डीएनए हिंदी: शहबाज शरीफ (Shehbaz Sharif) ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद की शपथ ले ली है. शहबाज शरीफ पाकिस्तान के 23वें प्रधानमंत्री हैं. शहबाज शरीफ के भाई नवाज शरीफ तीन बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रह चुके हैं. शहबाज शरीफ पाकिस्तान के सबसे ज्यादा आबादी वाले और राजनीतिक रूप से अहम पंजाब प्रांत के तीन बार मुख्यमंत्री रहे हैं.
आसिफ अली जरदारी ने रखा था PM पद के लिए नाम
पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति और पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) के सह-अध्यक्ष आसिफ अली जरादरी ने संयुक्त विपक्ष की बैठक में प्रधानमंत्री पद के लिए शहबाज़ के नाम का प्रस्ताव रखा था. उल्लेखनीय है कि शनिवार देर रात संसद के निचले सदन नेशनल असेंबली में एक अविश्वास प्रस्ताव के जरिये इमरान खान को प्रधानमंत्री पद से हटा दिया गया था.
इमरान सरकार गिरने के बाद चुना गया पीएम
पाकिस्तान की संसद ने सोमवार को शहबाज शरीफ को निर्विरोध देश का 23वां प्रधानमंत्री चुन लिया और इमरान खान के खिलाफ आठ मार्च को लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के बाद से देश में बनी अनिश्चितता की स्थिति समाप्त हो गई. पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने अपनी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए इंसाफ के संसद में मतदान में भाग नहीं लेने और वॉकआउट करने की घोषणा की थी, जिसके बाद शहबाज प्रधानमंत्री पद की दौड़ में अकेले उम्मीदवार रह गए थे.
शहबाज शरीफ को मिले 174 वोट
स्पीकर अयाज सादिक ने पीएम पद पर चयन के लिए सत्र की अध्यक्षता की और नतीजों की घोषणा की. शहबाज शरीफ को 174 वोट मिले हैं और उन्हें पाकिस्तान इस्लामी गणराज्य का प्रधानमंत्री घोषित कर दिया गया. 342 सदस्यीय सदन में जीत के लिए कम से कम 172 सदस्यों के समर्थन की जरूरत थी.
1980 में की थी राजनीति में एंट्री
सितंबर 1951 में लाहौर में पंजाबी भाषी कश्मीरी परिवार में जन्में शहबाज़ ने 1980 के दशक के मध्य में अपने बड़े भाई नवाज़ के साथ राजनीति में प्रवेश किया. वह पहली बार 1988 में पंजाब विधानसभा के सदस्य चुने गए जब नवाज़ पंजाब के मुख्यमंत्री बने. शहबाज़ पहली बार 1997 में पंजाब के मुख्यमंत्री बने जब उनके भाई पाकिस्तान के प्रधानमंत्री थे.
साल 1999 में जनरल परवेज मुशर्रफ ने तख्तापलट कर नवाज़ शरीफ को बर्खास्त कर दिया था. इसके बाद शहबाज़ अपने परिवार के साथ आठ साल तक सऊदी अरब में निर्वासन में रहे और 2007 में वतन लौटे. वह 2008 में दूसरी और 2013 में तीसरी बार पंजाब के मुख्यमंत्री बने.
शहबाज़ ने दावा किया है कि जनरल मुशर्रफ ने उन्हें प्रधानमंत्री पद की पेशकश की थी और शर्त रखी थी कि वह अपने बड़े भाई नवाज़ को छोड़ दें, लेकिन उन्होंने इसके लिए साफ इनकार कर दिया था. पनामा पेपर्स मामले में 2017 में प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ को पद से अयोग्य घोषित किए जाने के बाद, पीएमएल-एन ने शहबाज़ को पार्टी अध्यक्ष नियुक्त किया. इसके बाद, 2018 के चुनावों के बाद वह नेशनल असेंबली में विपक्ष के नेता बने.