डीएनए हिंदी: युद्ध के हालात किस तरह के स्थिति पैदा कर देते हैं आप यहां बैठकर अंदाज भी नहीं लगा सकते. हम टीवी और सोशल मीडिया पर छात्रों के भारत लौटने की तस्वीरें देख रहे हैं लेकिन असल में छात्र जिस तकलीफ से गुजर रहे हैं उसकी कल्पना भी मुश्किल है. एक तरफ भारत सरकार उनकी मदद को खड़ी है लेकिन वहां के हालात ऐसे हैं कि छात्र अब धीरज खो रहे हैं. खासतौर पर ईस्ट यूक्रेन के सुमी में फंसे छात्र एक अलग ही मेंटल टॉर्चर से गुजर रहे हैं. करीब चार दिन पहले उन्हें जानकारी मिली थी कि उनका इवैकुएशन जल्द होने वाला है. इसके बाद से रोज छात्र इसी इंतजार में हैं कि उनका नंबर कब लगेगा?
तीन दिन से नहीं आ रहा पानी
सुमी में फंसी जिया बलूनी ने बताया कि वहां तीन दिन से पानी नहीं आया है. अब उनके पास पीने, खाना पकाने और टॉयलेट जैसी बेसिक सुविधाओं के लिए पानी नहीं है. बच्चे बाहर जाकर बाल्टियों में बर्फ भरकर ला रहे हैं ताकि कम से कम वॉशरूम के लिए पानी का इंतजाम कर सकें. इससे पहले 5 मार्च को अचानक शाम को लाइट काट दी गई. हमें पहले से कोई जानकारी नहीं थी इस वजह से कई बच्चे रात को भूखे सोए क्योंकि खाने का कोई इंतजाम नहीं हो पाया. जिया ने बताया कि वहां पर कुकिंग के लिए इंडक्शन प्लेट इस्तेमाल की जाती हैं ऐसे में जब लाइट चली गई तो बच्चे अपने लिए कोई इंतजाम नहीं कर सके. आज यानी कि 6 मार्च को सुबह लाइट आई लेकिन पानी का कोई नाम नहीं है. राशन भी खत्म होने की कगार पर है. ऐसे में हालातों में अब बच्चे रोने को मजबूर हो गए हैं.
ईस्ट यूक्रेन में कब होगा इवैकुएशन ?
छात्रों को इस बात की नाराजगी है कि अगर उनके नजदीकी इलाकों जैसे खारकिव में बसें पहुंच रही हैं तो आखिर इनके बारे में जल्दी कोई प्लान क्यों नहीं बनाया जा रहा. उनकी सरकार से यही अपील है कि जल्द से जल्द से उन्हें भी वहां से निकाला जाए.
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