Gun Culture In America: क्यों खत्म नहीं हो रहा है गन कल्चर, क्यों बेहद आम हैं फायरिंग की घटनाएं?

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:May 25, 2022, 12:17 PM IST

अमेरिका में फिर हुई गोलीबारी की घटना

अमेरिका में गन कल्चर और नस्लभेद दोनों बेहद आम हैं. हर शहर में हिंसा की घटनाएं सामने आ रही हैं. अमेरिका को अपने ही कानूनों पर दोबारा सोचने की जरूरत है.

डीएनए हिंदी: पिछले कुछ महीनों में अमेरिका में हुई गोलीबारी (Firing) की घटनाओं ने दुनिया को झकझोर कर रख दिया है. अमेरिका के टेक्सास में एक प्राइमरी स्कूल में हुई गोलीबारी (Texas Firing) में अभी तक 21 लोगों के मारे जाने की खबर है. इसमें 19 छात्र और तीन टीचर शामिल हैं. पुलिस ने हमलवार को मार गिराया है. अमेरिका की सरकार ने इस घटना के बाद राष्ट्रीय शोक का ऐलान किया है.

इससे पहले अप्रैल महीने में अमेरिका के सबसे लोकप्रिय शहर न्यूयॉर्क (New York) के एक रेलवे स्टेशन (Railway Station) पर हुई गोलीबारी की घटना में कम से कम 13 लोग घायल हो गए थे. अमेरिका में गन कल्चर और नस्लवाद बेहद आम है. हैरानी की बात यह है कि अमेरिका दुनियाभर को मानवाधिकारों का पाठ पढ़ाता है लेकिन उनका पालन अपने देश में नहीं करा पाता है.

अमेरिका में गन कल्चर बेहद आम है. हथियार रखना आम आदमी के संवैधानिक अधिकारों में शुमार है. यही वजह है कि आए दिन फायरिंग की कोई न कोई घटनाएं देखने को मिलती हैं. अमेरिका में साल 2021 में भी ऐसी ही फायरिंग की एक घटना सामने आई थी. 

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कैलिफोर्निया के सैन जोस और कोलोराडो के बोल्डर में साल 2021 में भीषण गोलीबारी हुई थी. 22 मार्च, 2021 को बोल्डर के एक सुपरमार्केट में सामूहिक गोलीबारी में 10 लोगों की मौत हो गई थी. दो महीने बाद 26 मई को सैन जोस में एक ट्रांसपोर्टेशन अथॉरिटी कंट्रोल सेंटर में फायरिंग हुई और 9 लोग मारे गए. गोलीबारी करने वाले शख्स ने भी खुदकुशी कर ली थी.

बेहद आम है अमेरिका में हिंसा की घटनाएं

अमेरिका में हर साल हत्या और फायरिंग की बड़ी घटनाएं सामने आती हैं. वजह अमेरिका का हथियारों के प्रति उदार रवैया है. अमेरिका में हथियार रखने के कानून बेहद आसान हैं. किसी भी शख्स को हथियार रखने की इजाजत मिली हुई है. हर साल फायरिंग से जुड़े मामलों में हजारों लोगों की जान जाती है. सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के आंकड़े यही कहते हैं.

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साल 2020 तक उपलब्ध सीडीसी के आंकड़ों के मुताबिक सिर्फ शूटिंग या फायरिंग की वजह से 45,222 लोगों की जान जा चुकी है. इनमें आत्महत्या के मामले भी शामिल हैं. 43 फीसदी लोगों की मौत बंदूक से की गई फायरिंग की वजह हुई है. 19,384 लोगों की मौत हथियारों की वजह से हुई है.

क्या कहते हैं अमेरिका में हिंसा के आंकड़े 

2019 के दौरान अमेरिका में हत्या के कुल 14,400 मामले सामने आए थे. इससे पहले 1993 में 18,253 लोगों की मौत बंदूक से जुड़े अपराधों की वजह से हुई थी. 2020 के दौरान अमेरिका में होने वाली 79 फीसदी हत्याएं बंदूक से की गई हैं. यह साल 1968 के बाद यह अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है. पेव रिसर्च सेंटर के मुताबिक 2020 में ऐसे मामलों में 34 फीसदी इजाफा हुआ है. बीते 5 साल में 49 फीसदी हथियारों से संबंधित घटनाएं बढ़ी हैं, वहीं 75 फीसदी घटनाएं 10 साल के भीतर बढ़ी हैं.

साल 2020 के दौरान प्रति 1,00,000 लोगों में 13.6 लोगों की मौत बंदूक की वजह से हुई है. 1990 के दशक के बाद यह सबसे बड़ा आंकड़ा है. मास फायरिंग की घटनाओं को ट्रैक कर पाना मुश्किल होता है. अमेरिका में बंदूक की वजह से हुई हिंसा की घटनाएं बेहद ज्यादा हैं. अमेरिका के एक ऑनलाइन डेटा बेस 'गन वायलेंस आर्काइव' के मुताबिक 2020 में सामूहिक गोलीबारियों में करीब 513 लोग मारे गए हैं. 

गन कल्चर है अमेरिका की असली दिक्कत

अमेरिका बंदूक हिंसा एक बड़ी समस्या है. अमेरिका में गन कल्चर से संबंधित हिंसा के मामले बहुत आम हैं. अमेरिका में कपड़े की तरह हथियारों की शॉपिंग की जा सकती है. अमेरिका में बंदूकों का व्यापार भी बेहद फल-फूल रहा है. साल 1791 में अमेरिका के संविधान में दूसरा संशोधन लागू हुआ था . इसके तहत अमेरिकी नागरिकों को हथियार रखने के अधिकार दिए गए थे. अमेरिका में दशकों तक गन कल्चर की वजह से लाखों लोगों ने अपनी जानें गंवाई और इन मौतों का बोझ अमेरिका की संसद पर समय के साथ बढ़ता चला गया.

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अमेरिका में नहीं खत्म हो रहा है नस्लवाद

पिछले एक दशक में अमेरिका में नस्लवाद के मामलों में भारी वृद्धि देखी गई है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अश्वेत लोग अमेरिका की कुल आबादी का लगभग 13 प्रतिशत हैं. हालांकि अमेरिकी जेलों में बंद कुल 33 फीसदी कैदी अश्वेत हैं. गोरे लोगों की आबादी लगभग 76 प्रतिशत है. जेल में केवल 30 फीसदी कैदी गोरे लोग हैं. इसकी वजह नस्लवाद है. साल 2020 में अमेरिका में नस्लीय हिंसा के कुल 2,871 मामले दर्ज किए गए, जो 2019 के पिछले वर्ष की तुलना में 49 फीसदी ज्यादा है. 

अमेरिका में कई संगठन हैं जो विदेशों में मानवाधिकारों के लिए काम करते हैं. मानवाधिकारों की सुरक्षा के लिए अमेरिका दुनिया के दूसरे देशों को फंड भी देता है. 2019 में एक ग्लोबल एटीट्यूड सर्वे से पता चलता है कि अमेरिका में 59 फीसदी लोग अपनी लोकतांत्रिक व्यवस्था से संतुष्ट नहीं हैं वहीं भारत में केवल 26 फीसदी लोग ही ऐसा महसूस करते हैं.

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साफ है किअमेरिका विश्व मंच पर अपना प्रभुत्व खो रहा है. इसका कारण यह है कि अमेरिका अन्य देशों में मानवाधिकारों के लिए चिंता व्यक्त करता है, लेकिन यह देश कभी अपनी नीतियों का निष्पपक्ष विश्लेषण नहीं करता है. यही वजह है कि अमेरिका की गन संस्कृति वहां के 'जन-गण-मन' पर भारी पड़ रही है. (ओरिन बसु के इनपुट के साथ)

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