डीएनए हिंदी: अमेरिका अफगानिस्तान छोड़ चुका है लेकिन तालिबान से अमेरिका की दुश्मनी खत्म नहीं हुई है. अब अमेरिका की बिग टेक कंपनी मेटा ने तालिबान पर बड़ा एक्शन लेना शुरू कर दिया है. मेटा के स्वामित्व वाले इंस्टेंट मैसेजिंग ऐप प्लेटफॉर्म WhatsApp पर तालिबानी सरकार का कामकाज निर्भर है और वॉट्सऐप अब यहां तालिबानी अकाउंट्स को बैन करने में जुट गया है जिससे तालिबानी सरकार की मुश्किलें बढ़ गई हैं.
दरअसल, यह कहा जाता है कि अनपढ़ तालिबानियों के लिए वॉट्सऐप सरकार चलाने का एक अच्छा जरिया बन गया था. इसके जरिए वे अपनी बात रिकॉर्ड करके एक दूसरे तक पहुंचा देते थे. बीते कुछ दिनों से तालिबानी अधिकारियों, सुरक्षाबलों और अन्य प्रशासकीय ग्रुप को WhatsApp द्वारा बैन किया जा रहा है.
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WhatsApp से चल रही सरकार ठप
रिपोर्ट के मुताबिक तालिबान की सरकार वॉट्सऐप पर ही चल रही थी और छोटे से लेकर बड़े अधिकारी तक वॉट्सऐप के जरिए ही निर्देश देते थे लेकिन अब एक-एक कर अधिकारियों के अकाउंट ब्लॉक किए जा रहे हैं. इसके चलते तालिबानी सरकार का कामकाज लगभग ठप पड़ चुका है.
गौरतलब है कि अफगानिस्तान में 4जी नेटवर्क में सुधार हुआ है और इसके बाद से यहां स्मार्टफोन का चलन बढ़ा. ऐसे में तालिबान प्रशासकीय कामकाज में तेजी से वॉट्सऐप का इस्तेमाल होने लगा था. सरकारी विभाग भी कर्मचारियों को जानकारी देने या फिर निर्देश देने के लिए वॉट्सऐप का इस्तेमाल करते थे.
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सरकार के लिए जरूरी है WhatsApp
इसके अलावा पत्रकारों तक भी जानकारी पहुंचाने के लिए सरकार द्वारा इसका इस्तेमाल किया जाता है तालिबानी लड़ाके आईएस के ठिकानों पर हमला करने के लिए भी वॉट्सऐप के जरिए समन्वय करते थे लेकिन वॉट्सऐप के बंद होने से तालिबानी लड़ाकों तक कोई जानकारी ही नहीं पहुंच रही है.
तालिबान के एक पुलिस प्रवक्ता शीर अहमद बुरहानी ने कहा, हमारे लिए वॉट्सऐप बहुत जरूरी है, अगर वॉट्सऐप नहीं होगा तो हमारे सारे कामकाज खराब हो जाएंगे. एक रिपोर्ट के मुताबिक तालिबान में इस समय 70 फीसदी आबादी के पास सेलफोन हैं. ऐसे में वॉट्सऐप का बंद होना तालिबानियों के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है.
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कैसे ब्लॉक हो रहे तालिबानियों के अकाउंट
गौरतलब है कि अमेरिका हमेशा से ही तालिबान और उसके किसी भी रूप को अपराधी मानता रहा है. इसी के चलते मेटा ग्रुप नेम, प्रोफाइल पिक्चर, फोटो और मेसेज को पहचानकर अकाउंट ब्लॉक कर देता है. अमेरिका ने तालिबान पर दो दशक पहले ही प्रतिबंध लगाए थे जो कि अब भी लागू हैं. मेटा की इस कार्रवाई से तालिबान के बहुत सारे लड़ाकों का काम ठप हो गया है.
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