डीएनए हिंदी: रूस और यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष में भारत शुरुआत से ही पुराने दोस्त रूस के साथ है. कूटनीतिक तौर पर अपनी स्थिति तटस्थ रखते हुए भी भारत ने रूस का मुखर विरोध नहीं किया है. संयुक्त राष्ट्र में भी नई दिल्ली ने तटस्थ रुख ही अपनाया है. भारत के इस स्टैंड से अब अमेरिका को सख्त आपत्ति होने लगी है. अमेरिका ने आज राजनयिकों को संदेश दिया है कि भारत की यह स्थिति उसे रूस के खेमे में ले जा रही है.
अमेरिकी मीडिया में दावा, वॉशिंगटन ने जताई आपत्ति
अमेरिकी मीडिया Axios की रिपोर्ट के मुताबिक, वॉशिंगटन ने सख्त लहजे में कूटनयिक संदेश भारत तक पहुंचाया है. बता दें कि रूस के खिलाफ यूएन में वोटिंग के दौरान भारत अनुपस्थित रहा था. इस वक्त अमेरिका ही नहीं जर्मनी, फ्रांस जैसे ताकतवर देश और नाटो, यूरोपियन यूनियन जैसी संस्थाए भी रूस के खिलाफ हैं. भारत बार-बार बातचीत के जरिए यूक्रेन और रूस पर विवाद सुलझाने के लिए जोर दे रहा है.
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राजनयिक केबल के जरिए संदेश भेजने के खास मायने
राजयनयिक केबल या गोपनीय संदेश को विदेश मंत्रालय प्रासंगिक पक्षों को भेजता है. इस तरह के संदेश किसी देश की विदेश नीति को बताते हैं. जाहिर है कि इन्हें भेजने से पहले हर बारीक डिटेल पर चर्चा की जाती है और फिर आखिरी रूप दिया जाता है. यही नहीं इस संदेश को विभिन्न दूतावासों को भेजने से पहले विभिन्न अधिकारियों के द्वारा जांच की जाती है. आंतरिक नीतिगत फैसलों और दिशा-निर्देशों को विदेश में तैनात राजनयिकों को देने के लिए प्रमुख रूप से राजनयिक केबल का ही सहारा लिया जाता है.
50 देशों में मौजूद अमेरिकी दूतावासों को भेजा गया संदेश
इस राजनयिक केबल को सोमवार को मानवाधिकार परिषद की बैठक से ठीक पहले करीब 50 देशों में मौजूद अमेरिकी दूतावासों को भेजा गया था. हालांकि उसे मंगलवार को उसे वापस ले लिया गया था. रिपोर्ट में कहा गया है कि जब इस बारे में अमेरिकी विदेश मंत्रालय से संपर्क किया गया तो उसे विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने एक गलती करार दिया था प्रवक्ता ने कहा था कि इस तरह की भाषा को कभी भी मंजूरी नहीं दिया जाता है. इस केबल को गलती से जारी कर दिया गया था और इसी वजह से उसे वापस ले लिया गया है.
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