डीएनए हिंदी: यूक्रेन (Ukraine) पर रूस (Russia) के हमले के बाद बड़ी संख्या में लोग पलायन कर रहे हैं. यूक्रेन के पड़ोसी देश पोलैंड (Poland) में शरणार्थियों का तांता लगा हुआ है. अब तक करीब 4.5 लाख शरणार्थी पोलैंड पहुंच
चुके हैं, जिनमें भारतीय भी शामिल हैं.
पोलैंड अपनी 535 किलोमीटर लंबी सीमा यूक्रेन के साथ साझा करता है. रूस के साथ पोलैंड अपनी सीमा भी साझा करता है. मौजूदा वक्त में पोलैंड नाटो बलों का सबसे बड़ा केंद्र बन गया है. अब बड़ा सवाल यह है कि क्या रूस, यूक्रेन पर हमला करने के बाद अपने दूसरे पड़ोसी देशों पर भी हमला कर सकता है?
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पोलैंड है नाटो का सबसे बड़ा सैन्य अड्डा
वॉरसा (Warsaw) वही शहर है जहां सोवियत संघ ने 1955 में पूर्वी यूरोप के कम्युनिस्ट देशों के साथ सैन्य गठबंधन की घोषणा की थी. यह गठबंधन नाटो देशों के खिलाफ था. इस समझौते पर पोलैंड के वॉरसा शहर में हस्ताक्षर किए गए थे. नाटो के खिलाफ इस सैन्य गठबंधन को वॉरसा संधि का नाम दिया गया. सोवियत संघ का विघटन हुआ. तस्वीर बदल गई. पोलैंड अब नाटो देशों का मुख्य केंद्र बन गया है. फिलहाल पोलैंड में 5,000 अमेरिकी सैनिक और अन्य नाटो देशों के 12 हजार सैनिक तैनात हैं.
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नाटो और पोलैंड के 99,000 सैनिक युद्ध के लिए तैयार
ब्रिटिश सेना (British army) ने अपने टैंक और बख्तरबंद वाहन (Armoured Vehicles) एस्टोनिया (Estonia) भेजे हैं. फ्रांस (France) ने भी यहां अपने फाइटर जेट्स तैनात किए हैं. जर्मनी ने बाल्टिक सागर में खतरनाक युद्धपोत तैनात किए हैं. वहीं ब्रिटेन की रॉयल एयर फोर्स के फाइटर जेट्स रोमानिया और पोलैंड में लगातार गश्त कर रहे हैं. इसके अलावा पोलैंड की सेना के 99 हजार सैनिक हैं, जो युद्ध में जाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं.
अगर रूस पोलैंड पर हमला करे तो क्या होगा अंजाम?
यूक्रेन के सीमावर्ती देश पोलैंड, स्लोवाकिया, हंगरी और रोमानिया नाटो देशों का हिस्सा हैं. इसलिए अगर रूस इन देशों पर हमला करता है तो इसे सीधे तौर पर नाटो देशों पर हमला माना जाएगा. अगर रूस ने ऐसा किया तो 34 लाख नाटो सैनिक रूस से भिड़ेंगे. नाटो में कुल 30 देशों में 34 लाख सैनिक हैं. यानी भारत जैसे देश की सेना का लगभग दोगुनी सेना रूस के 8 लाख सैनिकों के खिलाफ युद्ध में उतरेगी.
कौन से देश हो सकते हैं पुतिन का अगला टार्गेट?
व्लादिमीर पुतिन केवल उन्हीं पड़ोसी देशों को निशाना बना सकते हैं जो नाटो के सदस्य देश नहीं हैं. ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि रूस अब मोल्दोवा पर हमला बोल सकता है. रूस ट्रांसनिस्ट्रिया पर भी धावा बोल सकता है.
व्लादिमीर पुतिन कभी नहीं उठाएंगे जोखिम!
नॉर्थ अटलांटिक संधि संगठन (NATO) के अनुच्छेद 5 में कहा गया है कि अगर उसके किसी सदस्य देश पर हमला होता है, तो इसे अन्य सदस्य देशों पर भी हमला माना जाएगा. व्लादिमीर पुतिन समझदारी की रणनीति पर चलने वाले नेता हैं. उनके लिए अपने हित सर्वोपरि हैं. यही वजह है कि वह गिन-गिनकर ऐसे देशों पर धावा बोल रहे हैं जो सीधे नाटो के सदस्य देश नहीं हैं. नाटो से सीधे भिड़ने का जोखिम पुतिन कभी नहीं उठाना चाहेंगे.
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