'हम फिर से 9/11 या 26/11 नहीं होने देंगे', UNSC में बोले एस जयशंकर, चीन-पाक पर साधा निशाना

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Dec 16, 2022, 06:39 AM IST

जयशंकर ने चीन पर कसा तंज

UNSC Briefing: एस जयशंकर ने आतंकवाद को दुनिया के लिए सबसे बड़ा और गंभीर खतरा बताया. साथ ही इस मुद्दे पर पाकिस्तान और चीन को जमकर घेरा.

डीएनए हिंदी: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में आतंकवाद के मुद्दे पर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर जमकर बरसे. उन्होंने आतंकवाद के पनाहगारों को सीधा और तीखा संदेश दिया. जयशंकर (S Jaishankar) ने कहा, 'हम आतंकवाद के मुद्दे पर एक हैं और फिर से मुंबई का 26/11 और न्यूयॉर्क का 9/11 नहीं होने देंगे.' उन्होंने पाकिस्तान पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) को बताया कि आतंकवाद (Terrorism) का सामयिक केंद्र अब भी बेहद सक्रिय है। उन्होंने चीन को परोक्ष रूप से कठघरे में खड़ा करते हुए इस बात को लेकर अफसोस भी जताया कि आतंकवादियों को काली सूची में डालने के लिए साक्ष्य समर्थित प्रस्तावों को पर्याप्त कारण बताए बिना रोक दिया जाता है.

UNSC ब्रीफिंग में ग्लोबल काउंटर टेररिज्म अप्रोच चैलेंज एंड वे फॉरवर्ड की अध्यक्षता करते हुए एस जयशंकर ने आतंकवाद को अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बताया. उन्होंने कहा कि आतंकवाद कोई सीमा, राष्ट्रीयता या नस्ल नहीं जानता. उन्होंने अपने संबोधन में 15 सदस्यीय परिषद से कहा कि आतंकवाद का खतरा वास्तव में और भी गंभीर हो गया है. हमने अल-कायदा, दाएश, बोको हराम और अल शबाब और उनके सहयोगियों का विस्तार देखा है. विस्तार के दूसरे छोर पर ऑनलाइन कट्टरता और पूर्वाग्रहों से प्रेरित ‘लोन वुल्फ’ (अकेले सदस्य द्वारा किया जाने वाला हमला) हमले हैं. 

ये भी पढ़ें- Telangana में मोबाइल निकालने घुसा युवक दरार के बीच फंसा, 3 दिन तक ब्लास्ट किए, 12 चट्टानें हटाईं, तब बची जान

पाकिस्तान को जमकर लताड़ा
जयशंकर ने कहा, “हम फिर से न्यूयॉर्क के 9/11 या मुंबई के 26/11 को दोहराने नहीं दे सकते.” उन्होंने कहा कि आतंकवाद से मुकाबला एक ऐसी लड़ाई है जिसमें कोई राहत नहीं है. दुनिया ध्यान में कमी या सामरिक समझौता बर्दाश्त नहीं कर सकती है. इस संबंध में वैश्विक प्रतिक्रिया का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी सबसे अधिक सुरक्षा परिषद की है. उन्होंने कहा कि दुनिया अब अतीत की तरह आतंकवाद को उचित ठहराने या उसे छिपाने के लिए तैयार नहीं हो सकती है. कड़वे अनुभव के माध्यम से हम जानते हैं कि आतंकवाद, आतंकवाद ही है स्पष्टीकरण चाहे जो भी दिया जाए. सवाल अब उस देश की जिम्मेदारियों के बारे में उठता है जिसकी जमीन से इस तरह की कार्रवाइयों की योजना बनाई जाती है, समर्थन किया जाता है और अंजाम दिया जाता है.

ये भी पढ़ें- Nirav Modi को अब लौटना पड़ेगा भारत, ब्रिटिश कोर्ट ने ठुकराई ये अर्जी

उन्होंने चीन को भी कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि कुछ ऐसे मौके आते हैं जहां साक्ष्य-समर्थित प्रस्ताव होते हैं लेकिन उन्हें पर्याप्त कारण बताए बिना रोक दिया जाता है. इसके विपरीत, नाम न जाहिर किए जाने का भी सहारा लिया जाता है, ताकि अपुष्ट मामलों की जिम्मेदारी लेने से बचा जा सके. उनकी टिप्पणी में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध समिति में वीटो-शक्ति वाले स्थायी सदस्य चीन द्वारा पाकिस्तान की धरती पर स्थित आतंकवादियों को काली सूची में डालने के भारत के प्रस्तावों पर बार-बार बाधित करने और रोके जाने को लेकर थी. 

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर