डीएनए हिंदी: पाकिस्तान (Pakistan) की फेडरल शरीयत कोर्ट (FSC) ने कहा है ब्याज लेने वाली बैंकिंग प्रणाली शरिया (Sharia) के खिलाफ है. कोर्ट का यह रिएक्शन ऐसे वक्त में सामने आया है जब देश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित हुई. हर राज्य पर कर्ज अपने उच्चतम स्तर पर है. शहबाज शरीफ सरकार के सामने भी सबसे बड़ी चुनौती देश को आर्थिक संकट से बाहर निकालने की है.
एक लंबे समय से लंबित मामले में, पाकिस्तान में ब्याज आधारित बैंकिंग प्रणाली को शरिया के खिलाफ घोषित किया गया है. फ़ेडरल शरीयत कोर्ट (FSC) ने गुरुवार को यह फैसला सुनाया है. कोर्ट ने अपने फैसले में संघीय सरकार और प्रांतीय सरकारों को कानूनों में संशोधन करने का आदेश दिया है.
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ब्याजमुक्त लोन दें बैंक, कोर्ट का निर्देश
कोर्ट ने कहा है कि दिसंबर 2027 तक देश की बैंकिंग प्रणाली को ब्याज मुक्त बना दिया जाए. पाकिस्तान की आर्थिक बदहाली के बारे में पूरी दुनिया जानती है. ऐसी स्थिति में कोर्ट का यह फैसला सरकार की मुसीबत को और बढ़ा सकता है.
कोर्ट ने सरकार को ब्याज मुक्त प्रणाली के तहत लोन उपलब्ध कराने का भी निर्देश दिया है. यह फैसला ऐसे समय में आया है जब पाकिस्तान गहरे वित्तीय संकट से जूझ रहा है और विभिन्न संगठनों और देशों से कर्ज हासिल करना चाहता है.
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सूदखोरी के सख्त खिलाफ है कोर्ट
जस्टिस डॉ सैयद मुहम्मद अनवर ने कहा, 'इस्लामी बैंकिंग प्रणाली जोखिम मुक्त और शोषण के खिलाफ है. लगभग दो दशक बीत चुके हैं लेकिन सरकारों ने ब्याज प्रणाली के खिलाफ कोई निर्णय नहीं लिया है.' कोर्ट ने कहा कि बैंकों को लोन से ज्यादा मिले पैसे सूदखोरी की श्रेणी में आते हैं.
कोर्ट ने ब्याज अधिनियम, 1839 के सभी प्रावधानों को गैरकानूनी घोषित किया है. इसके अंदर सभी बैंक आते हैं जो ब्याज पर लोन देते हैं. पाकिस्तान में ब्याज-आधारित बैंकिंग प्रणाली के खिलाफ दायर कई संवैधानिक याचिकाओं पर एफएससी की बेंच ने सुनवाई की, जिसमें मुख्य न्यायाधीश मुहम्मद नूर मेस्कनजई, न्यायमूर्ति डॉ सैयद मुहम्मद अनवर और न्यायमूर्ति खादिम हुसैन एम शेख शामिल थे.
पाकिस्तान के मंत्री मिफताह इस्माइल ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा हैकि सेंट्रल बैंक इस प्रकरण पर अध्ययन करेगा. इसे सही करने के लिए कोर्ट से वक्त मांगेगा.
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