डीएनए हिंदी: जैसे-जैसे स्पेस साइंस विकसित हो रहा है, वैसे-वैसे दुनियाभर के देशों में होड़ भी मचती जा रही है. अमेरिका, चीन और भारत जैसे देश लगातार एक-दूसरे से आगे निकलना चाह रहे हैं. ताजा मामला है चांद पर लैंडिंग (Landing on Moon) के लिए एक जगह तय करने का. लैंडिंग के लिए एक ही जगह पसंद आने की वजह से अब अमेरिका और चीन आमने-सामने आ गए हैं. अमेरिका और चीन के पुराने इतिहास और उनके रिश्ते को देखकर कयास लगाए जा रहे हैं कि अब एक तरह का 'स्पेस वॉर' शुरू हो सकता है. अमेरिका ने पहले भी चीन पर आरोप लगाए हैं कि वह चांद पर कब्जा करने की कोशिश कर रहा है.
इसी महीने की शुरुआत में अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास 13 जगहों को चुना था जो लैंडिंग के लिए सही थीं. नासा अपने Artemis मिशन के ज़रिए चांद पर इंसानी मिशन भेजने की तैयारी कर रहा है. हालांकि, Artemis-1 रॉकेट की लॉन्चिंग को दो बार टाला जा चुका है. इसके बावजूद नासा का कहना है कि वह कुछ ही सालों में चांद पर इंसानों को भेजेगा.
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चांद पर इंसानों को भेजने की तैयारी में हैं अमेरिका और चीन
दूसरी तरफ, चीन ने चांगई-5 लूनर मिशन के तहत इंसानों को चांद पर भेजने का फैसला किया है. इसके लिए उसने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर ही 10 जगहों का चयन किया है. इन 10 में से 3 जगहें ऐसी हैं जो ठीक वही हैं जो अमेरिका ने तय की हैं. अमेरिका और चीन दोनों ने ही शैक्लेटॉन, हैवोर्थ और नोबिल क्रेटर के पास की जगहों को लैंडिंग के लिए चुना है. आने वाले समय में दोनों ही देश चांद पर इंसानी मिशन भेजने के लिए जोर-शोर से तैयारियां कर रहे हैं.
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दोनों देशों ने चंद्रमा पर लैंडिंग के लिए जिन जगहों का चयन किया है वे खास इसलिए हैं कि वहां पर तापमान ठीक रहता है और वे लैंडिंग के साथ-साथ रहने के लिए भी ठीक हैं. स्पेस एजेंसियों का मानना है कि इन जगहों पर अंतरिक्ष यात्री ज़्यादा सुरक्षित रहेंगे और उन्हें किसी तरह के खतरे का सामना करना पड़ेगा.
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