UK Election 2024: 'भारतीय' Rishi Sunak ने मानी हार, अब मजदूर का बेटा बनेगा ब्रिटिश पीएम, जानिए कौन हैं कीर स्टार्मर

Written By कुलदीप पंवार | Updated: Jul 05, 2024, 03:26 PM IST

UK Election 2024: ब्रिटेन में भारतीय मूल के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के लिए राह पहले से ही मुश्किल मानी जा रही थी. एग्जिट पोल में लेब पार्टी के 650 में से 410 सीट जीतने की संभावना जताई गई है. 

UK Election 2024: ब्रिटेन में 'भारतीय' शासन खत्म हो गया है. ब्रिटेन के आम चुनाव के बाद आए एग्जिट पोल सही साबित हुए हैं. कीर स्टार्मर के नेतृत्व में उतरी लेबर पार्टी ने भारतीय मूल के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की कंजरवेटिव पार्टी को करारी हार का सामना कराया है. ऋषि सुनक ने अपनी पार्टी की हार स्वीकार कर ली है. सुनक ने अपने संसदीय क्षेत्र रिचमंड और नॉर्दर्न एलर्टन में समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा कि मैं इस हार की जिम्मेदारी लेता हूं और सभी से माफी मांगता हूं. सुनक ने कहा कि लेबर पार्टी की जीत के लिए मैंने कीर स्टार्मर को फोन करके बधाई दी है. आज सत्ता शांतिपूर्ण तरीके से स्थानांतरित हो जाएगी. लेबर पार्टी के बहुमत हासिल करने को ब्रिटेन में मतदाताओं की बदलती सोच का नजारा माना जा रहा है. ब तक सामने आए नतीजों के लिहाज से 650 में से 559 सीट पर परिणाम घोषित हो चुका है, जिनमें से 378 सीट लेबर पार्टी जीत चुकी है. मजदूर पिता की संतान कीर स्टार्मर अब ब्रिटेन के अगले प्रधानमंत्री बन सकते हैं.

कौन हैं कीर स्टार्मर, जो बनेंगे अगले ब्रिटिश पीएम

ब्रिटेन में लेबर पार्टी को भारी-भरकम जीत मिलने के आसार को बड़ा चमत्कार माना जा रहा है. यह चमत्कार कीर स्टार्मर के नेतृत्व में लेबर पार्टी ने किया है. अप्रैल, 2020 में वामपंथी जेरेमी कार्बिन की जगह लेबर पार्टी की कमान संभालने वाले स्टार्मर अब ब्रिटेन के अगले प्रधानमंत्री बनेंगे. स्टार्मर 1963 में सरे के मजदूर परिवार में जन्मे थे. उनके पिता टूल-मेकर थे और मां नर्स थीं. स्टार्मर के माता-पिता समाजवाद में यकीन करते थे, इसलिए उन्होंने लेबर पार्टी के संस्थापक कीर हार्डी को श्रद्धांजलि देने के लिए स्टार्मर के नाम में कीर शब्द जोड़ा था. बचपन बेहद तंगी में गुजरने के बावजूद स्टार्मर वकील बनने में सफल रहे. अपने पेशे में उन्हें बेहद चर्चा मिली और इसी प्रतिष्ठा की बदौलत वे साल 2015 में 52 साल की उम्र में होलबोर्न और सेंट पैनक्रॉस से संसद सदस्य चुने गए. स्टार्मर लेबर पार्टी के चीफ बनने से पहले जेरेमी कार्बिन के अंडर में ब्रेक्जिट सचिव के तौर पर भी काम कर चुके हैं. बता दें कि Brexit उस प्रक्रिया को नाम दिया गया था, जिसके तहत ब्रिटेन ने यूरोपियन संघ से अलग होने का निर्णय लिया था.

एग्जिट पोल में मिली थी लेबर पार्टी को 410 सीट

ब्रिटेन में गुरुवार रात 10 बजे (ब्रिटिश टाइम) तक हाउस ऑफ कॉमन्स (ब्रिटिश संसद का निचला सदन) की 650 सीटों के लिए मतदान हुआ है. इस दौरान वोटर्स ने अगले 5 साल तक अपना प्रतिनिधित्व करने वाले 650 सांसदों को चुनने के लिए वोट का इस्तेमाल किया है. मतदान के बाद सामने आए एग्जिट पोल में लेबर पार्टी को 410 सीट और कंजरवेटिव पार्टी को 131 सीट मिलने की संभावना जताई गई थी. किसी भी पार्टी को सरकार बनाने का दावा करने के लिए हाउस ऑफ कॉमन्स में 326 सीटों के बहुमत की जरूरत होती है. 

200 साल में कंजरवेटिव पार्टी का सबसे खराब प्रदर्शन

कंजरवेटिव पार्टी को एग्जिट पोल के बाद करारा झटका लगा है. यदि ये एग्जिट पोल सही साबित होता है तो कंजरवेटिव पार्टी को सत्ता ही नहीं गंवानी होगी बल्कि ये पिछले 200 साल के इतिहास में पार्टी की सबसे करारी हार भी होगी. इससे पहले पार्टी को 1906 में इतनी करारी हार मिली थी. पिछले 14 साल से लगातार सत्ता में है. हालांकि इस दौरान पार्टी को 5 बार नया प्रधानमंत्री चुनना पड़ा है. कंजरवेटिव पार्टी का सत्ता से हटना ब्रिटेन की नीतियों को बड़े पैमाने पर प्रभावित करेगा.

लेबर पार्टी ने जीतने से पहले ही दी अर्थव्यवस्था को लेकर चेतावनी

लेबर पार्टी ने चुनावी जीत की औपचारिक घोषणा से पहले ही ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को लेकर चेतावनी जारी की है, जिससे माना जा रहा है कि उसके सत्ता संभालने पर कुछ कठोर आर्थिक कदम उठाए जा सकते हैं. पार्टी की इकोनॉमिक प्रवक्ता रेचल रीव्स चुनावी जीत के बाद पहली महिला ट्रेजरी प्रमुख बनने जा रही हैं. रीव्स ने स्काई न्यूज से बातचीत में कहा कि उन्हें इन चुनौतियों के बारे में कोई भ्रम नहीं है. कंजरवेटिव्स से मिल रही विरासत बेहद भयानक है. रीव्स ने इस बात की तरफ इशाका किया कि ब्रिटेन इस समय अपनी राष्ट्रीय आय के 100 फीसदी से ज्यादा कर्ज के बोझ में दबा हुआ है, जबकि आम लोगों से सात दशक में सबसे ज्यादा टैक्स वसूला जा रहा है. रीव्स ने कहा,'मैं ये वादा नहीं कर सकती कि सबकुछ सीधे तरीके से बदल जाएगा. लेबर पार्टी की सरकार बनने पर उसका टारगेट इकोनॉमिक ग्रोथ को शुरू करना रहेगा.'

EVM नहीं बैलेट से होते हैं ब्रिटेन में चुनाव

ब्रिटेन में अब भी पारंपरिक तरीके से ही बैलेट पेपर के जरिये चुनाव होता है. वहां वोटिंग मशीन का इस्तेमाल नहीं किया जाता, बल्कि वोटर्स बैलेट पेपर पर पैंसिल से निशान लगाकर अपना उम्मीदवार चुनते हैं. इसके बाद इन बैलेट पेपर्स को मैनुअल तरीके से गिना जाता है. बैलेट बॉक्स खोले जाने के बाद उनमें पोस्टल वोट मिलाए जाते हैं और फिर गिनती शुरू की जाती है.

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