उन्हें निर्वासन दिया जा रहा है. उनके खिलाफ विद्रोह के आरोप हटाने के लिए समझौता हुआ है. व्लादिमीर पुतिन के लिए यह समझौते किसी झटके से कम नहीं है क्योंकि उनकी आर्मी ने बगावत की थी और पुतिन के माथे पर पसीने आ गए थे. येवगेनी प्रिगोझिन पर देशद्रोह के आरोप हैं लेकिन न तो उन्हें गिरफ्तार किया जा रहा है, न ही उन पर सख्त ऐक्शन लिया जा रहा है.
पुतिन के हाथों से छूट रही रूस की कमान
येवगेनी प्रिगोझिन अपना निर्वासन बेलारूस में काटेंगे. बेलारूस रूस समर्थक है और उसने यूक्रेन संघर्ष में क्रेमलिन का समर्थन किया था. अब ऐसा लग रहा है कि व्लादिमीर पुतिन रूस की बागडोर संभालने वाले इकलौते शख्स नहीं रह गए हैं. प्रिगोझिन ऐसे देश में सुरक्षित रहने की उम्मीद में है, जिसका राष्ट्रपति पुतिन के इशारे पर काम करता है. उन्होंने पुतिन को चुनौती दी और वह पुतिन के खास दोस्त के यहां रह रहे हैं. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या व्लादिमीर पुतिन अघोषित रूप से कमजोर हो गए हैं.
क्या विद्रोहियों के सामने मजबूर हो गए हैं पुतिन?
व्लादिमीर पुतिन वैगनर आर्मी में शामिल विद्रोहियों के खिलाफ भी कोई एक्शन नहीं लेने वाले हैं. उनका रुख विद्रोहियों पर नरम है. ऐसा कम देखने को मिला है, जब पुतिन ने अपने खिलाफ बगावत करने वालों को बख्श दिया हो. रूसी सेना इतनी मजबूर है कि अब वैगनर सैनिकों को सेना में शामिल होने के लिए कॉन्ट्रैक्ट तक दिया जाएगा.
दुनिया को थी बगावत की खबर, पुतिन थे अनजान
मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि येवगेनी प्रिगोझिन रूसी सेना के पास ही अपनी सेना को बढ़ा रहा था. पहले कहा गया था कि वैगनर का विद्रोह, सिर्फ इसलिए था क्योंकि यूक्रेन में उनके शिविरों पर हमला बोला गया था. वैश्विक तौर पर यह भी संदेश गया है कि व्लादिमीर पुतिन के पास बगावत का खुफिया इनपुट तक नहीं था, जिसे वह उठने से पहले ही कुचल सकें. अगर ये अमेरिकियों को पता था, तो मॉस्को को इसकी जानकारी क्यों नहीं हो सकी?
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कहीं और बढ़ न जाए रूस में बगावत
मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि यूक्रेन युद्ध का असर, रूस पर व्यापक तौर पर पड़ सकता है. वैगनर आर्मी का विद्रोह पहला था, आने वाले दिनों में बगावत की जंग तेज हो सकती है. ऐसा भी हो सकता है कि व्लादिमीर पुतिन के कठोर शासन का अंत हो जाए, या वे पहले से ज्यादा प्रशासनिक तौर पर कमजोर हो जाएं.
अब क्या हैं पुतिन के सामने चुनौतियां?
व्लादिमीर पुतिन के लिए अगला बड़ा कदम रूसी रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु के साथ साफगोई से बातचीत है. प्रिगोझिन ने आरोप लगाया है कि सर्गेई शोइगु के इशारे पर यूक्रेन में वैगनर सैनिकों के कैंप पर हमला हुआ. यही वजह है कि प्राइवेट आर्मी ने विद्रोह कर दिया. अगर व्लादिमीर पुतिन सर्गेई शोइगु को छोड़ते हैं तो उन्हें रूस की राजनीति में टिकने के लिए कई मुश्किलों से गुजरना होगा. वैसे भी व्लादिमीर पुतिन के करीबी ही उन्हें धोखा दे रहे हैं.
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