Russia-Ukraine War: UNSC की बैठक में Russia ने किया वीटो का इस्तेमाल, India और China ने नहीं की वोटिंग

| Updated: Feb 26, 2022, 07:14 AM IST

यूक्रेन में रूसी सैन्य कार्रवाई को लेकर UNSC की बैठक हुई लेकिन इसमें रूस के खिलाफ पेश प्रस्ताव गिर गया है.

डीएनए हिंदी: रूस और यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) को लेकर पिछले एक हफ्ते में तीसरी बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nation Security Council) की बैठक बुलाई गई लेकिन इसमें भी रूस के खिलाफ को सख्त कदम उठता नजर नहीं आया है. यूक्रेन पर रूस की सैन्य कार्रवाई के खिलाफ UNSC में पेश किया गया प्रस्ताव गिर गया. एक तरफ जहां भारत चीन और यूएई (India, China & UAE) ने इसमें वोटिंग ही नहीं की तो दूसरी ओर इस बैठक में रूस ने अपनी वीटो पावर का इस्तेमाल कर नाटो देशों NATO को झटका दे दिया. 

रूस के खिलाफ रखा गया था प्रस्ताव

रूस के खिलाफ पेश इस प्रस्ताव में रूस की 'आक्रामकता' की निंदा के साथ ही यूक्रेन से 'तत्काल और बिना शर्त' रूसी सेना की वापसी की भी बात कही गई है. यह प्रस्ताव UNSC में अमेरिका और अल्बानिया द्वारा पेश किया गया. इसमें रूसी आक्रामकता, हमला और यूक्रेनी संप्रभुता के उल्लंघन की निंदा शामिल है. वहीं प्रस्ताव में यूक्रेन की संप्रभुता, स्वतंत्रता, एकता और क्षेत्रीय अखंडता को लेकर प्रतिबद्धता जताई गई और रूसी हमले को अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा का उल्लंघन बताया गया है. 

रूस ने किया वीटो पावर का इस्तेमाल

वहीं इस बैठक में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 15 सदस्य देशों में से 11 देशों ने यूक्रेन में रूस की कार्रवाई की निंदा वाले प्रस्ताव पर वोट डाला जबकि भारत, चीन और UAE ने इससे दूरी बनाई है लेकिन रूस के वीटो पावर ने इस प्रस्ताव का रास्ता ही रोक दिया है. गौरतलब है कि इस प्रस्ताव में यह भी कहा गया था कि पूर्वी यूक्रेन के दोनेत्सक और लुहांस्क को अलग मान्यता देने के रूस के फैसले को पलटा जाए और कहा गया है कि यूक्रेन में जरूरतमंद लोगों को मानवीय सहायता की तीव्र, मानवीय कर्मियों और बच्चों सहित कमजोर परिस्थितियों में व्यक्तियों की रक्षा के लिए सुरक्षित और निर्बाध पहुंच की स्वीकृति दे. 

क्या रहा भारत का रुख

भारत ने रूस के खिलाफ इस वोटिंग से खुद को अलग किया है. वहीं UNSC में भारत का पक्ष रख रहे राजनयिक एस. तिरुमूर्ति ने कहा, “यूक्रेन में हाल ही में हुए घटनाक्रम से भारत बेहद परेशान है. हम आग्रह करते हैं कि हिंसा और शत्रुता को तत्काल समाप्त करने के सभी प्रयास किए जाएं. नागरिकों के जीवन की सुरक्षा के लिए अभी तक कोई भी समाधान नहीं निकाला गया है."

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इसके साथ ही उन्होंने भारत का रुख स्पष्ट करते हुए कहा, “सभी सदस्य देशों को रचनात्मक तरीके से आगे बढ़ने के लिए सिद्धांतों का सम्मान करने की आवश्यकता है. मतभेदों और विवादों को निपटाने के लिए संवाद ही एकमात्र उत्तर है, हालांकि इस समय ये कठिन लग सकता है.” उन्होंने कहा, “इस बात से खेद है कि कूटनीति का रास्ता छोड़ दिया गया है हमें उस पर लौटना होगा. इन सभी कारणों से भारत ने इस प्रस्ताव पर परहेज करने का विकल्प चुना है."

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