यूक्रेन को तबाह होने से कैसे बचा सकते हैं Volodymyr Zelenskyy?

अभिषेक शुक्ल | Updated:Feb 27, 2022, 10:13 PM IST

Volodymyr Zelenskyy (File Photo)

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने दावा किया है कि रूसी सैनिक उन्हें मारना चाहते हैं क्योंकि पुतिन यूक्रेन में सत्ता परिवर्तन चाहते हैं.

डीएनए हिंदी: यूक्रेन (Ukraine) के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की (Volodymyr Zelenskyy) राजधानी कीव की गलियों में अपनी सेनाओं के साथ नजर आ रहे हैं. उन्होंने रूस (Russia) के सामने हथियार डालने से इनकार कर दिया है. ज़ेलेंस्की ने यह जता दिया है कि वह अपने देश का साथ देंगे, यूक्रेन नहीं छोड़ेंगे. यूक्रेन की राजनीति में ज़ेलेंस्की अचानक उभरने वाले नेता रहे हैं.

वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की साल 2019 में सत्ता में आए. उनके पास कोई राजनीतिक अनुभव नहीं था. उन्होंने यूक्रेन की कमान ऐसे वक्त में संभाली जब 45 मिलियन की आबादी वाला देश भ्रष्टाचार, गृहयुद्ध और रूस के साथ भीषण तनाव से जूझ रहा था.

जब वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की यूक्रेन के राष्ट्रपति बने तो उन्हें उनके विरोधियों ने राजनीतिक नौसिखिया कहा. वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की की 'सर्वेंट ऑफ़ द पीपुल्स' पार्टी भी शक के घेरे में रही कि यह कैसे यूक्रेन की सरकार चला सकेगी. आलोचकों ने तो यहां तक कह दिया कि ज़ेलेंस्की ओलिगर्च इगोर कोलोमोस्की की कठपुतली हैं. 

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किन दावों के सहारे सत्ता में आए थे वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की?

चुनावों में वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की को 73 फीसदी से अधिक वोट मिले. उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव जीता. जब वह राष्ट्रपति चुने गए तब तक भी उनका कॉमेडी शो टीवी पर प्रसारित होता रहा. ज़लेंस्की सत्ता में आए और उन्होंने कहा कि वह रूसी आक्रमण से देश की हिफाजत करेंगे और रक्षा तंत्र को मजबूत करेंगे. वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की का जन्म किरीवयी रीह में एक यहूदी परिवार में हुआ था. इस शहर की गिनती यूक्रेन के प्रमुख औद्योगिक शहरों में होती है. ज़ेलेंस्की ने कीव नेशनल इकोनॉमिक यूनिवर्सिटी से लॉ की डिग्री हासिल की. राष्ट्रपति बनने के बाद उनकी पहली बड़ी कूटनीतिक कामयाबी तब मानी गई जब वह रूस से युद्ध कैदियों के ग्रुप को अपने देश वापस लाए. कुछ रूसी कैदियों को भी रिहा किया.

कहां हुई वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की से चूक?

वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की का झुकाव पश्चिमी देशों की ओर हमेशा रहा. सत्ता संभालने के बाद से ही उन्होंने यह जता दिया था कि नार्थ अटलांटिक ट्रिटी ऑर्गेनाजेशन (NATO) में शामिल देशों की ओर उनका झुकाव है. यूक्रेन रूस से दूर और पश्चिमी देशों के करीब हमेशा से रहा है. विदेश नीति को न बदलना यूक्रेन पर भारी पड़ा. रूस चाहता है कि यूक्रेन कभी पश्चिमी देशों के साथ न जाए. अगर रूस से बेहतर रिश्ते रखने में ज़ेलेंस्की कामयाब होते तो शायद यूक्रेन आज त्रासदी से नहीं जूझ रहा होता. 

किस बेबसी से रूसी तैयारी को देख रहे थे ज़ेलेंस्की?

दिसंबर 2021 से ही रूस ने सैन्य अभ्यास के बहाने यूक्रेन की सीमाओं के पास अपने सैनिकों को इकट्ठा करना शुरू कर दिया था. 2 महीने से यूक्रेन की सीमा के पास रूस के करीब 1,20,000 सैनिक तैनात थे. रूस की यूक्रेन पर हमले की योजना को लेकर अमेरिका कई बार आगाह कर चुका था. ज़ेलेंस्की बार-बार यह कहते रहे कि युद्ध जैसे हालात नहीं हैं. 

आक्रमण की शुरुआत के कुछ दिनों पहले तक अमेरिका यह कहता रहा कि रूस आक्रमण करेगा. ज़ेलेंस्की इस दौरान यूरोप से सैन्य समर्थन, हथियार और फंड जुटाते रहे. 24 फरवरी को ज़ेलेंस्की यूरोप के सबसे कमजोर राष्ट्रपति साबित हो गए. रूस ने यूक्रेन पर चौतरफा हमला बोल दिया. डोंटेस्क और लुहांस्क प्रांत को स्वतंत्र राष्ट्र की मान्यता दे दी. 

यूरोप के सबसे मजबूर राष्ट्रपति हैं ज़ेलेंस्की!

ज़ेलेंस्की मजबूर शासक की तरह यह सब देखते गए. उनके पास न तो रूसी हमले से निपटने की ताकत है न ही रूस के सामने वह टिक सकते हैं. रूसी टैंक यूक्रेन की राजधानी कीव में दाखिल हो गए हैं. खारकीव शहर में रूसी सैनिक घूम रहे हैं. यूक्रेन ने आरोप लगाया है कि देश पर बैलेस्टिक मिसाइल से हमला किया जा रहा है. समुद्र में पहले से ही रूस के युद्धक टैंक घूम रहे हैं. काला सागर पर रूस का अखंड साम्राज्य है.

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जानकारों का कहना है कि रूस में जब तक व्लादिमीर पुतिन का राज है, यूक्रेन कभी नाटो में शामिल नहीं हो सकता है. यूरोपियन यूनियन में भी उनकी एंट्री असंभव है. पुतिन इतने सक्षम हैं कि एक बार पूरे यूरोप से भिड़ जाएं लेकिन यूक्रेन का साथ पूरा यूरोप एकजुट होकर दे तो भी रूस का कुछ नहीं बिगड़ सकता है.

कैसे यूक्रेन को और तबाही से बचा सकते हैं वोलेदिमीर ज़ेलेंस्की?

रूस महाशक्तियों की लिस्ट में शुमार है. वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की के सामने सरेंडर के सामने कोई दूसरा विकल्प नहीं है. अमेरिका यह कह चुका है कि वह यूक्रेन में घुसकर रूस के खिलाफ लड़ाई नहीं करेगा. नाटो देश साहस नहीं जुटा पा रहे हैं कि रूस से लड़ें. यूक्रेन नाटो में शामिल भी नहीं हुआ है. नाटो और यूरोपीय यूनियन से नजदीकी बढ़ाने की जिद यूक्रेन को छोड़नी होगी. अगर यूक्रेन यह सब करता है तो शायद रूस एक बार फिर अपनी सेनाओं को वापस ले.


वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की बार-बार कह रहे हैं वह रूसी सैनिकों के निशाने पर हैं. उन्होंने कहा है कि रूस उनकी हत्या करना चाहता है. ज़ेलेंस्की मानते हैं कि अगर रूस ने देश के मुखिया का कत्ल कर दिया तो दुनिया को संदेश साफ जाएगा कि यूक्रेन बेहद कमजोर देश है. रूस यूक्रेन को वैश्विक राजनीति से खत्म करना चाहता है. तमाम दावों के बाद भी ज़ेलेंस्की अपने परिवार के साथ कीव में ठहरे हैं. वह अपनी सेना का मनोबल बढ़ा रहे हैं.

'जिनके भरोसे थे ज़ेलेंस्की, उन्होंने छोड़ा अकेला'

नाटो और पश्चिमी देशों के रुख से भी ज़ेलेंस्की खुश नहीं हैं. जिनके नजदीक जाने की कीमत यूक्रेन चुका रहा है, उन्हीं देशों ने यूक्रेन से अभी तक किनारा किया है. सिर्फ आर्थिक प्रतिबंध रूस का कुछ भी नहीं बिगाड़ सकते. उसके पास एशिया का विशाल बाजार है, जिसका वह बेताज बादशाह है. ज़ेलेंस्की यह भी कह चुके हैं कि यूक्रेन को कौन देश नाटो की सदस्यता दिलाएगा, जब हर किसी को रूस से डर है. दुनिया ने रूस के खिलाफ जंग में यूक्रेन को अकेला छोड़ दिया है. वोलोदिमीर जेलेंस्की यूक्रेन के सबसे बहादुर राष्ट्रपति हो सकते हैं लेकिन युरोप के सबसे कमजोर राष्ट्रपति हैं जो अपने नागरिकों, सैनिकों को मरते देख रहे हैं. अपने शहरों को तबाह होते देख रहे हैं.

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