Sri Lanka Economic Crisis: बेकाबू होते हालात के बीच खतरे में राजपक्षे सरकार, जल्द हो सकता है इस्तीफा 

स्मिता मुग्धा | Updated:Apr 05, 2022, 10:57 PM IST

गोटाबाया राजपक्षे का बढ़ा विरोध

श्रीलंका में इस वक्त मौजूदा सरकार के खिलाफ प्रदर्शन लगातार बढ़ रहे हैं. माना जा रहा है कि जल्द राष्ट्रपति की विदाई हो सकती है.

डीएनए हिंदी: गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका  में राजनीतिक अस्थिरता के हालात भी बन रहे हैं. पूरे देश में राजपक्षे परिवार के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं. ऐसे हालात में माना जा रहा है कि राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे जल्द पद छोड़ सकते हैं.अल्पमत में आई श्रीलंका की सरकार के खिलाफ विपक्ष के साथ पूर्व सहयोगी दलों ने भी मोर्चा खोलते हुए इस्तीफे की मांग की है. हालांकि, राजपक्षे कह रहे हैं कि वह इस्तीफा नहीं देंगे लेकिन माना जा रहा है कि ऐसे हालात में उनका इस्तीफा जल्द हो सकता है.

सरकार में चल रहा इस्तीफों का दौर
आर्थिक संकट के बाद देश भर में आपातकाल लगा दिया है. जनता का आक्रोश भी लगातार बढ़ता जा रहा है. राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के नेतृत्व वाली सरकार राजनीतिक मोर्चे पर भी संघर्ष कर रही है. जनता के विरोध को देखते हुए राष्ट्रपति राजपक्षे ने अपने भाई बासिल राजपक्षे को वित्त मंत्री के पद से बर्खास्त कर दिया था. बासिल राजपक्षे देश की सत्तारूढ़ श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना (एसएलपीपी) गठबंधन के निशाने पर थे. इसके बाद अली साबरी को जिम्मा सौंपा था लेकिन उन्होंने पद संभालने के 24 घंटे के अंदर ही इस्तीफा दे दिया था.

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सहयोगी दल भी नहीं रहे साथ, मांग रहे इस्तीफा
सत्तारूढ़ गठबंधन ने 2020 के आम चुनावों में 150 सीटें जीती थीं और विपक्ष के सदस्यों के पाला बदलने से उसकी संख्या में और बढ़ोतरी हुई थी. हालांकि, अब खबर है कि 41 सांसदों ने समर्थन वापस ले लिया है और अब सरकार अल्पमत में है. दूसरी ओर सहयोगी दल भी सरकार पर हमलावर हैं और इस्तीफा मांग रहे हैं.

राजपक्षे सरकार के पास बहुमत नहीं
225 सदस्यों वाले संसद में साधारण बहुमत के लिए ज़रूरी 113 सीटें राजपक्षे सरकार के पास नहीं है. सरकार के पास 5 सांसदों का समर्थन कम है. सरकार के पास पिलहाल 109 सांसद हैं लेकिन राजपक्षे बहुमत का दावा कर रहे हैं. श्रीलंका वर्तमान में इतिहास के सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है. ईंधन, रसोई गैस के लिए लंबी लाइन, आवश्यक वस्तुओं की कम आपूर्ति और घंटों बिजली कटौती से जनता महीनों से परेशान है.

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