डीएनए हिंदी: Russia को यूक्रेन में जंग छेड़े हुए 50 दिन से ज्यादा हो चुके हैं. दुनिया की सबसे बड़ी ताकतों में से एक रूस अब तक यूक्रेन को झुकाने में कामयाब नहीं हो पाया है. इस काम के लिए रूस ने अब किराए के लड़ाकों को काम पर लगाया है.
रूस ने तैनात किए किराए के सैनिक
रशिया ने यूक्रेन में अपनी लड़ाई और तेज कर दी है. इसके तहत अब रशिया ने किराए के सैनिक भी यूक्रेन में तैनात करने शुरू कर दिए हैं. ब्रिटेन के अखबार द गार्डियन की रिपोर्ट के मुताबिक रशिया ने सीरिया, लीबिया सहित अन्य देशों के किराए के लड़ाकों को यूक्रेन में लड़ने के लिए भेजा है. अखबार के मुताबिक करीब 20 हजार किराए के लड़ाकों को रूस ने यूक्रेन के डोनबास इलाके में तैनात किया है. रशियन कंपनी द वागनर ग्रुप ने इन भाड़े के लड़ाकों को किराए पर लिया है. इन्हें इनकी रैंक के मुताबिक 600 डॉलर से 3000 डॉलर तक हर महिने मेहनताने के तौर पर दिए जा रहे हैं.
क्रूरता बढ़ती है भाड़े के लड़ाकों से
युद्ध मानवता के खिलाफ होने वाला एक अत्याचार है. एक दुर्भाग्यपूर्ण कहावत है प्यार और जंग में सब जायज है. सवाल उठता है कि आखिर रूस का इन लड़ाकों को यूक्रेन में तैनात करने के पीछे क्या मकसद है? इस सवाल के जवाब के तौर पर डिफेंस एक्सपर्ट शैलेंद्र सिंह ने बताया कि “जब इस तरह के भाड़े के लड़ाके युद्ध में उतारे जाते हैं तो युद्ध की क्रूरता और बढ़ जाती है. रशिया का मकसद भी यही है कि यूक्रेन की जनता पर क्रूरता और अत्याचार को और बढ़ाया जाए. इससे युद्ध के नियमों के खिलाफ किए जाने वाले सभी तरह के गंदे और अनैतिक काम उन्हे खुद करने की जरूरत नहीं पड़ेगी.”
रशियन सैनिकों को मौत से बचाने के लिए
दूसरा सवाल उठता है कि दुनिया की सबसे बड़ी सेना वाले देशों में शामिल रशिया को आखिर किराए के लड़ाकों की जरूरत क्या थी? इस बारे में डिफेंस एक्सपर्ट शैलेंद्र सिंह का कहना है कि “अपने सैनिकों को मौत के मुंह में जाने से बचाने के लिए रशिया को ये कदम उठाने की जरूरत पड़ी.”
क्या होते हैं किराए के लड़ाके
किराए के लड़ाके ऐसे सैनिक होते हैं जो युद्ध कर रही दोनों सेनाओं में से किसी के भी सदस्य नहीं होते हैं. अपने निजी फायदे के लिए किसी एक सेना की तरफ से लड़ते हैं. डिफेंस एक्सपर्ट शैलेंद्र सिंह ने बताया, ''किराए के लड़ाके युद्ध में लड़ने के एवज में एक कीमत लेते हैं. जीत के लिए ये किसी भी हद तक उतर सकते हैं. ये बेरहम होते हैं.”