डीएनए हिंदी: पिछले साल अगस्त में तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था. अमेरिका के समर्थन से चल रही अफगानिस्तान की सरकार के राष्ट्रपति अशरफ गनी को देश छोड़ने पर मजबूर कर दिया गया. 15 अगस्त 2021 का वो दिन इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया. अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद अपनी पहली प्रेस कॉफ्रेंस में तालिबान के प्रवक्ता जबिउल्लाह मुजाहिद ने बहुत बड़ी-बड़ी बातें की थीं. दुनिया को एक नई प्रगतिशील तालिबानी सत्ता की खूबसूरत तस्वीर दिखाने की कोशिश की थी. धीरे-धीरे अब उस तस्वीर के रंग फीके पड़ने लगे हैं.
रस्मअदायगी था तालिबान का वादा
तालिबानी सत्ता ने म्यूजिक पर बैन लगाया, लड़कियों की एजुकेशन पर भी प्रतिबंध लगा दिया. इसके अलावा तालिबान ने बड़ा दिल दिखाते हुए कहा था कि पिछली सरकार के किसी भी अधिकारी या अमेरिका और सहयोगियों के लिए काम करने वाले किसी भी व्यक्ति को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा.
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अब तालिबान ने अपना पुराना रूप दिखाकर इस वादे के भी खिलाफ जाते हुए बेहद ही भयावह काम किया है. इस बारे में हमने डिफेंस एक्सपर्ट शैलेंद्र सिंह से बात की, उनके मुताबिक तालिबान जैसे आतंकी संगठन अपने खिलाफ उठने वाली आवाजों का गला घोंटना अपना जन्म-सिद्ध अधिकार समझते हैं. इसलिए तालिबान ने एक सोचा समझा बयान दिया कि वो किसी को नहीं मारेंगे लेकिन अब वे ऐसे लोगों को चुन-चुन कर मार रहे हैं जो उनके खिलाफ हैं. तालिबान ने जो वादा किया था वो सिर्फ रस्मअदायगी भर था.
सुरक्षा बलों की हत्या या किडनैपिंग!
अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक तालिबान ने अपनी सत्ता के 6 महीने के भीतर ही अफगानिस्तान की पुरानी सरकार और सुरक्षा बलों के 500 लोगों को या तो मौत के घाट उतार दिया है या फिर गायब कर दिया है. न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक उनकी टीम ने 7 महीने तक जांच पड़ताल करने के बाद तालिबान का ये बदले का खेल उजागर किया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसा नहीं है कि ये काम किसी एक खास इलाके में हुआ है.
तालिबान ने अफगानिस्तान के हर इलाके में परिवारों को उजाड़ कर ये खूनी खेल खेला और दुनिया के सामने किए गए अपने वादों को खोखला और झूठा साबित किया है. अमेरिकी अखबार के रिपोर्ट में बताया गया है कि तालिबान ने अफगानिस्तान के BAGHLAN PROVINCE में 86 लोगों का खून बहाया जबकि कंधार में 114 लोगों को गायब कर दिया गया या कहें किडनैप कर लिया गया.
इस बारे में डिफेंस एक्सपर्ट शैलेंद्र सिंह ने बताया कि तालिबान दुनिया को भले ही दिखाएं कि वो बदले हुए हैं लेकिन हत्या करना उनकी आदत है. ये ऐसे नए तालिबानी हैं जो बेहद ही खामोशी से अमेरिका के लिए सहानुभूति रखने वाले और AntiTaliban अधिकारियों की हत्या कर रहे हैं. उन्होंने कहा, जीन्स कभी नहीं बदलता है. तालिबान के लिए हत्या करना उनके नैतिक मूल्यों में शामिल है. सत्ता का आंतक फैलाना और खून-खराबा तालिबान का मूल स्वभाव है.
अफगानिस्तान के हालात के लिए US, UN जिम्मेदार
अब सवाल है कि अफगानिस्तान और वहां की अवाम के इन हालातों का जिम्मेदार कौन है? इस सवाल के जवाब के तौर पर अमेरिका का नाम ही जहन में आता है. हालांकि डिफेंस एक्सपर्ट शैलेंद्र सिंह कहते हैं कि US पर अफगानिस्तान के इन हालातों की जिम्मेदारी ज्यादा है लेकिन साथ ही इस्लामी कट्टरपंथी राज्य का समर्थन करने वाले देशों की भी इसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए.
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अफगानिस्तान की जनता भी अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकती जिसने तालिबान को अपने देश में पनपने दिया. कुछ हद तक संयुक्त राष्ट्र को भी जिम्मेदारी लेनी चाहिए जो सिर्फ एक दर्शक के तौर पर हालात बिगड़ते देखता रहा.
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