अमेरिका में दो भारतीय 8,200 करोड़ रुपये के फ्रॉड में दोषी, सजा जानकर हैरान रह जाएंगे आप

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Apr 13, 2023, 06:23 AM IST

Rishi Shah और Shraddha Aggarwal पर कॉरपोरेट धोखाधड़ी करने का आरोप है.

Corporate Fraud: भारतीय मूल के ऋषि शाह और श्रद्धा अग्रवाल को कॉरपोरेट धोखाधड़ी वाली योजना चलाने का दोषी पाया गया है. उन पर अस्पतालों में डिवाइस लगाए बिना ही उस पर विज्ञापन लगाने के बदले पैसा हड़पने का आरोप है.

डीएनए हिंदी: US News- भारतीय मूल के दो अमेरिकियों और उनके एक अमेरिकन साथी को अमेरिका में 100 करोड़ डॉलर (करीब 8,200 करोड़ रुपये) के कॉरपोरेट फ्रॉड केस में दोषी पाया गया है. तीनों ने अमेरिका के शिकागो में एक हेल्थ टेक्नोलॉजी स्टार्टअप के जरिये ठगी को अंजाम दिया, जिसमें ग्राहकों, कर्जदाताओं और निवेशकों, तीनों को इतनी मोटी रकम का चूना लगाया गया है. अमेरिकी न्याय विभाग के मुताबिक, करीब 10 सप्ताह लंबे ट्रायल के बाद ज्यूरी मेंबर्स ने आउटकम हेल्थ (Outcome Health) कंपनी के सह-संस्थापक ऋषि शाह (37 साल), पूर्व सीईओ श्रद्धा अग्रवाल (37 साल) और पूर्व सीओओ ब्रैड पर्डी (33 साल) को धोखाधड़ी का दोषी माना गया है. 

इतने आरोप में पाए गए हैं दोषी

PTI ने अमेरिकी न्याय विभाग के हवाले से बताया कि शाह पर 22 आरोप थे, जिनमें से उन्हें 19 मामलों में दोषी पाया गया है. इनमें ईमेल फ्रॉड के 5, वायर फ्रॉड के 10, बैंक फ्रॉड के 2 और मनी लॉन्ड्रिंग के 2 केस हैं. श्रद्धा को 17 में से 15 मामलों में दोषी पाया गया है, जिनमें ईमेल फ्रॉड के 5, वायर फ्रॉड के 8 और बैंक धोखाधड़ी के दो केस हैं. पर्डी को 15 में से 13 आरोपों में दोषी पाया गया है. इनमें ईमेल फ्रॉड के 5, वायर फ्रॉड के 5, बैंक धोखाधड़ी के 2 और झूठे बयान का 1 मामला है.

मिल सकती है इतनी सजा

अमेरिका में बैंक फ्रॉड के हर आरोप के लिए 30 साल की जेल, वायर फ्रॉड और ईमेल फ्रॉड के हर आरोप के लिए 20 साल की जेल की अधिकतम सजा दी जाती है. झूठे बयान के लिए भी 30 साल और मनी लॉन्ड्रिंग के लिए हर आरोप में 10 साल जेल की सजा मिलती है. इस हिसाब से शाह को 380 साल जेल की सजा मिल सकती है, जबकि श्रद्धा को 320 साल और पर्डी को 290 साल की सजा हो सकती है. न्याय विभाग के मुताबिक, तीनों की सजा पर सुनवाई के लिए तारीख बाद में तय की जाएगी.

ऐसे दिया धोखाधड़ी को अंजाम

अमेरिकी न्याय विभाग के मुताबिक, आउटकम हेल्थ ने पूरे अमेरिका में डॉक्टरों के क्लीनिक और अस्पतालों में अपने टेलीविजन स्क्रीन व टैबलेट आदि डिवाइस रखने का दावा किया. इसके बाद उसने ग्राहकों को इन डिवाइस पर विज्ञापन स्पेस बेच दिया. इनमें से ज्यादा दवा कंपनियां थीं. जांच के दौरान सामने आया कि शाह, श्रद्धा अग्रवाल और पर्डी ने जो विज्ञापन सूची ग्राहकों को बेची, उनकी कंपनी के पास उतना आउटकम नहीं था यानी उतने डिवाइस नहीं रखे गए थे. साथ ही वे एडवरटाइजिंग कैंपेन भी नहीं चलाए, जिनका वादा किया गया था. इस धोखाधड़ी के बावजूद उन्होंने सभी ग्राहकों को इनवॉइस भेजकर उतना पैसा वसूला, जितना उन्होंने विज्ञापन स्पेस देने के बदले तय किया था. आउटकम हेल्थ की यह स्कीम साल 2011 से 2017 तक चली. इस दौरान कंपनी 45 मिलियन डॉलर की विज्ञापन सेवाओं का राजस्व हासिल किया. 

ऑडिटर्स को भी दिए झूठे आंकड़े, निवेशकों को भी दिया धोखा

जांच में पाया गया कि पर्डी ने कंपनी के बाहरी ऑडिटर्स से असली डाटा छिपाकर उन्हें भी झूठे राजस्व आंकड़े दिए. इसके चलते बाहरी ऑडिटर्स ने भी 2015 और 2016 में गलत राजस्व आंकड़ों पर हस्ताक्षर कर दिए. इन आंकड़ों के साथ निवेशकों को भी धोखा दिया गया और अप्रैल 2016 में कर्ज वित्त पोषण के तहत 110 मिलियन डॉलर, दिसंबर 2016 में कर्ज वित्तपोषण के तहत 375 मिलियन डॉलर और 2017 की शुरुआत में इक्विटी वित्त पोषण के तहत 487.5 मिलियन डॉलर जुटाकर सभी को धोखा दिया. 

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