Sudan Crisis: अनगिनत मौतें, भागते लोग और गृहयुद्ध में जलते शहर, क्यों सूडान में हर तरफ नजर आ रहा तबाही का मंजर?

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Apr 23, 2023, 10:07 PM IST

दो सैन्य अधिकारियों की आपसी रंजिश में तबाह हो रहा है सूडान.

सूडान, जंग के मैदान में बदल गया है. अफ्रीकी देश पर कब्जे को लेकर दो सैन्य अधिकारी भिड़ गए हैं. पहले से आर्थिक तौर पर बेहद बदहाल इस देश में रहने वाले दुनियाभर के लोग अपने देश लौट रहे हैं.

डीएनए हिंदी: सूडान में दो बड़े सैन्य अधिकारियों के वफादार सैनिकों ने देश को बर्बादी की राह पर धकेल दिया है. सूडानी आर्म्ड फोर्सेस (FAS) के चीफ अब्देल फतह अल बुरहान और रैपिड सपोर्स फोर्सेस (RSF) के लीडर मोहम्मद हमदान दगालो की आपसी जंग ने पहले से बर्बाद देश को और तबाह कर दिया है.

दोनों सैन्य अधिकारियों के बीच जारी जंग में मासूम जनता मर रही है. दोनों के पास हजारों लड़ाके हैं. दोनों के पास फॉरेन फंडिंग है, अकूत संसाधन हैं और दोनों प्रतिबंधों से बेपरवाह है. उन्हें अपने दबदबे के लिए कुछ भी कर जाने से गुरेज नहीं है. 

यह देश भी ठीक उसी राह पर आगे बढ़ गया है, जिस रास्ते पर सीरिया, लीबिया और इथियोपिया जैसे देश जा चुके हैं. तबाही तय है. हजारों लोग पलायन कर रहे हैं. विदेशी नागरिक भाग रहे हैं. सैकड़ों लोग मारे जा चुके हैं. 

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सूडान में अब तक सैकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है. लाखों लोग गोलियों, मिसाइल अटैक और विस्फोटकों से पटे शहरों में फंसे हैं. गलियों में लुटेरों का आतंक है तो आसमान पर मंडराते रॉकेट का खौफ भी है. सूडान के लोग न बाहर जा पा रहे हैं, न ही अंदर रह पा रहे हैं. 

सूडानी आर्म्ड फोर्सेस (FAS) के चीफ अब्देल फतह अल बुरहान और रैपिड सपोर्स फोर्सेस (RSF) के लीडर मोहम्मद हमदान दगालो दोनों सूडान पर पूरी तरह से नियंत्रण चाहते हैं. दोनों बलों के पास न तो हथियारों की कमी है, न ही सैन्य संसाधनों की. 

दोनों ने संयुक्त रूप से एक सैन्य तख्तापलट किया था और लोकतंत्र की मांग को खत्म करने में अहम भूमिका निभाई थी. बड़े आंदोलन के बाद जनता निरंकुश उमर अल-बशीर को हटाने में कामयाब हुई थी लेकिन यह देश एक बार फिर लोकतंत्र से कोसों दूर हो चुका है.

दोनों की जंग में जो भी जीतेगा, वही सूडान का अगला राष्ट्रपति बनेगा. हारने वाले का देशनिकाला, गिरफ्तारी या मृत्युदंड तय है. यह गृहयुद्ध लंबा भी चल सकता है. सूडान का विभाजन भी हो सकता है. यह संघर्ष खूनी संघर्ष में बदल गया है, जिसके लंबा खिंचने की आशंका है. दुनिया भी सूडान के प्राकृतिक खजाने को लूटने के लिए कोई भी कदम उठा सकती है.

सूडान की लड़ाई पर कुछ कर क्यों नहीं पा रही है दुनिया?

सूडान क्षेत्रफल के हिसाब से अफ्रीका का तीसरा सबसे बड़ा देश है. सूडान के चारो तरफ नील नदी है. यह मिस्र और इथियोपिया जैसे देशों का पड़ोसी है. मिस्र अपनी 10 करोड़ आबादी को पानी मुहैया कराने के लिए नील नदी पर निर्भर है. इथियोपिया बड़े पैमाने पर नदी के ऊपर बांध बना रहा है. इसकी वजह से काहिरा और खार्तूम दोनों शहर खतरे में आ गए हैं.

सूडान की सेना के साथ जहां मिस्र का समर्थन है. मिस्र इथियोपिया के खिलाफ सूडान को हथियार के तौर पर इस्तेमाल करता रहा है. काहिरा सूडान में दोनों पक्षों को सीज फायर के लिए मना रहा है. अगर सेना हारती है तो मिस्र को मजबूरन अपना रुख बदलना पड़ेगा. दिग्गज देशों के शामिल होने की वजह से पश्चिम के देश सीधे यहां दखल देने से बच रहे हैं.

क्यों गृहयुद्ध की स्थिति में पहुंचा है सूडान?

यह लड़ाई, संसाधनों पर कब्जे की लड़ाई है. सूडान की राजधानी खार्तूम के तेल संसाधनों का बड़ा हिस्सा लीबिया, चाड, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, इरिट्रिया और दक्षिण सूडान के पास 2011 में चले गए. यह करीब कुल संसाधनों का 75 फीसदी हिस्सा था. सूडान में तमाम विद्रोही संगठन हैं जो आंतरिक कलह में बुरी तरह से फंस गए हैं.

पानी के लिए मोहताज हो गया है सूडान

सूडान के संघर्ष में 264 नागरिकों सहित 400 से अधिक लोग मारे गए हैं और 3,500 से अधिक लोग घायल हुए हैं. सूडान डॉक्टर्स सिंडिकेट के सचिव अतिया अब्दल्ला अतिया ने कहा, 'खार्तूम वीरान नजर आ रहा है. करीब आधी आबादी शहर छोड़ चुकी है और बाकी लोग यहां से निकलने का रास्ता तलाश रहे हैं. संघर्ष की वजह से लाखों लोग घरों में बंद हैं जिनके पास पर्याप्त बिजली, भोजन या पानी नहीं है.  

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सूडान की लड़ाई में क्या कर रही है बाकी दुनिया?

सूडान से भारत और अमेरिका समेत दुनिया के कई दिग्गज देश अपने नागरिकों को वापस बुला रहे हैं. फ्रांस भी अपने नागरिकों की वापसी के लिए युद्धस्तर पर अभियान चला रहा है. सूडान की राजधानी खार्तूम से नील नदी के पास स्थित शहर ओमडुरमैन में लड़ाई तेज हो गई है. ईद-उल-फितर पर तीन दिन की छुट्टी के साथ घोषित संघर्षविराम के बावजूद भीषण हिंसा हुई है.

फ्रांस, यूनान और यूरोप के देशों ने रविवार को कहा कि वे सहयोगी देशों के कुछ नागरिकों के साथ-साथ दूतावास के कर्मचारियों और नागरिकों के लिए निकासी अभियान शुरू कर रहे हैं. फ्रांस के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ऐनी-क्लेयर लिजेंड्रे ने कहा कि फ्रांस यूरोपीय भागीदारों की मदद से अभियान चला रहा है.

यूनान के विदेश मंत्री निकोस डेंडियास ने कहा कि देश ने खार्तूम से 120 यूनानी और साइप्रस नागरिकों की निकासी की तैयारी में मिस्र में विमान और विशेष सैन्य बल को भेजा है. उन्होंने कहा कि अधिकतर लोगों ने खार्तूम के एक गिरजाघर में शरण ली है.

नीदरलैंड ने भी जॉर्डन के लिए दो विमान भेजे हैं. इटली ने सूडान से अपने 140 नागरिकों की निकासी के लिए जिबूती में अपने सैन्य विमान भेजे हैं. (इनपुट: AP)

 

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